राजस्थान में कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण पहली लहर की तुलना में 7 गुना तेजी से फैल रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहली लहर जब सितंबर में आई और नवंबर तक चली दो लाख केस 101 दिन में आए थे। यानी औसतन 50 दिन में एक लाख केस। अब दूसरी लहर में (अप्रैल-मई) में संक्रमण फैलने की रफ्तार सात गुना हो गई और एक सप्ताह से भी कम समय में एक लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं। राज्य में कोरोना का पहला केस एक मार्च को इटली के एक यात्री में सामने आया था। तब पूरे प्रदेश में हड़कंप मच गया था। इसके बाद देखते ही देखते भीलवाड़ा, जयपुर, झुंझुनूं सहित कई अन्य शहरों में केसों की संख्या में लगातार इजाफा होने लगा। धीरे-धीरे केस बढ़ने लगे और 194 दिन बाद यानी 12 सितंबर को राज्य में संक्रमित केसों की संख्या एक लाख पर पहुंची थी। उस समय तक प्रदेश में 1221 लोगों की कोरोना से जान चली गई थी।
सितंबर से बढ़ने लगा पहली लहर का प्रकोप
एक लाख केस जब राजस्थान में आए थे, तब प्रदेश में मृत्युदर अब तक के कोरोनाकाल की सबसे ज्यादा थी। उस समय मृत्युदर 1.21 फीसदी थी। राज्य में पहली लहर का प्रकोप भी सितंबर से ही बढ़ने लगा। इसके बाद अचानक कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा होने लगा। अक्टूबर-नवंबर तक स्थिति ये हो गई कि लोगों को सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड्स उपलब्ध नहीं होते थे। नवंबर के आखिरी में कोरोना पीक पर आया और तब राज्य में सबसे अधिक 3314 संक्रमित केस 24 नवंबर को मिले, जो सर्वाधिक थे।
राज्य में कोरोना की दूसरी लहर ने अप्रैल में दस्तक दी। अप्रैल के शुरुआत में 1350 संक्रमित केस एक दिन में मिले थे, जो तेजी से बढ़ते चले गए और 17 दिन के अंदर केसों की रफ्तार 6 गुना से अधिक बढ़ गई। पहली लहर 12 सितंबर से 22 दिसंबर यानी कुल 101 दिन के अंदर 2 लाख लोग संक्रमित हुए थे, जबकि 1413 लोगों की इस दौरान मौत हुई थी। दूसरी लहर का प्रकोप इतना खतरनाक होगा ये किसी ने अंदाजा भी नहीं लगाया था। दूसरी लहर में 17 अप्रैल से 12 मई यानी 25 दिन के अंतराल में 4 लाख लोग संक्रमित हो गए, जबकि 3049 लोगों की इस बीमारी से मौत हो गई।
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