भास्कर एक्सक्लूसिवसीपी जोशी को भाजपा प्रदेशाध्यक्ष बनाने की इनसाइड स्टोरी:आखिर किसने निभाई बड़ी भूमिका; चुनाव से पहले गुटबाजी खत्म करने की कोशिश

जयपुर3 महीने पहलेलेखक: बाबूलाल शर्मा
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सात महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने अपने नए वजीर की ताजपोशी कर दी है। राजस्थान की चुनावी शतरंज पर भाजपा सोच-समझकर अपनी चाल रही है। इसी सोची-समझी रणनीति के तहत सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है।

आखिर चुनाव से ऐन पहले इस तरह का चौंकाने वाला फैसला पार्टी ने क्यों किया? इससे भाजपा को क्या फायदा होगा और कैसे अब अगले कुछ ही महीनों में भाजपा की चुनावी बिसात बिछी हुई नजर आएगी, पढ़िए भास्कर की एक्सक्लूसिव स्टोरी में...

चित्तौड़गढ़ से दूसरी बार सांसद सीपी जोशी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनाकर केंद्रीय नेतृत्व ने कई मैसेज दिए हैं। केंद्रीय नेतृत्व ने राजस्थान भाजपा में चल रही गुटबाजी को दूर करने का प्रयास तो किया ही है, साथ ही केंद्र और प्रदेश में कोई ब्राह्मण चेहरा प्रमुख भूमिका में नहीं होने की कमी को पूरी करके ब्राह्मण समाज को भी आने वाले चुनावों के लिहाज से साधने का काम किया है।

सीपी जोशी के नाम ने सभी को चौंका दिया है। पढ़िए जोशी के नाम फाइनल होने की इन साइड स्टोरी...

बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद चित्तौड़गढ़ सांसद सीपी जोशी ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की।

कटारिया और पूनिया ने जोशी का नाम आगे बढ़ाया
भाजपा सूत्रों का कहना है सीपी जोशी को अध्यक्ष बनाने के पीछे असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया और खुद सतीश पूनिया की भूमिका अहम रही है। जब नए अध्यक्ष के नामों पर चर्चा हुई तो केंद्रीय नेतृत्व के सामने कटारिया और पूनिया ने जोशी का नाम आगे बढ़ाया। जोशी भाजपा की प्रदेश कार्यकारिणी में उपाध्यक्ष के नाते काम देख रहे थे।

सूत्र बताते हैं कि पूनिया का तीन साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद जब नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हुई तो पूनिया ने ही केंद्रीय नेतृत्व को जोशी का नाम सुझाया। इसके बाद कटारिया ने जोशी की केंद्रीय नेतृत्व के सामने पैरवी की। जोशी केंद्रीय स्तर पर अमित शाह के साथ सहकारिता से जुड़ी संसदीय समिति में भी महत्वपूर्ण भूमिका में होने के कारण उनकी गुड बुक में पहले से ही थे।

यही कारण रहा कि कटारिया, पूनिया और शाह के कारण सीपी जोशी को प्रदेश भाजपा का मुखिया बनने का मौका मिला।

फोटो 4 मार्च की है। सालासर बालाजी के मंदिर में जन्मदिन के मौके पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने यहां पूजा-अर्चना की थी।
फोटो 4 मार्च की है। सालासर बालाजी के मंदिर में जन्मदिन के मौके पर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने यहां पूजा-अर्चना की थी।

वसुंधरा-पूनिया के बीच बढ़ रही थीं तल्खियां
भाजपा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर सतीश पूनिया के बीच लगातार आपसी खींचतान बढ़ रही थी। जनवरी में जब पूनिया का कार्यकाल खत्म होने के बाद भी उनको प्रदेश अध्यक्ष के पद पर बरकरार रखा गया तो दोनों में दूरियां ज्यादा बढ़ने लगीं। पिछले दिनों वसुंधरा राजे के सालासर में हुए जन्मदिन कार्यक्रम को लेकर दोनों में अदावत काफी बढ़ गई थी।

वसुंधरा राजे के जन्मदिन कार्यक्रम के दिन ही जयपुर में पार्टी की ओर से सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का कार्यक्रम तय होने से भी विवाद गहराने लगा था। घटना से नाराज राजे समर्थक नेता इस बात को लगातार हवा दे रहे थे कि पूनिया-वसुंधरा राजे को तवज्जो नहीं दे रहे। यह बात आम हो गई थी कि वसुंधरा राजे और सतीश पूनिया में बन नहीं रही है।

कार्यकर्ताओं में भी लगातार नेगेटिव मैसेज जा रहा था। इससे पार्टी में नीचे तक गुटबाजी पनप रही थी। केंद्रीय नेतृत्व ने बीच का रास्ता निकालकर पूनिया का एक्सटेंशन रोककर नए अध्यक्ष के तौर पर सीपी जोशी का नाम घोषित कर दिया।

किरोड़ी-पूनिया में भी दिखी थीं दूरियां
जिस तरह से वसुंधरा राजे और पूनिया के बीच तल्खियां शुरू से ही दिख रही थीं, पिछले कुछ दिनों से राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ीलाल मीणा की भी पूनिया से दूरियां दिखने लगी थीं। पेपर लीक के मामले में आंदोलन कर रहे डॉ. किरोड़ी लाल ने पूनिया पर यह आरोप लगाकर पार्टी के भीतर खलबली मचा दी थी कि पूनिया उनका आंदाेलन में सहयोग नहीं कर रहे।

बाद में पूनिया ने धरने पर जाकर दूरियां दूर करने की कोशिश की थी। इसके साथ ही वीरांगनाओं के रिश्तेदारों को नौकरी देने को लेकर भी किरोड़ीलाल ने आंदोलन किया था, लेकिन भाजपा देरी से शामिल हुई।

दूसरी तरफ पूनिया और पार्टी के अन्य नेताओं का मानना रहा है कि किरोड़ीलाल पार्टी की ओर से घोषित कार्यक्रमों के बजाय अपने स्तर पर आंदोलन शुरू करते रहे हैं।

फोटो 19 मार्च की है। जयपुर के विद्याधर नगर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और सांसद सीपी जोशी भी मौजूद थे।
फोटो 19 मार्च की है। जयपुर के विद्याधर नगर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और सांसद सीपी जोशी भी मौजूद थे।

जोशी के नाम राजस्थान में दूसरे नंबर पर वोटों से जीत का रिकॉर्ड
सीपी जोशी चित्तौड़गढ़ से लगातार दूसरी बार सांसद हैं। पहली बार उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीनियर नेता गिरिजा व्यास को हराया था। दूसरी बार 2019 में सीपी जोशी ने कांग्रेस के गोपाल सिंह शेखावत को हराया।

पिछले चुनाव में सीपी जोशी राजस्थान में भीलवाड़ा सांसद सुभाष बहेड़िया के बाद सबसे ज्यादा दूसरे नंबर पर वोटों से जीत का रिकॉर्ड बनाने वाले सांसद रहे थे। उन्होंने 5,76,247 वोटों से कांग्रेस को हराया। उनकी लोकप्रियता को भी पार्टी ने ध्यान में रखकर चयन का आधार माना है।

भाजपा की सोशल इंजीनियरिंग में ब्राह्मण हाशिए पर थे
भाजपा राजस्थान में चुनाव को देखते हुए सोशल इंजीनियरिंग पर भी फोकस है। मौजूदा समय में प्रदेश भाजपा में कोई भी ब्राह्मण चेहरा प्रमुख भूमिका में नहीं था। इसी तरह केंद्र की भाजपा सरकार और राष्ट्रीय संगठन में भी राजस्थान से कोई ब्राह्मण चेहरा प्रभावी भूमिका में नहीं है।

राजस्थान से लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर भाजपा के कुल 28 सांसद है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में राजस्थान की भागीदारी की बात करें तो चार मंत्री हैं। इनमें तीन लोकसभा सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुनराम मेघवाल और कैलाश चौधरी और एक राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हैं।

गुरुवार को सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त करने पर बीजेपी राष्ट्र महासचिव व मुख्य प्रभारी अरुण सिंह की ओर से आदेश जारी किया गया था।
गुरुवार को सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष नियुक्त करने पर बीजेपी राष्ट्र महासचिव व मुख्य प्रभारी अरुण सिंह की ओर से आदेश जारी किया गया था।

गजेंद्र सिंह शेखावत गैर आरक्षित वर्ग से आते हैं, जबकि बाकी तीनों मंत्री आरक्षित वर्ग से हैं। इनमें एक एससी और दो ओबीसी वर्ग से हैं। लोकसभा अध्यक्ष के पद पर कोटा सांसद ओम बिड़ला हैं, जो वैश्य वर्ग से आते हैं।

उपराष्ट्रपति के पद पर जगदीप धनखड़ हैं, जो जाट समुदाय से हैं। भाजपा के प्रदेश नेतृत्व, केंद्रीय मंत्रिमंडल और राष्ट्रीय संगठन में कोई भी ब्राह्मण नेता प्रमुख भूमिका में नहीं होने के कारण सीपी जोशी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की है।

राजस्थान में ब्राह्मणों को बड़ा वोट बैंक माना जाता है। हाल ही में जयपुर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में भी समाज को राजनीतिक रूप से कम आंके जाने की बात उठी थी।

फोटो जयपुर के ब्राह्मण महापंचायत की है। बताया जा रहा है कि बीजेपी ने जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बना ब्राह्मणों को साधा है।
फोटो जयपुर के ब्राह्मण महापंचायत की है। बताया जा रहा है कि बीजेपी ने जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बना ब्राह्मणों को साधा है।

संगठन को समझने वाला नेता ही प्रदेश अध्यक्ष चाहती थी भाजपा
राजस्थान में अगले सात महीने बाद चुनाव होने हैं। इस बार भाजपा बूथ स्तर तक संगठन की मजबूती पर काम कर रही है। ऐसे में पार्टी में किसी ऐसे चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की खोज चल रही थी जो मौजूदा काम को आगे बढ़ा सके। संगठन को समझने वाले नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की इसी सोच के कारण सीपी जोशी का चयन होना माना जा रहा है।

जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाने के बाद सतीश पूनिया ने ट्वीट भी किया था।
जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाने के बाद सतीश पूनिया ने ट्वीट भी किया था।

संगठन में नीचे से शुरुआत करके सीपी जोशी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर पहुंचे हैं। उनको संगठन को समझने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र जीवन से 1994 में चित्तौड़गढ़ कॉलेज छात्रसंघ में उपाध्यक्ष से हुई थी।

अगले ही साल 1995 में वे चित्तौड़गढ़ कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष बने। वर्ष 2000 से लेकर 2005 तक वे जिला परिषद सदस्य रहे। 2005 से 2010 तक चित्तौड़गढ़ की भदेसर पंचायत समिति के उप प्रधान रहे। वे चित्तौड़गढ़ भाजपा के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रदेश भाजपा संगठन में वे सितंबर 2014 से 2017 तक प्रदेश युवा मोर्चा के अध्यक्ष रहे। अभी पूनिया की टीम में वे प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर काम कर रहे थे।

जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाने में सबसे अहम भूमिका सतीश पूनिया की रही। जयपुर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में भी सतीश पूनिया मौजूद थे।
जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाने में सबसे अहम भूमिका सतीश पूनिया की रही। जयपुर में हुई ब्राह्मण महापंचायत में भी सतीश पूनिया मौजूद थे।

पूनिया को दी जा सकती है नई जिम्मेदारी
सतीश पूनिया के तीन साल के कार्यकाल में संगठन के स्तर पर हुए कामों को देखते हुए भाजपा उनको चुनाव से पहले कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दे सकती है। प्रदेश भाजपा प्रभारी अरुण सिंह का कहना है कि सतीश पूनिया ने राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी के संगठन को विस्तार देने और संगठन को मजबूत करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

उनके नेतृत्व में सफलता पूर्वक राजनीतिक कार्यक्रम हुए हैं। गहलोत सरकार के खिलाफ जन आक्रोश व संघर्ष में उन्होंने अपनी भूमिका निभाई है। उनकी आगे भी भूमिका रहेगी। माना जा रहा है कि पूनिया को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के खाली चल रहे पद पर या चुनाव अभियान समिति जैसे किसी पद पर जिम्मेदारी दी जा सकती है।

अब वसुंधरा के रुख पर रहेगी नजर
भाजपा के सीनियर नेताओं का कहना है कि वसुंधरा राजे शुरुआत से ही पूनिया से अनबन के कारण प्रदेश इकाई के कार्यक्रमों से दूरी बनाकर चल रही थीं। चूंकि अब पूनिया का प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर नेतृत्व खत्म हो चुका है। ऐसे में भाजपा में वसुंधरा के अगले रुख को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

केंद्रीय नेतृत्व भी इस बात को नकार नहीं रहा कि राजस्थान में वसुंधरा की कार्यकर्ताओं पर पकड़ के कारण चुनाव में उनका रोल कम करके नहीं आंका जा सकता। आने वाले दिनों में यह संभव है कि राजे पार्टी की रणनीति और चुनावी तैयारियों में प्रमुख भूमिका में दिखाई दें।

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बीजेपी ने विधानसभा चुनाव से आठ महीने पहले राजस्थान संगठन में बड़ा बदलाव कर चौंकाया है। सतीश पूनिया की जगह चित्तौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी को बीजेपी का नया प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। पूनिया करीब साढ़े तीन साल तक इस पर रहे। माना जा रहा था कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव तक पूनिया ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते रहेंगे। (पूरी खबर के लिए क्लिक करें)