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विश्व मातृभाषा दिवस पर ह्यूमिनिटी इंटरनेशनल संस्था की आबूरोड शाखा के तत्वावधान में सोमवार को वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें सुमति कुमार जैन ने आयोजन का महत्व समझाते हुए कहा कि विश्व में हर देश की अलग-अलग भाषाएं है।
यह दिन विश्वस्तर पर मानव को अपनी मातृभाषा से जोडने का दिन है। वैश्वीकरण के युग में हम विविध भाषाओं से एकरूपता की ओर निरन्तर बढ़ रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ह्यूमिनिटी इंटरनेशनल संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद कुमार भंसाली ने मातृभाषाओं के साहचर्य से राष्ट्रभाषा के विकास को लेकर विचार साझा किए। मिजोरम विश्वविद्यालय, आइजोल के सहायक आचार्य डाॅ. अखिलेश कुमार शर्मा ने मुख्य वक्ता के रुप में कहा कि नई शिक्षा नीति-2020 का माध्यम मातृभाषा होना चाहिए, जो ज्ञान के नए आयामों का विस्तार करेगा। संगोष्ठी निदेशक ह्यूमिनिटी इंटरनेशनल आबूरोड शाखा अध्यक्ष तथा सेठ मंगल चंद चौधरी राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय आबूरोड की हिन्दी विभागाध्यक्षा डाॅ. अनिता गुप्ता ने कहा कि हिन्दी संवाद और साहित्य की भाषा है।
इसके विकास के सार्थक प्रयास आवश्यक है। मुंबई से साहित्यकार डाॅ. सरोज गुप्ता ने कहा कि मातृभाषा भावाभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम और विचारों की जनक होती है। हमें वाणिज्य और व्यापार की भाषा के रूप में मातृभाषा के विकास को देखना होगा। संगोष्ठी समन्वयक डाॅ. लालसिंह राजपुरोहित ने मंच संचालन करते हुए मातृभाषा के व्यवहार और विकास पर बल दिया।
संगोष्ठी की सह समन्वयक डॉ.. विदुषी आमेटा ने क्षेत्रीय भाषाओं की गरिमा और अस्तित्व के साहचर्य से हिन्दी के विस्तार व विकास पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में दीपक जैन, डाॅ. देवेन्द्र मुझाल्दा, डाॅ. अशोकसिंह चारण, डाॅ. सुरेन्द्रा कुमारी, ज्ञानवती, हड़मत चौधरी व नीलम राठौड़ मौजूद थे।
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