PM नरेंद्र मोदी 1 नवम्बर को राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम में बड़ी जनसभा को संबोधित करेंगे। 3 राज्यों- राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश से करीब 1 लाख आदिवासी समाज के लोग इस सभा में पहुंचेंगे। मोदी तीनों राज्यों की 99 आदिवासी सीटों को जनसभा और सम्मेलन से साधेंगे। राजस्थान विधानसभा में 25, गुजरात विधानसभा में 27, मध्य प्रदेश विधानसभा में 47 सीट ST के लिए रिजर्व हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय और एक NGO मिलकर कार्यक्रम करवाएंगे। इसमें तीनों राज्यों के CM और BJP प्रदेशाध्यक्ष को आमंत्रित किया है। राजस्थान के CM अशोक गहलोत, गुजरात के CM भूपेंद्र पटेल, मध्य प्रदेश CM शिवराज सिंह चौहान कार्यक्रम में आमंत्रित हैं।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी, राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी और राजस्थान से केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल भी कार्यक्रम में रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, प्रधानमंत्री मानगढ़ धाम के स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की घोषणा कर सकते हैं। इस जगह और आदिवासियों के विकास के लिए कई घोषणाएं की जा सकती हैं। बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया और पार्टी संगठन के कई सीनियर नेता दो दिन बाद तैयारियों का जायजा लेने मानगढ़ जा सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने मानगढ़ धाम को लेकर राजस्थान और गुजरात के CS की VC बैठक ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राजस्थान और गुजरात के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से मानगढ़ धाम को लेकर बैठक भी की है। सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए बताया कि राजस्थान सरकार ने केन्द्र सरकार को आश्वस्त किया गया है कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक बनाने में हरसंभव मदद दी जाएगी।
गहलोत ने कहा- मैं उम्मीद करता हूं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 1 नवंबर को अपने मानगढ़ धाम के दौरे पर इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर देंगे। मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक का दर्जा देने की मांग लम्बे समय से चली आ रही है। राजस्थान के CM अशोक गहलोत ने भी पीएम को इसके लिए पत्र लिखा है। माना जा रहा है यह मांग पूरी हो सकती है।
राजस्थान के ये सीनियर लीडर रहेंगे मौजूद
केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल के साथ ही प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, सह प्रभारी विजया राहटकर, प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, राजस्थान की पूर्व सीएम और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलााबचन्द कटारिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी और आदिवासी समाज से आने वाले बीजेपी सांसद- कनकमल कटारा (बांसवाड़ा लोकसभा) डॉ किरोड़ीलाल मीणा (राज्यसभा सांसद), जसकौर मीणा (दौसा लोकसभा), अर्जुनलाल मीणा (उदयपुर लोकसभा), बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ (जयपुर ग्रामीण लोकसभा), सीपी जोशी (चित्तौड़गढ़ लोकसभा), पूर्व सांसद नारायण पंचारिया मौजूद रहेंगे।विधायकों में वासुदेव देवनानी, मदन दिलावर, कैलाश चन्द्र मीणा, हरेंद्र निनामा, गोपीचंद मीणा, समाराम गरासिया, जगसीराम, प्रतापलाल भील (गमेती), बाबूलाल, अमृतलाल मीणा, फूलसिंह मीणा समेत कई एमएलए और नेता इस मौके पर मौजूद रहेंगे।
3 राज्यों के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष कार्यक्रम में लेंगे हिस्सा
राजस्थान बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, गुजरात के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सीआर पाटिल, मध्य प्रदेश के बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा भी मोदी की सभा में शामिल होंगे। गुजरात के बाद अगले साल राजस्थान और मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। तीनों राज्यों के बॉर्डर मानगढ़ धाम से लगते हैं। इसलिए तीनों राज्यों के पार्टी नेताओं को आमंत्रित किया जा रहा है। बीजेपी एसटी मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष जितेंद्र मीणा, किसान मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष हरिराम रणवां, युवा मोर्चा प्रदेशाध्यक्ष हिमांशु शर्मा भी कार्यक्रम में अपनी टीम के कार्यकर्ताओं के साथ शामिल होंगे।
PM मोदी के राजस्थान के मानगढ़ धाम में इस दौरे से राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के भी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में बीजेपी को वोट बैंक का फायदा होने की उम्मीद है। मानगढ़ धाम ब्रिटिश सेना की ओर से 1913 में आदिवसी-भीलों के सामूहिक नरसंहार के लिए जाना जाता है।
इसमें संत गोविंद गुरु के नेतृत्व में लगभग 1500 आदिवासियों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। उन पर आजादी का आंदोलन चलाने का आरोप लगाया गया था। यहां तक कि यज्ञ और पूजा-अनुष्ठान से रोकने की कोशिश की गई थी।
PM आ रहे हैं कार्यक्रम भी बड़ा होगा, मैसेज भी बड़ा होगा
'प्रधानमंत्री का 1 नवंबर को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से आयोजित कार्यक्रम में ऐतिहासिक स्थान- मानगढ़ धाम का दौरा करने का कार्यक्रम है। मानगढ़ धाम में गुमनाम नायकों को सम्मान दिया जाएगा। साल 1913 में 1500 आदिवासी भीलों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। ब्रिटिश राज में जलियांवाला बाग से भी बड़ा नरसंहार राजस्थान के मानगढ़ धाम में गोविंद गुरु की तपोस्थली पर हुआ। आज यह समय उन्हें सम्मान और आदर देने का है। PM मोदी आएंगे, इसलिए कार्यक्रम भी बड़ा होगा और मैसेज भी बड़ा होगा। '- अर्जुनराम मेघवाल, केंद्रीय संस्कृति राज्यमंत्री
पिछले दौरे में 30 सितम्बर को राजस्थान में आबू रोड आए थे मोदी
इससे पहले 30 सितम्बर 2022 को गुजरात के अम्बा माता से लौटते वक्त PM मोदी राजस्थान में आबू रोड हेलीपैड पहुंचे, तो रात के 10 बज चुके थे। मोदी ने कार्यक्रम के मंच से ही राजस्थान की धरती और जनसमूह को 3 बार झुककर प्रणाम किया था। मोदी ने रात का वक्त और नियमों को देखकर लाउड स्पीकर पर कुछ नहीं बोला। उन्होंने मैसेज दिया था कि मैं जल्द ही दोबारा आपके बीच आऊंगा।
PM मोदी 10 साल पहले भी पहुंचे थे मानगढ़ धाम
PM मोदी 10 साल पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते मानगढ़ धाम पहुंचे थे। उन्होंने गुजरात के 63वें वन महोत्सव के मौके पर गोविंद गुरु स्मृति वन का लोकार्पण किया था। मोदी ने पैदल चलकर गोविंद गुरु की प्रतिमा की अंकित ज्योत पर जाकर माला अर्पित की थी। साथ ही, कल्प वृक्ष का पौधा लगाया था। मोदी ने तब गुजरात सीमा में नए प्रवेश द्वार का फीता काटकर लोकार्पण भी किया था। तब सभा को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा था - मानगढ़ धाम पर गोविंद गुरु के नेतृत्व में आजादी की अलख जगा रहे डेढ़ हजार से ज्यादा भक्तों पर अंग्रेजों ने गोलियां चलाई थीं। उन्होंने इसे जलियांवाला कांड से बड़ा बताते हुए कहा था कि दुर्भाग्य है कि इसे इतिहास में स्थान नहीं मिल पाया। उन्होंने आयोजन में उमड़ी भीड़ देखकर कहा कि मानगढ़ ने गुजरात का भी मान बढ़ाया है।
पीएम मोदी के इस दौरे के क्या हैं सियासी मायने
मानगढ़ धाम राजस्थान-गुजरात बॉर्डर पर बांसवाड़ा के आनंदपुरी के पास एक पहाड़ी पर है। मोदी अपनी सभा के जरिए तीन राज्यों के चुनावी समीकरणों को साधेंगे। साथ ही यहां से देशभर के आदिवासी समाज को बड़ा मैसेज देंगे।
दक्षिणी राजस्थान को साधेंगे
राजस्थान में 2023 विधानसभा चुनाव के मद्देनजर PM मोदी पहली बड़ी जनसभा करेंगे। दक्षिणी राजस्थान की आदिवासी बेल्ट पर उनका पूरा फोकस रहेगा। आदिवासी बाहुल्य जिले बांसवाड़ा की 5 में से 2 ही सीटों पर बीजेपी विधायक हैं। डूंगरपुर की 4 में से 1 ही सीट बीजेपी के पास है। प्रतापगढ़ में 2 में से एक भी सीट बीजेपी के पास नहीं है। हालांकि उदयपुर, चित्तौड़गढ़, पाली, सिरोही में बीजेपी मजबूत है। लेकिन इन सीटों पर भी बढ़त बनाने के लिए पीएम मोदी मैसेज देना चाहेंगे।
आदिवासी समाज का इन मुद्दों पर फोकस
राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र समेत आसपास के इलाकों के आदिवासियों के कई मुद्दों पर लंबे समय से मांगें उठ रही हैं। जनगणना में आदिवासियों का अलग कॉलम रखने और ट्राइबल कोड की मांग प्रमुख है। ट्राइबल एरिया से जुड़े लोगों के रिजर्वेशन को लेकर कॉमन पॉलिसी बनाने, मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने, वन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों के भूमि अधिकार सुरक्षित रखने, उनकी संस्कृति को संजोकर रखने, आदिवासी क्षेत्र को केंद्र से विशेष बजट, रोजगार जैसी मांगें महत्वपूर्ण हैं।
8 जिलों में ST जनसंख्या बाहुल्य इलाके अनुसूचित क्षेत्र में शामिल 8 जिलों में बांसवाडा, डूंगरपुर, प्रतापगढ सम्पूर्ण जिले, उदयपुर की 8 पूर्ण तहसीलें, तहसील गिर्वा के 252 गांव, तहसील वल्लभनगर के 22 गांव और तहसील मावली के 4 गांव, सिरोही जिले की आबूरोड तहसील और तहसील पिंडवाड़ा के 51 गांव, राजसमन्द जिले की नाथद्वारा तहसील के 15 गांव, तहसील कुम्भलगढ़ के 16 गांव, चित्तौडगढ़ जिले की बड़ीसादड़ी तहसील के 51 गांव, पाली जिले की बाली तहसील के 33 गांव शामिल हैं। इस क्षेत्र में रहने वाली जनजातियों में भील, मीणा, गरासिया और डामोर प्रमुख है।
ये भी पढ़ें
1. गहलोत-पायलट गुट में सुलह कराने में जुटी कांग्रेस:राजस्थान में गुटबाजी सुलझाने के साथ 2023 में सरकार रिपीट करने पर फोकस
सियासी संकट से जूझ रही कांग्रेस इन दिनों राजस्थान को लेकर सहमति बनाने में लगी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच विवाद सुलझा नहीं है। कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बुधवार को पदभार ग्रहण कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इसके बाद कांग्रेस राजस्थान के मसले को सुलझाने में लगेगी। ऐसे में राजनीतिक जानकारों और कांग्रेस के सूत्रों का मानना है कि कांग्रेस इसे लेकर सहमति बनाने में जुट गई है। (यहां पढ़ें पूरी खबर)
2. राजस्थान में 6 नए जिले बना सकती है सरकार:24 जिलों से 60 क्षेत्र दावेदार; रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट पर होगा फैसला
चुनावी साल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में पांच से छह नए जिले बनाने की घोषणा कर सकते हैं। नए जिलों के गठन पर सिफारिश के लिए रिटायर्ड आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में बनाई गई कमेटी की रिपोर्ट आने में दो महीने की देरी के आसार हैं। दिसंबर तक कमेटी अपनी रिपोर्ट सरकार को दे सकती है, जिसमें प्रदेश के 60 अलग-अलग जगहों को जिला बनाने की मांग पर कमेटी अपना मत देगी।
(यहां पढ़ें पूरी खबर)
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.