मैं बीटेक छठे सेमेस्टर की स्टूडेंट हूं। मेरा इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन का पेपर तो अच्छा हुआ, लेकिन बैक आ गई। इस सेमेस्टर में बैक का मतलब प्लेसमेंट नहीं हाेना है। कॅरिअर बिगड़ना है। दरअसल, सब्जेक्ट के एसाेसिएट प्राेफेसर गिरीश परमार सर ने क्लास में सभी बच्चाें काे 31 संभावित सवाल दिए थे, लेकिन अपने 'चेहतों' को अलग से बताए। परीक्षा में उनका बताया एक भी प्रश्न नहीं आया और मेरी बैक लग गई।
एक दिसंबर काे मैंने परमार सर से पहली बार बात की और कहा कि आपका बताया एक भी प्रश्न परीक्षा में नहीं आया। वे कुछ बोले नहीं बल्कि घूरना शुरू कर दिया। एक बार आकर हाथ भी टच किए। मैं बहुत डर गई थी। इसके बाद उन्होंने कहा- 'अर्पित से मिल लेना।' अर्पित मेरी ही क्लास में पढ़ता है और उनका बिचाैलिया है। मैं उससे मिली ताे बाेला- ‘सर ताे ऐसे ही पास करते हैं। उनकी बात माननी पड़ेगी, नहीं ताे तू जिदंगीभर पास नहीं हाे पाएगी। एक बार हां कर दे। सर काे संबंध बनाना ही पसंद है। सर तुझे काेटा व काॅलेज की रानी बना देंगे। ऐश करेगी। ब्रांडेड चीजें देंगे।' अर्पित से मैं आखिरी बार 19 दिसंबर काे मिली थी। उसने कहा- 'बैक निकलवाने के लिए टेढ़े काम करने पड़ते हैं। सर काे तू चाहिए। दाे और छात्राएं भी टारगेट पर हैं। चार सीनियर छात्राएं ये सब कर चुकी हैं। जूनियर छात्राएं भी टारगेट पर हैं।'
मैं प्रोफेसर के मंसूबे समझ चुकी थी। मैंने उसके नेटवर्क का काला चिट्ठा खाेलने की ठान ली। इसके बाद 15 दिन तक दाे सहपाठियों के मार्फत हुई बाताें की रिकार्डिंग माेबाइल में की। अर्पित और मेरी ही क्लास की एक छात्रा लड़कियाें काे डराकर उन्हें परमार सर के पास पहुंचाते। मैंने 2 दिसंबर से इनकी हर बात रिकाॅर्ड करना शुरू किया। ये दाेनो इतने चालाक हैं कि पहले फाेन चैक करते। फोन की बजाय मिलकर बात करते। इसलिए मैंने दूसरा माेबाइल बैग में छिपा-छिपाकर रिकाॅर्डिंग की।
अर्पित ने मुझसे कहा था कि सर ने मुझे फुल पावर दे रखी है। बाेल रखा है- 'तुझे किस बात का डर? आराम से जाकर लड़कियाें से बात कर। तेरा कुछ बिगड़ नहीं सकता। मेरे पास फुल पैसा है। वीसी व डीन से अच्छी पहचान है।' मैंने अर्पित काे ये सब करने के लिए मना किया ताे बाेला- 'बैक निकलवाने के लिए करना पड़ता है। चाहे गलत काम करना पड़े। इसके बिना सर तेरी बैक निकलने नहीं देंगे।'
मैं ऐसी बात नहीं मान सकती थी, लेकिन मेरी डिग्री भी फंस रही थी। तब मैंने इसका भंडा फाेड़ने की ठानी। पिता काे बुलाकर पुलिस के पास दादाबाड़ी थाने पहुंची। पुलिस को ये सारी रिकाॅर्डिंग दी। मैंने तय कर लिया था कि राजस्थान में इंजीनियरिंग शिक्षा के बड़े संस्थान में अरसे से चल रहे इस घिनाैने षड्यंत्र का खुलासा करके रहूंगी। अब तक न जाने कितनी छात्राएं जाल में फंस चुकी होंगी। नहीं पकड़ाती तो और जाने कितनी छात्राओं को शिकार बनाता।
- जैसा पीड़िता ने दैनिक भास्कर के रिपाेर्टर पंकज मित्तल काे बताया
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