चुनावी वर्ष में सरकार रिपीट करने के दावे को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने एक नया नारा कार्यकर्ताओं को दे दिया है। यह नारा है कांग्रेस के लिए आगामी विधानसभा चुनावों में 156 सीटें लाने का। इसे सीएम गहलोत ने मिशन-156 कहा है। गहलोत ने सीटों की संख्या को लेकर पिछले सवा चार सालों में पहली बार कोई दावा किया है।
इससे पहले वे सरकार रिपीट करने की बातें तो करते रहे हैं, लेकिन कभी सीट जीतने का दावा नहीं किया। आखिर इस आंकड़े में ऐसा क्या है? गहलोत ने मिशन 156 का नारा क्यों दिया? इसके कई मायने हैं। यह न सिर्फ सचिन पायलट को जवाब है बल्कि केंद्रीय नेतृत्व को यह मैसेज भी है कि राजस्थान में अंतिम समय तक एकता रहेगी और सब मिलकर काम करेंगे तो राजस्थान में यह मिशन पूरा होगा।
गहलोत के इस बयान के क्या संकेत हैं?
गहलोत इस 156 के आकंड़े के जरिए यह बताना चाहते हैं कि कांग्रेस पहले ऐसा कर चुकी है। वे पार्टी में एकजुटता की बात करते हुए यह भी कहते हैं कि अगर हम मिलकर चुनाव लड़ें तो यह कोई बड़ी बात नहीं है।
एकजुटता के तर्क के पीछे वे इशारों में सचिन पायलट की हाल ही में हुई सभाओं के जरिए अंदरूनी चुनौती पर भी केंद्रीय नेतृत्व का ध्यान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। उनकी इस बात के पीछे केंद्रीय नेतृत्व को यह बताने की कोशिश भी है कि अगर राजस्थान में गुटबाजी न हो तो वे न सिर्फ सरकार रिपीट कराने का माद्दा रखते हैं बल्कि अब तक के सर्वश्रेष्ठ आकंडे़ को भी छू सकते हैं।
बता दें कि वर्ष 1998 में कांग्रेस जब सत्ता में आई थी, तब वो 200 में से 153 सीटों पर चुनाव जीती थी। बाद में 3 सीटों पर उप चुनाव में भी जीती, ऐसे में सीटों की संख्या 156 हो गईं। यह कांग्रेस का अब तक सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन रहा है राजस्थान में। इसलिए सीएम गहलोत चाहते हैं कि कांग्रेस 2023 के अंत में होने वाले चुनावों में भी अपना यही प्रदर्शन दोहराए।
पिछले 24 वर्षों में कांग्रेस कभी नहीं कर पाई मिशन 156 जैसा ऐसा करिश्मा
सीएम गहलोत द्वारा दिया गया नया नारा गंभीर बात है या फिर कोई नया चुनावी शिगुफा या फिर कार्यकर्ताओं में जोश फूंकने का नया मंत्र यह तो वर्ष 2023 के अंत में होने वाले चुनावों के बाद ही पता चलेगा, लेकिन यह सच है कि बीते 24 वर्षों में 1998 की 156 सीटों जैसा करिश्मा कांग्रेस कभी नहीं दोहरा पाई है।
वर्ष 1998 के विधानसभा चुनावों के बाद बीते 24 वर्षों में कांग्रेस ने मई-1999 के लोकसभा, दिसंबर-2003 के विधानसभा, मई-2004 के लोकसभा, दिसंबर-2008 के लोकसभा, मई 2009 के लोकसभा, दिसंबर-2013 के विधानसभा, मई 2014 के लोकसभा, दिसंबर 2018 के विधानसभा और मई 2019 के लोकसभा चुनाव लड़े हैं। इनमें कभी भी कांग्रेस को वैसी चुनावी सफलताएं नहीं मिली हैं जैसी विपक्षी पार्टी भाजपा को मिलती रही हैं।
पिछले 30 वर्षों में राजस्थान में किसी पार्टी की सरकार रिपीट नहीं हुई
सीएम गहलोत के मिशन-156 में सबसे बड़ी बाधा राजस्थान की राजनीतिक तासीर भी है। वर्ष 1993 से लेकर 2023 तक के पिछले 30 वर्षों में राजस्थान में किसी पार्टी की सरकार रिपीट नहीं हुई है। वर्ष 1993 में भैंरोंसिंह शेखावत की सरकार थी जो वर्ष 1998 में सत्ता में वापसी नहीं कर सकी।
उसके बाद 1998 में कांग्रेस पार्टी की जबरदस्त बहुमत (156) की सरकार बनी, लेकिन वो भी 2003 में वापसी नहीं कर सकी। उसके बाद 2003 में भाजपा ने 200 में 120 सीटें हासिल कर सरकार बनाई, लेकिन 2008 में सत्ता पुन: हासिल नहीं कर सकी। एक बार फिर 2008 में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन 2013 में रिपीट नहीं हो सकी। वर्ष 2013 में भाजपा ने राजस्थान के राजनीतिक इतिहास में सर्वाधिक सीटें (200 में से 163) हासिल कीं, लेकिन फिर भी 2018 में सरकार की वापसी नहीं ही हो पाई। ऐसे में वर्ष 2023 में राजस्थान की राजनीतिक परम्परा टूटेगी या नहीं, अभी कहा नहीं जा सकता।
कांग्रेस के लिए क्यों मुश्किल है अगले चुनाव की डगर?
कांग्रेस ने वर्ष 2018 में जैसे-तैसे निर्दलीय और बसपा के विधायकों को खुद के साथ मिलाकर सरकार तो बना ली, लेकिन पिछले सवा चार साल में लगातार कांग्रेस पार्टी और सरकार को सीएम गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच गुटबाजी का सामना करना पड़ा।
जुलाई-2020 में तो सरकार गिराने की साजिशें भी हुईं। उसके बाद तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को अपना पद खोना पड़ा। सीएम गहलोत ने उन्हें नाकारा-निकम्मा तक कहा। इसके बाद सितंबर-2022 में आलाकमान के प्रतिनिधियों के विरोध में 91 विधायकों ने इस्तीफे दिए। इसके बाद एक बार फिर सीएम गहलोत ने पायलट को गद्दार कहा।
पायलट ने भी नागौर, हनुमानगढ़, चाकसू, टोंक क्षेत्र में हाल ही रैलियां कर पेपर लीक प्रकरण के लिए सीएम गहलोत की कार्रवाई पर यह कह कर हमले किए कि सरगनाओं को गिरफ्तार किया जाना चाहिए। ऐसे माहौल में यह बहुत बड़ी चुनौती है कि कांग्रेस सरकार रीपीट हो जाए। विधानसभा की 200 में से 156 सीटें लाना तो करिश्मा ही होगा।
मैंने सोच समझ कर कहा है मिशन-156
सीएम गहलोत का कहना है कि उन्होंने सोच समझ कर कहा है मिशन-156 के बारे में। उन्होंने कहा कि जब मैंने इतना बढ़िया काम किया है। मुझे चाहे कोरोना हो गया हो तीन-तीन बार लेकिन कोई कसर नहीं छोड़ी। मैंने 500 बार वीडियो कांफ्रेंसिंग की हैं। हर चीज में मैं जान लगा रहा हूं। मैं बिना सोचे समझे कोई बात नहीं बोलता। जब भी बोलता हूं तो दिल की बात जुबान पर आती है।
कांग्रेस की विधानसभा की सीटें
कांग्रेस का लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन
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'मेरे प्रदेशाध्यक्ष रहते 156 सीट आई थी, फिर लाएंगे'
सीएम अशोक गहलोत ने इशारों में सचिन पायलट को जवाब देते हुए कहा है कि 1998 में हमारी 156 सीट आई थी, उस समय मैं प्रदेशाध्यक्ष था। अब फिर हमें मिशन-156 पर काम करना है। उतनी ही सीटें वापस लानी है। मैं ऐसे ही रात दिन एक नहीं कर रहा हूं। मैं बिना सोचे समझे कोई बात नहीं बोलता हूं, मुझे गॉड गिफ्ट है, दिल की बात बोलता हूं। गहलोत ने 2018 की सरकार बनाने के पीछे भी खुद की सरकारों के कामकाज को ही कारण बताकर पायलट पर पलटवार किया। पूरी खबर पढ़ें
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