आजादी के अमृत महोत्सव के तहत संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, जवाहर कला केंद्र, क्यूरियो जयपुर ओर से आयोजित कॉमेडी थिएटर फेस्टिवल खेला के चौथे दिन दो नाटकों की प्रस्तुति हुई। पहली प्रस्तुति हैन्स क्रिश्चियन एंडरसन् की प्रसिद्ध कहानी एम्पायर न्यू क्लॉथ से प्रेरित नाटक उजबक राजा तीन डकैत रही। कृष्णायन सभागार में आयोजित इस प्रस्तुति से पहले जयपुर के वरिष्ठ अभिनेता, निर्देशक स्व. बेनीप्रसाद शर्मा को स्पेशल ट्रिब्यूट दिया। उनके कृतित्व और व्यक्त्वि पर जयपुर के रंगकर्मी ईश्वर दत्त माथुर और हरिनारायण शर्मा ने प्रकाश डाला।
उजबक राजा तीन डकैत नाटक भोग विलासिता में डूबे राजा की कहानी है। नाटक में अपने भोग विलास के हवन में आम जनता को राजा स्वाह करता नजर आता है। अंत में अपनी ही देशी वस्तुओं को नकारता हुआ राजा इंटरनेशनल व मल्टीनेशनल के चक्कर में तीन ठगोँ के जरिए धन-दौलत और यहां तक की इज्जत भी गंवा बैठता है। खंडाला के राजा देशबंधु के अपने राज्य में आने की खबर से राजा अपने राज्य को सजाता है और कम्पटीशन जीतने की होड़ में मल्टीनेशनल दर्जियों को बुलवाता है और बुलवाने के इस क्रम में दर्जियों रूपी तीन ठगों से ठगा जाता है। नाटक स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने का संदेश देता है।
मंच पर गौरव गौतम, सुमित निठारवाल, विशाल बैरवा, ललित् कुमार, दीपक जांगिड़, संस्कार रोहिल्ला, सोनू शर्मा, विकास शर्मा, निधि सिंह, सोनाली, प्रियंका सैनी, कविता सैनी, हिमांशु वर्मा, इब्राहिम अली, राकेश, पीयूष शर्मा, राहुल यादव, सुमुख महर्षि, गौरांग शर्मा, प्रिंस वर्मा, अनुराग सैनी, राकेश जटवाल और प्रांजल गुर्जर ने अभिनय किया।
तरुण दत्त के निर्देशन में नाटक का मंचन
दूसरी प्रस्तुति शाम को रंगायन में भोपाल के तरुण दत्त पांडेय के निर्देशन में बेशर्ममेव जयते नाटक के रूप में हुई। यह नाटक राजस्थान के वरिष्ठ नाट्य निर्देशक स्व. एस वासुदेव सिंह जी को समर्पित रहा। इनके कृतित्व पर जाने-माने अभिनेता नरेंद्र गुप्ता ने प्रकाश डाला। यह नाट्य प्रस्तुति बेशर्ममेवजयते वरिष्ठ व्यंग्यकार प्रेमजनमेजय की व्यंग्य यात्रा कृति है, जिसमें समाज मे फैली कुरीतियों, अराजकता, भष्ट्राचार एवं व्यभिचार को प्रदर्शित किया गया। यह तीन कहानियों का कोलाज रहा। प्रत्येक कहानी में दिखाया गया है कि समाज का हर वर्ग सब ओढ़ कर भी निर्वस्त्र घूम रहा है और यह आक्षेप लगा रहा है कि जो उसे देख रहा है वह बेशर्म है गांधीजी के तीन आदर्श बुरा मत देखो सुनो कहो कि जगह बुरा ही देख सुन और कह रहा है उसने सत्यमेव जयते के मायने बदल दिए है गर्व से कह रहा है बेशर्ममेवजयते। मंच पर योगेश कुमार उमाठे, अपूर्व दत्त मिश्रा, रमेश अहिरे, आशीष ओझा, सक्षम अहिरे सुनीता अहिरे ने अभिनय किया।
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