राजस्थान में बिजली की अधिकतम डिमांड 14 हजार 500 मेगावाट के पार जा चुकी है। जबकि औसत बिजली उपलब्धता 11हजार 500 मेगावाट है। यूनिट की बात करें,तो करीब 27 करोड़ यूनिट बिजली प्रदेश में उपलब्ध है, जबकि जरूरत 32.50 करोड़ यूनिट की है।
राजस्थान में मौजूद सभी थर्मल, विंड, सोलर पावर, बायो मास, गैस, लिग्नाइट, पन बिजलीघरों का मिलाकर करीब 20 करोड़ यूनिट ही प्रोडक्शन हो पा रहा है। वहीं देश के अलग-अलग बांध-जलप्रपातों, एनर्जी एक्सचेंज से खरीदने और अन्य राज्यों के बिजलीघरों से राजस्थान को मिलने वाली बिजली करीब 7 करोड़ यूनिट है।
इस गैप को उपभोक्ताओं की बिजली कटौती करके पूरा किया जा रहा है। तीनों बिजली कम्पनियां जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JVVNL), अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (AVVNL), जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (JDVVNL) शहरी, कस्बाई और ग्रामीण इलाकों में कटौती कर रही हैं। शहरों में रोजाना तय शेड्यूल्ड कटौती के अलावा अघोषित बिजली कटौती ज्यादा हो रही है। जिसे अनप्लांड शटडाउन, मेंटेनेंस या फिर फॉल्ट के चलते कटौती बताया जा रहा है।
राजस्थान के 1.52 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं को पावर कट का सामना करना पड़ रहा है। इसमें घरेलू, कॉमर्शियल, इंडस्ट्री और कृषि सभी तरह के कनेक्शन शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश में करीब 1 करोड़ 19 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं।
जबकि कॉमर्शियल 14 लाख, इंडस्ट्रियल 3.54 लाख उपभोक्ता हैं। एग्रीकल्चर के 15.41 लाख बिजली कनेक्शन हैं। बिजली क्राइसिस के कारण ग्रामीण इलाकों में 6 से 8 घंटे और अन्य उपभोक्ताओं को 2 से 4 घंटे तक पावर कट का सामना करना पड़ रहा है।
लोड शेडिंग से फीडर्स से जमकर बिजली कटौती
लोड शेडिंग से फीडर्स को बंद भी किया जा रहा है। रोस्टर से फीडर्स चलाए जा रहे हैं। जयपुर डिस्कॉम कम्पनी ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 89 फीडर्स रोजाना बंद करके बिजली काट रही है। अजमेर डिस्कॉम 71 फीडर्स और जोधपुर डिस्कॉम कम्पनी 85 फीडर्स बंद करके बिजली कटौती कर रही है।
रात 8 से 12 बजे और सुबह 12 से 5 बजे तक सबसे ज्यादा फीडर्स से लोड शेडिंग कर बिजली कटौती की जा रही है। इसी तरह आधा घंटे से कम बिजली कटौती भी हो रही है। जयपुर डिस्कॉम एरिया में 24, अजमेर डिस्कॉम एरिया में 4, जोधपुर डिस्कॉम एरिया में 19 फीडर्स से ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती की जा रही है।
औसतन 4 दिन का कोयला बचा
प्रदेश के बिजलीघरों में कोयले की सप्लाई अब तक स्पीड नहीं पकड़ पाई है। अलग-अलग पावर प्लांटों में 3 से 8 दिन का ही कोयला स्टॉक है। छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट में 3 दिन का ही कोयला बचा है। छबड़ा थर्मल, कालीसिंध और सूरतगढ़ थर्मल पावर प्लांट में तीनों जगह 4-4 दिन का कोयला बचा है।
सूरतगढ़ सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की 7 और 8 यूनिट में 5 दिन का कोयला स्टॉक है। जबकि कोटा थर्मल पावर प्लांट में 7 से 8 दिन का कोयला बाकी है। गाइडलाइंस के मुताबिक कम से कम 26 दिन का कोयला स्टॉक होना चाहिए। लेकिन सभी पावर प्लांट कोयला संकट झेल रहे हैं।
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