पाली के ट्रांसपोर्ट नगर थाना में 9वीं में पढ़ने वाली नाबालिग को उसका पड़ोसी शादी की नीयत से भगा ले गया। परिजनों को पता चला तो तुरंत ट्रांसपोर्ट नगर थाने में रिपोर्ट दी। पुलिस आरोपी की तलाश में जुटी है। आरोपी शादीशुदा है। उसकी खुद की एक 12 साल की बेटी और 8 साल का बेटा है। आरोपी ड्राइविंग का काम करता है, जो दूसरी शादी कर पाली में रह रहा था। आरोपी जिस नाबालिग को लेकर भाग वो उसकी बेटी की सहेली भी है।
पुलिस के अनुसार आरोपी अशोक सरगरा (38) बींजागुड़ा (मारवाड़ जंक्शन) का रहने वाला है। पिछले 6 महीने से वह ट्रांसपोर्ट नगर थाना क्षेत्र में किराए के मकान में रह रहा था। जिस व्यक्ति ने अशोक को किराए का मकान दिलाया था, वह उसी की नाबालिग बेटी को प्रेम जाल में फंसाकर ले गया, जो कक्षा 9वीं में पढ़ती है।
सुबह उठे तो नाबालिग गायब मिली
20 अगस्त की सुबह परिजन उठे तो नाबालिग गायब मिली, जिससे उनके होश उड़ गए। उन्होंने अपने स्तर पर ढूंढा, लेकिन उसका कोई सुराग नहीं लगा। इतने में पड़ोस में रहने वाली अशोक की पत्नी भी अपने पति को ढूंढते नजर आई। पूछा तो सामने आया कि पति रात को घर में था, लेकिन वह सुबह उठी तो वह घर में नहीं मिला। नाबालिग के परिजनों ने अशोक के मोबाइल पर कॉल किया, लेकिन बंद मिला। तुरंत परिजन ट्रांसपोर्ट नगर थाने पहुंचे और आरोपी के खिलाफ उसकी नाबालिग बेटी को अपहरण कर ले जाने की रिपोर्ट दी।
जिसने साथ दिया उसी से किया दगा
आरोपी अशोक सरगरा गायब हुई लड़की के पिता का दोस्त है। लड़की के पिता ने ही उसे पाली में मकान किराए पर दिलवाया। ड्राइविंग की नौकरी लगवाने के लिए प्रयास किए। अब आरोपी उसी की नाबालिग बेटी को भगा ले गया। परिजनों ने बताया कि आरोपी पूर्व में भी गांधीधाम (गुजरात) व भीम में इस तरह के कांड कर चुका है। कुछ माह पहले ही जमानत पर रिहा होकर आया है।
दो से शादी की तीसरी को लेकर भागा
पुलिस के अनुसार आरोपी ने एक शादी अपने समाज में की। उसके बाद एक अन्य युवती से लव मैरिज की। वर्तमान में उसके साथ ही पाली में किराए के मकान में रहता था। आरोपी ज्यादा कमाता नहीं था। इसके साथ लव मैरिज की उससे भी कई बार मारपीट कर चुका है। उसकी पत्नी से भी पुलिस ने पूछताछ की, लेकिन वह कहां गया उसकी जानकारी नहीं होना बताया।
नाबालिग को कभी चॉकलेट तो कभी आइस्क्रीम खिलाता
आरोपी की बेटी व नाबालिग दोनों सहेलियां थीं। इसके चलते नाबालिग का उसके घर आना-जाना लगा रहता था। इसका आरोपी ने फायदा उठाया। वह कभी उसे चॉकलेट तो कभी आइस्क्रीम खिलाता था। परिजनों व आरोपी की पत्नी ने भी इसको लेकर कभी शक नहीं किया, क्योंकि नाबालिग उसकी बेटी की उम्र की थी, लेकिन उन्हें क्या पता था कि आरोपी के मन में क्या चल रहा है।
मैंने तो उसकी मदद की और उसने…
नाबालिग के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। मजदूरी का काम करने वाले नाबालिग के पिता थाने के बाहर बैठे-बैठे रो रहे थे। जो बोले- मैंने तो उसकी मदद की। किराए पर घर दिलवाया, उसकी नौकरी के लिए प्रयास किए। मेरी बेटी तो उसकी बेटी की उम्र की थी। इतना कहते ही वे रोने लगे। जिन्हें आस-पास बैठे लोग सांत्वना देते नजर आए।
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