राजस्थान में पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता देने के लिए शुक्रवार से विशेष कैंप लगाए जा रहे हैं। प्रदेश के 6 जिलों में बसे 13 हजार 150 पाक विस्थापितों को सरकार की ओर से भारत की नागरिकता दी जाएगी। इसकी शुरुआत जालोर जिले से की जा रही है। 8 अक्टूबर से 26 नवंबर तक अलग-अलग जिलों में कैंप लगाए जाएंगे।
जालोर में 8 अक्टूबर, बाड़मेर में 28 और 29 अक्टूबर, जोधपुर में 9 नवंबर, जैसलमेर में 17 और 18 नवंबर, पाली में 22 नवंबर और उदयपुर में 25 और 26 नवंबर को पाक विस्थापितों को नागरिकता के प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
राजस्थान में 2393 पाक विस्थापितों को दी जा चुकी नागरिकता
गृह विभाग के प्रमुख सचिव अभय कुमार ने बताया कि इन कैंप में जिला लेवल पर नए नागरिकता के आवेदन ऑनलाइन स्वीकार किए जाएंगे, जबकि पेंडिंग नागरिकता ऐप्लिकेशन का निपटारा कर नागरिकता से जुड़ी समस्याओं का समाधान भी किया जाएगा। राजस्थान सरकार की ओर से अब तक 2 हजार 393 पाक विस्थापितों को भारतीय नागरिकता दी जा चुकी है।
ऐसे मिलती है विस्थापितों को भारत की नागरिकता
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता अधिनियम, 1955 के 2009 के नियमों के तहत एक नोटिफिकेशन जारी कर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में विस्थापित होने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के निर्देश दे रखे हैं। इन विस्थापितों को नागरिकता दी जा रही है। यह लाभ अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को मिलता है, जो भारत में कम से कम 6 साल से निवास कर रहे हैं।
पहले इसकी समय सीमा 12 साल थी, जिसे घटाया गया है। इन तीन देशों में अल्पसंख्यक कम्युनिटी में मुख्य तौर पर हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोग शामिल हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से भारत में विस्थापित ज्यादातर लोग गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं।
कलेक्टर और गृह सचिव को है अथॉरिटी
गृह मंत्रालय ने कलेक्टर को अपने जिलों में विस्थापितों को नागरिकता देने की पावर दे रखी है। विस्थापितों की पूरी जांच पड़ताल होने के बाद कलेक्टर उन्हें सीधे नागरिकता के सर्टिफिकेट देते हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए ऐसे लोगों को नैचुरलाइजेशन के तहत नागरिकता दी जाती है। नैचुरलाइजेशन का मतलब होता है कि विस्थापित किसी भी देश की नागरिकता पाने के लिए विदेशी नागरिक होने की सभी शर्तों को भी पूरी करते हैं। कलेक्टर या सचिव की ओर से सर्टिफिकेट में साइन किया जाता है। भारतीय नागरिक के रूप में रजिस्ट्रेशन या नैचुरलाइजेशन से भारतीय नागरिक बनाने का रजिस्टर भी कलेक्टर को रखना होता है। इसकी एक कॉपी केन्द्र सरकार को नागरिकता देने के 7 दिनों में पेश करनी होती है।
नागरिकता संशोधन कानून के बाद आया बदलाव
नागरिकता कानून 1955 में लागू हुआ था। इसके तहत किसी भी विस्थापित व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 12 साल भारत में रहना अनिवार्य था। केन्द्र सरकार ने 10 जनवरी 2020 में सीएए यानी नागरिकता संशोधन कानून देश में लागू किया।
संशोधित विधेयक में पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों (हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई) को नागरिकता मिलने का समय घटाकर 12 साल से 6 साल किया गया है। हालांकि मुस्लिमों और अन्य देशों के नागरिकों के लिए यह अवधि 12 साल ही है। साथ ही 31 दिसंबर 2014 तक या उससे पहले आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिल सकेगी।
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