सीएम अशोक गहलोत खेमे से जुड़े कांग्रेस विधायकों के इस्तीफों पर हाईकोर्ट ने विधानसभा स्पीकर से पूरा रिकॉर्ड मांगा है। हाईकोर्ट ने अगली सुनवाई में हलफनामे के साथ विधायकों के इस्तीफे, स्पीकर के फैसले और उन पर स्पीकर की टिप्पणी का पूरा रिकॉर्ड पेश करने को कहा है। सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की पीआईएल पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है।
कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि इस्तीफे तय करने के लिए कोई तय अवधि नहीं होना और लंबे समय तक पेंडिंग रखना हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देना है। सीजे पंकज मित्थल ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने इस्तीफों पर निर्णय कर लिया है। यह सही है, लेकिन इसके लिए कोई तय समय सीमा तो होनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि इन्हें लंबे समय तक पैंडिंग रखा जाए।
केवल इस्तीफे नामंजूर करने की जानकारी से काम नहीं चलेगा
खंडपीठ ने विधानसभा स्पीकर का आदेश पेश नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पहले विधानसभा सचिव की ओर से पेश किए गए हलफनामे में भी यह जानकारी नहीं थी कि स्पीकर के सामने विधायकों ने कब इस्तीफे पेश किए। अभी तक विस्तृत जवाब नहीं दिया है। जो जवाब दिया है, उसमें भी केवल इस्तीफे को अस्वीकार करने की ही जानकारी दी गई है।
30 जनवरी को पूरा रिकॉर्ड पेश करना होगा
हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा कि 30 जनवरी को विधानसभा सचिव के हलफनामे के जरिए नए सिरे से बताएं कि एमएलए ने कब इस्तीफे दिए और स्पीकर ने उन पर क्या कार्रवाई की? इसके अलावा स्पीकर की इस्तीफों पर की गई टिप्पणियां और दस्तावेजों को भी पेश किया जाए। यह भी बताएं कि स्पीकर की ओर से लिए जाने वाले फैसले को वे अनिश्चतकाल के लिए पेंडिंग रख सकते हैं। मौजूदा केस के संबंध में यह अवधि कितनी होनी चाहिए?
महाधिवक्ता का तर्क- विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए
सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने कहा कि नियमों में यह प्रावधान है कि इस्तीफे को वापस लिया जा सकता है। यदि एमएलए ने इस्तीफों को वापस लिया है तो इसी आधार पर स्पीकर ने उन्हें नामंजूर किया होगा।
विधायक कभी इस्तीफा दे रहे हैं,कभी वापस ले रहे हैं
हाईकोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि एमएलए कभी इस्तीफा दे रहे हैं,कभी वापस ले रहे हैं। वे इस संबंध में खुद ही तय नहीं कर पा रहे हैं कि जनप्रतिनिधि रहेंगे या नहीं। ऐसे में वे जनप्रतिनिधि के तौर पर अपना काम कैसे करेंगे और जनता की बात को कैसे सामने रखेंगे?
राठौड़ का तर्क- इस्तीफे दिए एमएलए के वेतन-भत्ते रोकें
सुनवाई के दौरान उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने अदालत में प्रार्थना-पत्र पेश कर कहा कि पहले 91 एमएलए के इस्तीफा देने की बात कही थी, लेकिन अब 81 एमएलए के ही इस्तीफा दिया जाना बताया जा रहा है। ऐसे में विधानसभा सचिव का हलफनामा ही संदेहास्पद हो जाता है।
हलफनामे में पूरी जानकारी नहीं है और यह नहीं बताया गया कि किन-किन एमएलए ने कब-कब इस्तीफे दिए और उन पर स्पीकर ने कब और क्या-क्या टिप्पणियां कीं। यदि 110 दिन पहले 91 एमएलए के इस्तीफों के संबंध में स्पीकर के निर्देश पर कोई जांच की गई तो उसका क्या परिणाम रहा?
इस्तीफों को अस्वीकार करने वाले आदेश को भी अदालत के रिकाॅर्ड पर लाया जाए। वहीं जितने समय तक इस्तीफों को मंजूर नहीं किया गया उस अवधि में एमएलए को वेतन-भत्ते सहित अन्य सुविधाएं लेने का का कोई हक नहीं था और इसलिए उनकी यह राशि रोक देनी चाहिए।
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