पाली नगर परिषद सभापति रेखा भाटी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। इसमें उन्होंने हवाला दिया की ठेकेदार हनुमान सिंह राजपुरोहित ने सुसाइड करने से पहले एक पत्र लिखा जिसमें आरोप लगाया कि नगर परिषद में किए गए कार्यों का भुगतान करने के लिए सभापति व अन्य अधिकारियों द्वारा रिश्वत मांगी जा रही है। आरोप की गंभीरता को देखते हुए पार्टी ने सभापति रेखा भाटी को निलंबित किया है।
15 दिन का दिया समय
इसके साथ ही भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया ने सभापति को 15 दिन का समय दिया है। इसमें वे इस घटनाक्रम को लेकर अपना पक्ष रख सकती है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का पत्र जो वायरल हो रहा है।
पार्षदों का सवाल, राकेश भाटी को क्यों नहीं किया निलंबित
कई पार्षदों ने जिलाध्यक्ष से सवाल किया कि सभापति के पति पार्षद राकेश भाटी का नाम भी सुसाइड नोट में है। उन्हें भाजपा की सदस्यता से निलंबित क्यों नहीं किया गया। मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष मंशाराम परमार ने बताया कि नगर परिषद सभापति पद पर रेखा भाटी है। उन्हें निलंबित करने की कार्रवाई पाली के प्रदेश अध्यक्ष ने की। पार्षद राकेश भाटी को पार्टी की सदस्यता से निलंबित क्यों नहीं किया इसको लेकर बात करेंगे।
पार्षद लगातार कर रहे निलंबन की मांग
बता दें कि सभापति रेखा-राकेश भाटी और पार्षदों में गतिरोध पिछले काफी समय से चल रहा है। पूर्व उप सभापति मूल सिंह भाटी से लेकर पार्षद किशोर सोमनानी, जय जसवानी, तेजाराम भायल, राधेश्याम चौहान, विकास बुबकिया, बलवंत पेटल सहित कई पार्षद उनके काम नहीं होने की शिकायत कर चुके हैं। सभापति रेखा और उनके पार्षद पति द्वारा भाजपा कार्यकर्ता की ढंग से व्यवहार नहीं करने की शिकायतें कर चुके हैं।
अब ठेकेदार हनुमान सिंह राजपुरोहित के आत्महत्या करने के बाद एक बार फिर पार्षद सभापति और उनके पति को निलंबित करने की मांग पर अड़ गए थे। ऐसे में भाजपा प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर शनिवार शाम को पार्षदों की बात सुनने पाली पहुंचे थे लेकिन जब उन्होंने कहा कि निलंबन की कार्रवाई प्रदेश अध्यक्ष करेंगे वे रिपोर्ट बनाकर उन्हें सौंप देंगे। इस पर पार्षद नाराज हो गए थे। उनकी मांग थी कि सभापति और उनके पति को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से तुरंत निष्कासित किया जाए। इसको लेकर उन्होंने शनिवार रात को डिस्ट्रिक्ट क्लब में धरना दिया था और हंगामा किया था।
इसलिए सभापति के विरोध में बना माहौल
नगर परिषद के ठेकेदार हनुमान सिंह राजपुरोहित ने ढाबर गांव में शुक्रवार शाम को फांसी लगाकर जान दे दी थी। उनकी जेब से सुसाइड नोट मिला। इसमें उन्होंने लिखा कि नगर परिषद में उनके दो से ढाई करोड़ रुपए बकाया हैं। जिसे रिलीज नहीं किया जा रहा। सुसाइड नोट में उन्होंने राकेश भाटी, आयुक्त बृजेश रॉय और लेखा शाखा के नरेश चौधरी का नाम लिख उन्हें आत्महत्या के लिए मजबूर करने का दोषी बताया। उन्होंने यह भी लिखा कि लोगों के बकाया रुपए वे नहीं दे पा रहे थे। बैंकों की किस्त भरने में उनको दिक्कत हो रही थी। ये लोग कमीशन के चक्कर में उनका बकाया पैसा उन्हें नहीं दे रहे थे। इसके चलते वे डिप्रेशन में थे। मामले को लेकर मृतक ठेकेदार के बेटे ने रोहट थाने में रिपोर्ट दी जिसमें उनके पिता हनुमान सिंह को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के लिए सभापति रेखा भाटी, उनके पार्षद पति राकेश भाटी, आयुक्त बृजेश रॉय और लेखा शाखा के नरेश भाटी को जिम्मेदार बताया। पुलिस ने मामला दर्ज किया। जांच सीओ सिटी अनिल सारण कर रहे है।
नगर परिषद में फैले भ्रष्टाचार पर किए सवाल खड़े
इधर सेवा और संकल्प महासमिति के अध्यक्ष जब्बरसिंह राजपुरोहित ने नगर परिषद भ्रष्टाचार को लेकर कई सवाल खड़े किए। और भाजपा और कांग्रेस का मिलाजुला अभियान बताया। उन्होंने कहा नेता अपने फायदे के लिए भ्रष्ट नेताओं को यहां जिले में ला रहे है। जिससे जनता परेशान रहती है। उन्होंने कहा इस मामले की वे मुख्यमंत्री से शिकायत करेंगे।
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