महिला अफसर और एक अफसर की पत्नी सुर्खियों में:बीजेपी की महिला नेता को नोटा से क्यों हरवाया, राज्य मंत्री ने की खुद अपने प्रमोशन की घोषणा

जयपुर2 वर्ष पहलेलेखक: गोवर्धन चौधरी
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विपक्षी पार्टी की एक महिला नेता को ​राजनीति का जोरदार सबक मिला। पूर्व सीएम के जिले में बीजेपी का एक ही प्रधान बना। उसी पंचायत समिति में उप प्रधान के चुनाव में खड़ी हुई महिला नेता को अपनी पार्टी से एक भी वोट नहीं मिला। महिला नेता को केवल एक वोट मिला और वह भी खुद का।

14 पंचायत समिति सदस्यों में से 12 ने नोटा को वोट दे दिया। बहुमत होते हुए भी बीजेपी पंचायत समिति सदस्यों का अपनी उप प्रधान उम्मीदवार को हराने का मामला जयपुर से लेकर दिल्ली तक सियासी हलकों में खूब चर्चाएं बटोर रहा है।

महिला अफसर और एक अफसर-पत्नी की बेनामी प्रॉपर्टी की ईडी जांच
प्रदेश की एक महिला अफसर का एसीबी से लेकर इनकम टैक्स और ईडी तक जांच का अंतहीन सिलसिला जारी है। भ्रष्टाचार के जीरो टाॅलरेंस के दावों के बावजूद अफसर अब भी आराम से नौकरी कर रही हैं। भ्रष्टाचार पकड़ने वाली एजेंसी के घेरे में आने के बाद काफी बेनामी प्रॉपर्टी भी सामने आई।

बेनामी प्रॉपर्टी की जांच इनकम टैक्स से होते हुए ईडी तक पहुंच गई, लेकिन महिला अफसर का आज तक कुछ नहीं बिगड़ा। इसी तरह एक अफसर की पत्नी भी ईडी की जांच के घेरे में हैं, लेकिन एक्शन के नाम पर दोनों ही मामलों में वर्क इन प्रोग्रेस ही है। दोनों ही मामले में बेनामी प्रॉपर्टी ​के हैं।

नेताजी यूटर्न की तैयारी में
राजनीति में कोई स्थायी दोस्त दुश्मन नहीं होता, कौन नेता कब किसका दोस्त और कब दुश्मन बन जाए यह हालात और आपसी फायदे नुकसान पर निर्भर करता है। पिछले दिनों सत्ताधारी पार्टी के तीन नेता एक साथ प्रदेश के मुखिया के सरकारी बंगले पर पहुंचे। तीन में से एक नेता को वहां देखकर हर कोई चौंक गया। एक से रहा नहीं गया और वहां आने का कारण पूछ ही लिया। नेताजी ने जवाब दिया, पहले प्रदेश के मुखिया से मिल तो लेने दे, बाकी सब बाद में तय हो जाएगा।

ये नेताजी पिछले साल की बगावत में शामिल थे, लेकिन अब इन नेताजी के मन में कुछ विचलन आने की सूचना है। अगर ऐसा नहीं होता तो वे वहां नहीं दिखते। वैसे नेताजी पिछले टर्म में कई बार सरकार को नाकों चने चबवा चुके हैं।

मं​त्रियों-विधायकों की संगठन से बेरुखी का राज?
सत्ताधारी पार्टी सत्ता में होने के बावजूद अब तक आंदोलन के मोड में ही रही है। केंद्र के खिलाफ महीने भर का जनजागरण आंदोलन शुरू करने के लिए पिछले दिनों सत्ताधारी पार्टी के मुख्यालय में बड़ी बैठक बुलाई गई। सत्ता और संगठन के मुखिया दोनों बैठक में रहे, लेकिन मंत्रियों और विधायकों ने रुचि ही नहीं ली। केवल छह मंत्रियों और 18 विधायकों ने ही आंदोलन की रणनीति वाली बैठक में आना जरूरी समझा।

इस बेरुखी की अब हर तरफ चर्चा है। मंत्रियों की बेरुखी तो इसलिए कि अब राज में आने के बाद आखिर कौन सड़क पर उतरना चाहेगा। फिर विधायक भी तो सत्ताधारी पार्टी के हैं और इस बार उनके जलवे भी मंत्रियों से कम हैं क्या, इसलिए वे भी क्यों धरने प्रदर्शनों में अपना वक्त जाया करेंगे? धरने प्रदर्शन का काम तो कार्यकर्ता ही करेंगे।

मैंने पीया, मेरे बैल ने पीया.. अब कुआं ढह पड़े...
अपने बयानों से अक्सर विवादों में रहने वाले विपक्षी पार्टी के मेवाड़ वाले नेताजी का भी कोई जवाब नहीं। पिछले दिनों उन्होंने सियासी परिवार से टिकट नहीं देने और बार-बार एक ही नेता की जगह हर बार नए लोगों को टिकट देने का फार्मूला दिया। नेताजी खुद आठ बार विधायक रह चुके, आगे उम्र के हिसाब से मार्गदर्शक मंडल में बैठना है।

नेताजी ने फार्मूला देकर कह भी दिया कि उनकी वजह से भी कई कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिल पाया। उनके एक ​विरोधी ने इस पर रोचक टिप्पणी की- ऐसे लोगों के लिए एक कहावत है- मैंने पीया और मेरे बैल ने पीया, अब कुआं ढह पड़े...।

राज्य मंत्री ने की खुद के प्रमोशन की घोषणा
दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव जीतने के बाद सत्ताधारी पार्टी के नेता फूले नहीं समा रहे हैं। रिजल्ट आने के बाद एक अति उत्साही राज्य मंत्री ने खुद के प्रमोशन की घोषणा कर दी। राज्य मंत्री ने खुद का डिपार्टमेंट भी तय कर लिया। राज्य मंत्री अभी युवाओं के खेल में कौशल बढ़ा रहे हैं, लेकिन चाह जमीन के खजाने की है।

जिन नेताओं के सामने यह बात हुई, उन्होंने कई जगह इस बात को नमक मिर्च लगाकर कही। यह अलग बात है कि राज्य मंत्री ने जिस डिपार्टमेंट की बात कही है, उसे संभालने वाले मंत्री भी जीतने वाली सीट के प्रभारी थे।

बड़े नेताजी के खास अफसर के साथ आईएएस की कॉफी पर चर्चा
अफसर सत्ता के रुख और संभावना वाले नेताओं को भांपने में माहिर माने जाते हैं। ​दिल्ली के एक बड़े नेताजी के खास अफसर के साथ दो आईएएस की लंबे समय से कॉफी पर चर्चा की गूंज ​पावर कॉरिडोर्स में सुनाई देने लगी है। इनमें से एक आईएएस सेंटर में जाने वाले हैं। दिल्ली वाले नेताजी के खास अफसर से कॉफी पर चर्चा के लिए इन दिनों और भी कई आईएएस जुगत बैठाने में लगे हैं।

इस उत्सुकता की पड़ताल में सामने आया कि पावर-सीकर्स आईएएस अफसरों का यह पुराना फंडा है। जहां भविष्य में पावर आने की संभावना हो, वहां पहले से अपना प्लेटफार्म तैयार रखा जाए। अभी 2023 दूर है और जहां ये आईएएस पावर देख रहे हैं वहां अभी केवल संभावनाएं ही हैं।

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