राजस्थान में 1.2 करोड़ घरों की बिजली होगी गुल!:तेज हवा बंद होने से गहराया संकट;14 हजार मेगावाट हुई डिमांड

जयपुरएक वर्ष पहले
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संकट क्या है?: देशभर में गहराए एनर्जी संकट के बीच राजस्थान में हालात ज्यादा खराब हैं। बिजली संकट इतना गहरा गया है कि ब्लैकआउट होने की आशंका है। यहां के कई पावर प्लांट में पांच यूनिट्स अलग-अलग कारणों से बंद हैं। इस कारण बिजली उत्पादन पर असर पड़ रहा है। विंड एनर्जी सप्लाई के कारण बीते कुछ दिनों से राहत थी, लेकिन हवा की स्पीड कम होने से अचानक सप्लाई ठप हो गई है। विंड प्लांट्स से पिछले 2-3 दिन से मिल रही 2500-2600 मेगावट बिजली अचानक घटकर आज 100 मेगावाट पर आ गई है।

दोबारा किल्लत क्यों हुई?: अचानक ठप हुए विंड पावर जनरेशन से सीधे 2500 मेगावाट बिजली की किल्लत पैदा हो गई है। मौसम बदलने, बादलों और बारिश से गर्मी से कुछ राहत के बाद मंगलवार को बिजली की मांग में 1500 मेगावाट की कमी थी, इसलिए भी इंडस्ट्री और कृषि को छोड़कर बिजली कटौती नहीं की गई। अब बिजली की अधिकतम डिमांड फिर से 14 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है, इसलिए कटौती शुरू हो गई है।

इसका असर क्या पड़ेगा?: बिजली की बड़ी किल्लत का असर 1.52 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं पर होगा। प्रदेश में करीब 1 करोड़ 19 लाख घरेलू उपभोक्ता हैं। इनमें कॉमर्शियल 14 लाख, इंडस्ट्रियल 3.54 लाख उपभोक्ता हैं। एग्रीकल्चर के 15.41 लाख के करीब बिजली कनेक्शन हैं।

क्राइसिस रहने तक ग्रामीण क्षेत्रों में 6 से 8 घंटे तक पावर कट रह सकती है। कृषि के लिए 4-4 घंटे के स्लॉट में बिजली सप्लाई जारी रखी जा सकती है। इंडस्ट्री को 8 घंटे तक बिजली लिमिट की संभावना है। वहीं, घरेलू और कॉमर्शियल उपभोक्ताओं को 4 घंटे तक पावर कट का सामना करना पड़ सकता है। इमरजेंसी और आवश्यक सेवाओं को बिजली कटौती से छूट रहेगी।

कालीसिंध सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की 600-600 मेगावाट की 2 यूनिट्स बंद।
कालीसिंध सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट की 600-600 मेगावाट की 2 यूनिट्स बंद।

बिजली कितनी कम है?: सरकारी थर्मल पावर का 2320 मेगावाट और विंड पावर का 2500 मेगावाट प्रोडक्शन घटने से 4820 मेगावाट बिजली की किल्लत हो गई है। केवल विंड पावर का ही नुकसान नहीं हुआ। तकनीकी कारणों से कालीसिन्ध थर्मल पावर प्लांट की दूसरी 600 मेगावाट की सुपर क्रिटिकल यूनिट ठप हो गई है। कालीसिंध की एक अन्य यूनिट पहले ही एनुअल शटडाउन पर है। जिसे मिलाकर अब अलग-अलग पावर प्लांट्स की ठप यूनिट्स की संख्या 5 हो गई है।

वहीं, 1720 मेगावाट कैपेसिटी की 4 अलग-अलग थर्मल पावर प्लांट्स यूनिट्स टेक्नीकल कारणों से पहले ही बंद पड़ी हैं।

इनके अलावा कोयले की कमी से बारां जिले के कवाई में अडाणी के पावर प्लांट में 660 मेगावाट की एक सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर यूनिट में भी बिजली प्रोडक्शन ठप हो गया है। अडाणी पावर प्लांट से राजस्थान को कॉन्ट्रैक्ट पर पावर सप्लाई मिलती है।

छत्तीसगढ़ से की सप्लाई मिलने के बाद आपूर्ति में सुधार हो सकता है।
छत्तीसगढ़ से की सप्लाई मिलने के बाद आपूर्ति में सुधार हो सकता है।

स्थिति सामान्य कब होगी?: छत्तीसगढ़ से राजस्थान को आवंटित खान से कोयला मिलने के बाद ही बिजली की किल्लत दूर हो सकती है। मार्च 2022 में CM गहलोत पारसा कोयला माइंस से राजस्थान को माइनिंग की मंजूरी के लिए जब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा था कि राजस्थान को मदद नहीं मिली तो ब्लैकआउट हो सकता है और 4500 मेगावाट थर्मल पावर प्लांट ठप हो सकते हैं।

छत्तीसगढ़ सरकार ने उसके बाद माइनिंग मंजूरी तो दे दी, लेकिन प्रोडक्शन शुरू होने और कोयला राजस्थान पहुंचने में इस महीने के आखिर तक का वक्त लग सकता है।

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