राजस्थान को अभी 2863 मेगावाट बिजली की और जरूरत है। जब जाकर प्रदेश की अधिकतम बिजली की डिमांड पूरी हो सकेगी और बिजली की कटौती बन्द हो सकेगी। जबकि प्रदेश की औसत बिजली डिमांड पूरी करने के लिए भी 1989 मेगावाट बिजली और चाहिए। इसके लिए राजस्थान को बिजली का प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। अपने बन्द पड़े पावर प्लांट्स को फिर से चालू करना होगा। उसके लिए कोयले की जरूरत है।
डिमांड ज्यादा,सप्लाई कम
प्रदेश में 12 अक्टूबर को बिजली की औसत उपलब्धता 9916 मेगावाट रही। जबकि औसत डिमांड 10790 मेगावाट रही है। पीक ऑवर्स में अधिकतम डिमांड 12779 मेगावाट तक पहुंच गई। जिससे पता चलता है कि राजस्थान में 2863 मेगावाट बिजली जनरेशन की और जरूरत है।
20 रैक कोयला मिलने लगा,7 से 9 रैक और चाहिए
प्रदेश को अभी 20 रैक कोयला मिलना शुरू हो चुका है। करीब 7 से 9 रैक कोयला प्रदेश को और मिले। तब जाकर हालात कंट्रोल हो पाएंगे। अधिकतम डिमांड पूरी करने के लिए 2863 मेगावाट बिजली पैदा होगी। इसके लिए करीब 9 रैक कोयला थर्मल पावर प्लांट्स की यूनिट्स में लगेगा। जबकि न्यूनतम डिमांड पूरी करने के लिए भी कम से कम 7 रैक कोयले के और खपेंगे।
मुख्यमंत्री की अपील-बिजली बचाओ
प्रदेश में बिजली संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री गहलोत ने आम लोगों से बिजली बचाने की अपील जारी की है। गहलोत ने कहा है कि राज्य सरकार कोयले की आपूर्ति बढ़ाने के लिए लगातार केन्द्र सरकार के सम्पर्क में है, ताकि लगातार बिजली प्रोडक्शन हो सके और लोगों को बिना रूकावट बिजली प्लाई मिल सके। उन्होंने अपील की है कि बिजली का सीमित और विवेकपूर्ण इस्तेमाल करें। जो बिजली उपकरण काम नहीं आ रहे हैं,उन्हें बंद रखें और बिजली बचाएं।
गहलोत ने कहा है कि प्रदेश ही नहीं, पूरा देश इस समय भयंकर बिजली संकट से जूझ रहा है। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। मौसम तंत्र के बदलाव से बिजली की मांग ज्यादा हो गई है। डिमांड और सप्लाई में फर्क बढ़ा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश ही नहीं, पूरा देश इस समय भयंकर बिजली संकट से जूझ रहा है। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है। मौसम तंत्र के परिवर्तन से बिजली की मांग अधिक हो गई है। मांग और आपूर्ति में अंतर बढ़ा है। उन्होंने कहा कि चीन,यूरोप,यूके,लेबनान समेत कई देशों में बिजली संकट लगातार बढ़ रहा है।
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