पाली शहर के हाउसिंग बोर्ड-चादर वाला बालाजी मार्ग पर स्थित बेशकीमती विवादित जमीन को खाली करवाने और उस पर कब्जा करने की नीयत से जोधपुर से आए बदमाशों को औद्योगिक पुलिस ने रातों-रात जमानत दे दी। जबकि गाड़ियों में भर कर आए बदमाशों ने पाली में दहशत फैलाने का काम किया। गाड़ियों में तोड़फोड़ की और जबरदस्ती एक पक्ष को जमीन से बेदखल कर वहां कब्जा जमाने का प्रयास किया। पुलिस पकड़कर ले गई तो थाने में हेड कॉन्स्टेबल भंवरलाल पर लात चलाने का प्रयास किया। उसके बाद भी औद्योगिक थाना पुलिस ने ऐसी तत्परता दिखाई कि बदमाशों को रातों-रात एसडीएम के सामने पेश किया और जमानत दे दी। और घटना के 24 घंटे बाद भी परिवादी का मामला तक दर्ज नहीं किया। पीड़ित परिवार का आरोप है कि न तो आरोपियों की गाड़ियां जब्त की गई और न ही गाड़ियों की तलाशी ली गई जबकि उनमें हथियार थे। उन्होंने औद्योगिक थाना पुलिस की कार्रवाई पर प्रश्न चिन्ह खड़े किए।
अमूमन आम लोगों को 24 घंटे तक हवालात में रखा जाता है, मगर तीन घंटे में ही आरोपियों को एसडीएम के समक्ष पेश कर दिया। पीड़ित परिवार के युवक तो आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट देने गया था, लेकिन उसे भी शांति भंग में गिरफ्तार किया। आरोपियों ने हेड कॉन्स्टेबल को लात मारने की रपट रोजनामचे में डालने के बाद भी तीन नामजद आरोपियों को भी अन्य के साथ औद्योगिक थानाप्रभारी अरूण कुमार चौधरी ने छोड़ दिया। घटना सीसीटीवी में कैद है। बता दें कि कोर्ट ने साफ तौर पर कह रखा है कि अगर कोई भी परिवादी अगर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज कराने आए तो उसे गिरफ्तार नहीं करें।
सीरवी समाज ने दी आंदोलन की चेतावनी
शुक्रवार शाम को पीड़ित परिवार के साथ सीरवी समाज के लोए एसपी ऑफिस पहुंचे। सीरवी नवयुवक मंडल के अध्यक्ष दिनेश चौधरी व सचिव दिलीप चौधरी ने डीएसपी को ज्ञापन सौंपा। जिसमें आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है। इन लोगों ने कहा कि जमीन को लेकर जोधपुर से बदमाशों को बुलाकर शहर में अशांति पैदा करने तथा परिवार को धमकाने का प्रयास किया। इसको लेकर पूर्व में परिवाद देने के बाद भी पुलिस के अधिकारियों के गंभीरता से नहीं लेने का परिणाम शुक्रवार को हुआ घटनाक्रम है। इधर, आर्यवीर दल के प्रतिनधियों ने भी ज्ञापन देकर आरोप लगाया कि आरोपियों की गाड़ियों को बरामद नहीं किया गया। उनके पास हथियार होने के बाद भी नहीं दर्शाया गया। थाने में ही हेड कांस्टेबल के साथ मारपीट भी हुई। इसके बाद भी अधिकारियों की खामोशी से संदेह पैदा हो रहा है।
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