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अभिनेता सुशांत सिंह की मौत के बाद बॉलीवुड में नशे के सफेद धुएं के पीछे छिपे कई फिल्मी सितारों के नाम भी सामने आ रहे हैं। इसके साथ ही पूरे देश में ड्रग्स के खिलाफ माहौल भी बन रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि मुंबई ही नहीं बल्कि मारवाड़ में भी युवा पीढ़ी नशे की गिरफ्त में है। इनकी रगों में नशा दौड़ रहा है।
यह नशा शराब, सिगरेट, बीड़ी और डोडा अफीम का ही नहीं, बल्कि स्मैक व गांजा का है। जिले में सक्रिय कई ड्रग पैडलर इन युवाओं को मुंहमांगी कीमत पर नशे की पुड़िया परोसकर इनकी जिंदगी बर्बाद करने में लगे हुए हैं। शहर की बड़ी तादात में युवा पीढ़ी इसकी गिरफ्त में आ चुकी है।
भास्कर टीम शहर में कई जगह घूमी, नशे की खरीद-फराेख्त करने वालाें का पीछा किया ताे चाैंकाने वाले हालात नजर अाए। शहर में पैडलर दिनोंदिन नशे की जड़ें मजबूत कर रहे हैं। चोरी-छिपे बिकने वाले स्मैक, गांजा समेत नशे के कई अन्य सामान अब धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं। नशे की चपेट में आए युवा 500 से 1000 रुपए तक स्मैक की एक खुराक पीते-पीते सब कुछ लुटने के बाद निढाल हो रहे हैं।
इन तस्वीरों से समझिए... कितनी आसानी से मिल जाती है पाली में स्मैक
1. खोड़िया बालाजी क्षेत्र में स्मैक लेने के लिए युवक पहुंचा। पहले से ही बाहर स्मैक लेकर खड़ा युवक उसे पकड़ा देता है। वह उसे यहां पर ही कश लेने के लिए दबाव डालता है, मगर स्मैक का पैडलर उसे मना कर देता है कि अब यहां पर पिलाना बंद कर दिया है।
2. बीपीएल क्वार्टर वाली एक गली में तो स्मैक के साथ ही गांजा भी बेचा जा रहा है। एक युवक वहां पर गया तथा उसने 500 रुपए का नोट देते हुए उसके पास से स्मैक ले ली। यहां पर जोधपुर समेत अन्य जिलों के युवक भी नशे का यह कारोबार कर रहे हैं।
ऐसी तबाही: नशे के लिए अपराध के दलदल में फंसे युवा
नया गांव का रमेश (बदला हुआ नाम) - सिगरेट से शुरू हुआ सुरूर गांजा तक पहुंच गया। इसके बाद स्मैक में उलझा। पैसे नहीं थे तो चोरियां करने लगा, पहले अपनी मां क गहने चुराकर उनको नशे के धुएं में उड़ा दिया। घरों में डाका डालने लगा।
हैदर काॅलोनी का सुभान खान (बदला हुआ नाम) - शुरू से ही नशे की संगत में पड़ा। स्मैक पीकर वह अपराध करने लगा। सुनसान मार्ग पर लोगों से मारपीट कर रुपए-मोबाइल छीनकर इस पैसे से स्मैक पीने लगा। दो बार जेल भी जा चुका।
शहर में यह हैं पैडलर्स के अड्डे
पुनायता औद्योगिक क्षेत्र, मंडिया रोड बाइपास, जवड़िया मोड़, रामदेव रोड, शहीद भगतसिंह काॅलोनी, बजरंग वाड़ी क्षेत्र, नई सब्जी मंडी, सर्वोदय नगर, सरदार समंद मार्ग, सुमेरपुर मार्ग। इसी प्रकार फोरलेन पर आबाद कई ढाबों व होटलों पर भी आसानी से यह नशा मिल रहा है।
एक बार नशा किया तो राेज की तलब
मनाेचिकित्सक डाॅ..... के अनुसार यह नशा इतना खतरनाक है कि अगर 15 दिन कर लिया जाए ताे आदत लग जाती है। तलब मिटाने के लिए जैसे-तैसे स्मैक का जुगाड़ करना पड़ता है। नहीं मिलने पर गुस्सा होना तथा झगड़ा करना जैसी आदतें सामान्य हो जाती है। सही काउंसलिंग और उपचार के माध्यम से युवाओं काे इस नशे से दूर किया जा सकता है।
स्मैक की तलब बढ़ा रही अपराध
रिटायर्ड पुलिस अधिकारी..... के अनुसार स्मैक का नशा महंगे नशे में शुमार है। स्मैक काराेबार से जुड़े लाेगाें का काम यही हाेता है कि लाेगाें काे इसका आदी बनाए। उनके टारगेट पर सबसे ज्यादा युवा हाेते हैं। कुछ दिन सस्ते दाम पर नशा बेचते हैं, उसके बाद मुहमांगी कीमत वसूलते हैं। स्मैक खरीदने के लिए रुपए नहीं हाेने पर लाेग चोरी, लूटपाट जैसे अपराध करना शुरू कर देते हैं।
सरेआम नशे का कारोबार
स्मैक बेचने वाली महिला को एक युवक कॉल करता है। महिला उसे नई सब्जी मंडी मार्ग पर आने को कहती है। बाइक लेकर युवक वहां पहुंचता है। वहां एक युवक के साथ पहले से मौजूद महिला अपने पास माचिस की तिली में फंसी हुई स्मैक की पुड़िया पकड़ा देती है। बदले में युवक उसे 500 रुपए का नोट देता है। कि यह महिला दो बार पकड़ी जा चुकी है।
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