राजस्थान में अनुसूचित जनजाति की कैटेगरी में 'मीणा' या 'मीना' का विवाद फिर गहराने के आसार हैं। केंद्रीय जनजाति विकास मंत्रालय ने राजस्थान में 'मीणा' की जगह 'मीना' को ST में माना है। केंद्रीय जनजाति विकास मंत्रालय ने राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा के सवाल पर 16 मार्च को लिखित जवाब देते हुए मीणा समुदाय को ST में नहीं माना है। मंत्रालय ने जवाब में साफ लिखा है- राजस्थान में ST लिस्ट में 'मीना' जाति 9वें नंबर पर है। राजस्थान में 'मीना' ST में है। 'मीणा' समुदाय ST में नहीं है।
जवाब में यह भी लिखा है कि राज्य सरकार को अगर ST की लिस्ट में संशोधन की जरूरत है, तो उसे एंथ्रोपोलॉजिकल स्टडी करवाकर तय प्रक्रिया से विस्तृत प्रस्ताव भेजना होगा। केंद्र सरकार ने मीणा-मीना विवाद पर किसी तरह का स्पष्टीकरण देने से इनकार करते हुए राज्य सरकार के पाले में ही गेंद डाल दी है।
किरोड़ी ने पूछा था- क्या मीना-मीणा एक हैं?
किरोड़ी ने सवाल में पूछा था- क्या राजस्थान में मीणा-मीना एक ही जाति है। उनमें एक मात्र अंतर उनकी नाम पद्धति है। इस संबंध में 2015 से राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजे गए पत्रों के ब्योरे सहित केंद्र सरकार की ओर से राज्य को भेजे गए स्पष्टीकरण क्या हैं? क्या राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी करने का अनुरोध किया है तो केंद्र सरकार कब तक आवश्यक संशोधन करने का विचार रखती है?
केंद्र का जवाब- 'मीणा' राजस्थान की ST सूची में नहीं
केंद्रीय जनजाति विकास मंत्रालय ने किरोड़ी के सवाल के जवाब में लिखा- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश संशोधित अधिनियम-1976 के तहत 'मीना' जाति राजस्थान की एसटी लिस्ट में क्रम संख्या—9 पर सूचीबद्ध है। सूची के हिंदी अनुवाद में अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद 'मीना' ही लिखा है और 'मीणा' जाति राजस्थान की अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं है।
मंत्रालय ने लिखा- संशोधन के लिए राज्य सरकार का प्रस्ताव नहीं आया
जनजाति विकास मंत्रालय ने सवाल के जवाब में लिखा है कि राजस्थान सरकार ने 23 अक्टूबर, 2020 को एक मेल भेजकर अपने 5 अक्टूबर,2018 को भेजे गए पत्र के अनुसार राजस्थान की 'मीना' व 'मीणा' की जनजाति स्थिति पर स्पष्टीकरण मांगा है। राजस्थान सरकार को सूचित कर दिया है कि यदि उन्हें राजस्थान की अनुसूचित जाति की सूची में संशोधन की आवश्यकता लगती है तो वह इसके लिए मौजूदा नियमों के तहत मानव जाति विज्ञान अध्ययन के साथ विस्तृत प्रस्ताव भेजे। हालांकि, इस संबंध में राज्य सरकार का प्रस्ताव अभी तक नहीं आया है।
2013 से शुरू हुआ विवाद, राज्य सरकार कह चुकी मीना-मीणा एक
2013 में आरटीआई के जवाब में केंद्रीय जनजाति मंत्रालय ने मीणा जाति को एसटी मानने से इनकार करते हुए मीना जाति को एसटी बताया था। 2014 में राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्य पीठ ने सुगनलाल भील की याचिका पर आदेश दिया कि मीणा जाति को एसटी का कोई लाभ नहीं देने और मुख्य सचिव को आदेश की पालना को कहा था। सरकार ने हाईकोर्ट में पेश जवाब में बताया कि मीणा और मीना नाम एक ही जाति के हैं सिर्फ बोली के फर्क के कारण मीना को मीणा बोला और लिखा जाने लगा है। इस आदेश के बाद मीणा नाम से जाति प्रमाण-पत्रों को बड़ी संख्या में मीना नाम से बदलवाने का सिलसिला प्रारंभ हो गया। हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा तो 2014 में सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग ने मीणा नाम से बने हुए जाति प्रमाण-पत्रों को मीना नाम से बदलने पर रोक लगा दी थी। मीणा समाज के आंदोलित होने पर सरकार ने उक्त आदेश को वापस ले लिया था। सुगनलाल भील की याचिका आज भी लंबित है।
संवैधानिक प्रावधान बड़ी अड़चन
एसटी-एससी आरक्षण संवैधानिक प्रावधान है। हर राज्य के एससी और एसटी की सूची अलग-अलग होती है। अंग्रेजी और हिंदी की इस सूची में जाति को जो नाम लिखा होता है, केवल वही जाति एसटी या एससी मानी जाती है। सूची में दर्ज नाम के अतिरिक्त मिलता-जुलता नाम भी मान्य नहीं होता। एससी व एसटी की सूची में किसी भी प्रकार का संशोधन का अधिकार केवल संसद को है और यह संशोधन भी दो तिहाई बहुमत से ही हो सकता है। संशोधन के लिए राज्य सरकार केंद्र को मानव जाति विज्ञान अध्ययन के साथ विस्तृत प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजना होता है। संशोधन बिल संसद से पारित होने पर राष्ट्रपति संशोधन की अधिसूचना जारी करते हैं।
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