राजस्थान में एक बार फिर राजनीतिक बाड़ेबंदी हो सकती है। जिसका कारण राज्यसभा की 4 सीटों पर 10 जून को होने जा रहा चुनाव है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने प्रत्याशियों के नामों पर तेजी से मंथन शुरू कर दिया है। संख्या बल के हिसाब से 2 सीटें कांग्रेस और 1 सीट बीजेपी के खाते में आती साफ दिखाई दे रही हैं। जबकि चौथी सीट के लिए मुकाबला रोचक हो सकता है। इस पर कांग्रेस का पलड़ा भारी नजर आ रहा है। क्योंकि यह सीट निर्दलीयों को साथ लेकर जीती जाएगी।
चौथी सीट पर जीत निर्दलीय, बीटीपी, आरएलपी और माकपा के सदस्य तय करेंगे। बीजेपी इतनी आसानी से चौथी सीट कांग्रेस के लिए छोड़ने के मूड में नहीं है। अगर बीजेपी ने 2 सीटों के लिए कैंडिडेट उतारे तो राज्यसभा चुनाव के लिए एक बार फिर बाड़ाबंदी हो सकती है। चुनाव आयोग के अनुसार 24 मई को नोटिफिकेशन जारी होगा और 31 मई तक नॉमिनेशन भरे जा सकेंगे।
BJP ओम माथुर को कर सकती है रिपीट
कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों में प्रत्याशियों के सलेक्शन की कवायद तेज हो गई है। बीजेपी 2 सीटों पर प्रत्याशी उतार सकती है। राज्यसभा सांसद ओम माथुर को फिर से रिपीट भी किया जा सकता है। अगर उन्हें फिर से कैंडिडेट नहीं बनाया तो एक सीट पर ब्राह्मण और दूसरी पर दलित या आदिवासी वर्ग से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरूण चतुर्वेदी, महिला मोर्चा की पूर्व प्रदेशाध्यक्ष मधु शर्मा, पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी, प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच, प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा, बीजेपी पॉलिटिकल फीडबैक विभाग के प्रदेश सह संयोजक ब्रजकिशोर उपाध्याय के नाम इनमें शामिल हैं।
SC-ST वर्ग से भी कई नाम
दलित समाज से उम्मीदवार के दावेदार में बीजेपी के प्रदेश मंत्री और वैर नगरपालिका के पूर्व चेयरमैन महेन्द्र सिंह जाटव हैं। जो कृषि मंडी चेयरमैन भी रहे हैं। जाटव भी संघ पृष्ठभूमि से हैं। पूर्वी राजस्थान में दलित समाज में अच्छी पकड़ है। ST वर्ग से आने वाले पूर्व राज्यमंत्री और बीजेपी के प्रदेश महामंत्री सुशील कटारा भी राज्यसभा के दावेदार हैं। वह आदिवासी क्षेत्र डूंगरपुर से आते हैं।
उनके पिता जीवराम कटारा पूर्व मंत्री थे। इसी तरह बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष हेमराज मीणा की भी एसटी वर्ग से दावेदारी है। हेमराज मीणा बारां जिले के किशनंगज शाहबाद क्षेत्र से पूर्व विधायक रह चुके हैं। भाजपा एसटी मोर्चे के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रहे हैं। उनके पुत्र ललित मीणा भी पूर्व विधायक रहे हैं।
कांग्रेस में प्रियंका गांधी सहित चार नाम
कांग्रेस में प्रत्याशी का एक नाम दिल्ली में पार्टी आलाकमान की ओर से आना तय माना जा रहा है, जबकि 2 नाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की तरफ से भेजे जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक टिकट के लिए 1 दर्जन से ज्यादा नामों पर विचार चल रहा है। दलित प्रतिनिधि के तौर पर नीरज डांगी राज्यसभा भेजे जा चुके हैं। पार्टी अब राजपूत, जाट, आदिवासी चेहरे को उतारने की तैयारी में है।
राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन, यूपी कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी को भी पार्टी राजस्थान से उम्मीदवार बना सकती है। वहीं, एआईसीसी महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह, RTDC चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ के नाम की भी चर्चा है।
कांग्रेस 3 सीटों पर उतारेगी प्रत्याशी
राजस्थान विधानसभा में पार्टी वाइज सदस्यों की स्थिति देखें तो कांग्रेस के 108, भाजपा के 71, निर्दलीय 13, आरएलपी के 3, बीटीपी के 2, माकपा के 2 और आरएलडी के 1 सदस्य हैं। आरएलडी सरकार में शामिल है। गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत के वक्त निर्दलीय विधायकों, बीटीपी और माकपा ने सरकार को समर्थन दिया था।
इसलिए माना जा रहा है कि निर्दलीयों और अन्य पार्टियों के सदस्यों के बूते कांग्रेस को तीसरी सीट जीतने में भी ज्यादा जोर नहीं आएगा। राज्यसभा की कुल 10 सीटों में अभी बीजेपी के पास 7 और कांग्रेस के पास 3 हैं। चुनाव के बाद कांग्रेस की 6 और बीजेपी की 4 सीटें हो सकती हैं। बीजेपी को 3 सीटों का लॉस हो सकता है। राजस्थान से कांग्रेस के मौजूदा सांसदों की संख्या राज्यसभा में दोगुनी हो सकती है।
ये होगा जीत का फॉर्मूला
संख्या बल के आधार पर कांग्रेस अगर 3 प्रत्याशी खड़ा करेगी। तो उन्हें जिताने के लिए 41-41-41 यानी पहली वरीयता के कुल 123 वोट चाहिए। जबकि बीजेपी यदि 2 प्रत्याशी खड़े करेगी। तो उन्हें जिताने के लिए 41-41 यानी 82 वोट पहली वरीयता के चाहिए। ऐसे में 1 सीट के लिए मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है। जिसमें निर्दलीयों और अन्य पार्टियों के विधायकों की बाड़ेबंदी करनी पड़ेगी।
5 बार हुई है बाड़ेबंदी
पिछले साल 2021 में असम में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद कांग्रेस के सहयोगी एआईयूडीएफ के विधायकों को राजस्थान भेजा गया था। प्रदेश की मौजूदा गहलोत सरकार के कार्यकाल में यह 5वीं बड़ी बाड़ेबंदी थी। नवम्बर 2019 में महाराष्ट्र के विधायकों की जयपुर के एक रिसोर्ट में बाड़ेबंदी की गई। इसके बाद फरवरी 2020 में मध्यप्रदेश और गुजरात के विधायकों की दिल्ली रोड के होटल और रिसोर्टस में बाड़ेबंदी की गई।
इसके अलावा 2020 में ही राज्यसभा चुनाव के दौरान बाड़ेबंदी की गई और उसके बाद जुलाई-अगस्त में राजस्थान कांग्रेस में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और उनके 18 समर्थक विधायकों की बगावत के बाद खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को 34 दिन तक बाड़े में बंद रहना पड़ा था। इसमें विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए सरकार को जयपुर से लेकर जैसलमेर तक के चक्कर लगाने पड़े थे।
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