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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश पर गठित मॉनिटरिंग कमेटी के मुखिया जस्टिस प्रकाश टाटिया व बिट्स पिलानी के प्राेफेसर अजीत प्रताप सिंह के पाली में दाे दिन के दाैरे का असर अब दिखने लगा है। बांडी नदी की सूरत संवारने वाले महत्वाकांक्षी प्राेजेक्ट पर दो साल बाद काम शुरू हाे गया है। सीईटीपी ने इस प्राेजेक्ट का जिम्मा उठाते हुए काम शुरू कर दिया है।
जाेधपुर बाईपास स्थित ट्रीटमेंट प्लांट-4 तथा पुनायता के ट्रीटमेंट प्लांट-6 तक कुल 3.02 किमी तक बांडी नदी में जमा हुए कचरे काे हटाया जा रहा है। स्लज काे हटाकर उसे यार्ड तक पहुंचा रहे हैं। गड्ढों जमा रंगीन पानी काे भी ट्रेंच बनाकर प्रवाहित कर आगे किया जा रहा है, ताकि नदी में ही यह पानी सूख जाए। प्राेजेक्ट के तहत इस 3 किमी नदी की जमीन काे पूरी तरह से समतल करने के साथ ही काजरी के सहयाेग से हरियाली बढ़ाने के लिए छायादार पाैधे भी लगाए जाएंगे। इस नदी काे साफ करने के साथ ही समतल करने से सीधे ही नदी में पानी बहाने वाली इकाइयाें की भी पहचान आसानी से हाे जाएगी।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार दाे साल पहले एनजीटी ने अपने आदेश में बांडी नदी की दुर्दशा काे देखते हुए इसे साफ कराने तथा केमिकल वेस्ट से पूरी तरह से मुक्ति कराने के आदेश दिए थे। इसकी जिम्मेदारी नगर परिषद व रीकाे काे संयुक्त रूप से दी थी, मगर इस पर काेई काम नहीं हुआ। हाल ही में एनजीटी की मॉनिटरिंग कमेटी के प्रतिनिधियाें ने दाैरा कर बांडी नदी की हालत देखी थी।
इसमें जगह-जगह रंगीन पानी जमा हाेने के साथ ही स्लज भी जमा थी। कलेक्टर अंशदीप के आदेश पर अब सीईटीपी ने जाेधपुर-बाईपास से पुनायता तक 3 किमी से अधिक हिस्से काे साफ करने का जिम्मा उठाया है। इस पर बुधवार से काम भी शुरू हाे गया है।
यह हाेगा फायदा : नदी काे साफ, समतल करने से बदबू से मिलेगी निजात, शुद्ध हवा भी मिलेगी
1. जाेधपुर या पाली की तरफ से आने वाले यात्रियाें काे बदबू से मिलेगी निजात
2. एनजीटी के आदेश की पालना हाेगी, नदी से प्रदूषण खत्म हाेगा
3. पाैधराेपण हाेने से इस क्षेत्र में हरियाली हाेगी, रखरखाव से कचरा भी नहीं फैलेगा
4. अगर काेई इंडस्ट्रीज खुले में पानी छाेड़ती है ताे उसकी भी पहचान हाे जाएगी
5. समतल हाेने के साथ कई प्लांटेशन लगने से हवा भी काफी हद तक शुद्ध हाे जाएगी।
एनजीटी कमेटी के दाैरे का असर, यही काम नगर परिषद व रीकाे काे मिलकर करना था
अभी ये काम हो रहा: सीबी से स्लज काे कुरेदकर उसे डंपर तथा ट्रैक्टर-ट्राॅलियों में भरकर स्लज यार्ड में पहुंचाया जा रहा है। रंगीन पानी से भरे खड्डाें काे भी व्यवस्थित कर रहे हैं। सीईटीपी अध्यक्ष अनिल गुलेच्छा ने बताया कि इस कार्य काे तेजी से कराया जा रहा है। सफाई कराकर जमीन काे समतल करने के बाद नदी में ही हरियाली काे बढ़ाने के लिए काजरी के सहयाेग से पाैधे लगाए जाएंगे। इनकाे विकसित करने की जिम्मेदारी भी सीईटीपी की हाेगी। नदी का हिस्सा पूरी तरह से साफ हाेने के बाद इस तरफ आने वाले वाहन चालकाें काे बदबू से भी मुक्ति मिल जाएगी।
स्लज वाले वाहन में लगा है जीपीएस ट्रेकर, सीधा यार्ड पहुंचेगा
सीईटीपी ने बांडी नदी में जमा स्लज का हटाने तथा उसे सुरक्षित तरीके से स्लज यार्ड तक ले जाने के लिए जिन वाहनाें का उपयाेग किया जा रहा है। वह जीपीएस से लैस है। ताकि बांडी नदी से स्लज भरने के बाद इनकाे सीधे ही यार्ड तक लाया जा सके। जीपीएस से काेई भी वाहन इधर-उधर नहीं जा सकेगा। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारियों काे अवगत कराया जा चुका है।
आगे के लिए : भविष्य में पानी नहीं ठहरे, इसके लिए दाे अलग-अलग ट्रेंच बनाकर प्रवाह एक किया जा रहा
प्राेजेक्ट के तहत की बांडी नदी में ट्रीटेड तथा सिटी सीवेज का पानी नहीं ठहरे, वह सतत रूप से बहता रहे। इसके लिए भी दाे अलग-अलग ट्रेंच काे बनाकर उसका प्रवाह एक ही किया जा रहा है। एक ट्रेंच में ट्रीटमेंट प्लांट से छाेड़ने वाले ट्रीटेड पानी काे छाेड़ा जाएगा। वहीं दूसरे में सिटी सीवेज का पानी आएगा। यह दाेनाें आगे जाकर मिलते हुए सीधे ही बहते रहेंगे। इससे नदी में पानी जमा नहीं हाेगा। साथ ही पानी का फैलाव नहीं हाेने के अलावा गड्ढाें में भी जमा नहीं हाेगा।
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