टैक्सटाइल इंडस्ट्री में कम खर्चे में कौनसी तकनीक से बेहतर प्रोडेक्ट तैयार किया जा सकता है। जिसमें वेस्ट भी कम हो और स्लज भी कम निकले। इस पर रिसर्च करने दिल्ली, जयपुर की प्रदूषण नियंत्रण मंडल की टीम मंगलवार को पाली पहुंची। दो दिन तक टीम यहां रहेगी। इस दौरान पाली की फैक्ट्रियों में किस तकनीक से कपड़ों की रंगाई, छपाई का काम हो रहा है इसकी जानकारी जुटाएंगी।
बता दें कि उद्योग लगाने के इच्छुक नए उद्यमी को परेशानी का सामना न करना पड़े उसे टेक्सटाइल इंडस्ट्री की हर बेहतर तकनीक और मशीनरी की जानकारी मिल सके इसलिए केन्द्र सरकार जर्मन एजेंसी ओबा के जरिए देश भर में कपड़ा इंडस्ट्रीज का सर्वे करवा रही है। यह टीम दो साल में देश भर के औद्योगिक शहरों में जाकर वहां के टैक्सटाइल उद्योग पर रिसर्च करेगी। अभी तक इस टीम ने पानीपत, लुधियाना में सर्वे कार्य पूरा कर लिया है और अभी राजस्थान के दौरे पर है। पाली आई टीम में प्रदूषण नियंत्रण मंडल जयपुर के सीनियर पर्यावरण अधिकारी भुवनेश माथुर, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल के वैज्ञानिक ख अमित तिवारी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल जयपुर की कनिष्ठ पर्यावरण अधिकारी मोक्षदा गौतम, सोल्यूसन प्राइवेट कम्पनी के डीजीएम सुनील बहुगुना, सीनियर पर्यावरण अधिकारी साहिल सिद्दिकी आदि शामिल रहे। जिन्होंने पाली प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आरओ राहुल शर्मा से पाली की टैक्सटाइल इंडस्ट्रीज को लेकर मंगलवार को चर्चा की।
25 को लेंगे उद्यमियों की बैठक
पाली प्रदूषण नियंत्रण मंडल के आरओ राहुल शर्मा ने बताया कि टीम 25 जनवरी की दोपहर ढाई बजे मंडिया रोड ट्रीटमेंट प्लांट संख्या दो में उद्यमियों की बैठक लेगी। जहां टैक्सटाइल उद्योग पर टीम चर्चा करेगी।
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