शहर धीरे-धीरे साेलर की ओर बढ़ रहा है। शहर में करीब 353 उपभोक्ता साेलर पैनल लगाकर बिजली बचा रहे हैं। डिस्कॉम के अनुसार उपभोक्ता साेलर से प्रतिमाह करीब 3 लाख यूनिट बिजली बचाकर डिस्कॉम काे दे रहे हैं। गर्मियों के दिनाें में साेलर से बिजली ज्यादा बनती है।
शहर के घराें में लाेगाें ने जहां 2 से 12 किलाेवाट तक के साेलर पैनल लगा रखे हैं। वहीं इंडस्ट्रीज में खपत व जगह के अनुसार 100 से 350 किलाेवाट के पैनल लगाकर बिजली बचाई जा रही है। साेलर पैनल लगाने में राशि खर्च करने के बाद इसमें लगे नेट मीटर के जरिए डिस्कॉम व उपभोक्ता के बीच बिजली का आदान-प्रदान भी हाेता है। साेलर पैनल से उत्पन्न बिजली का उपभोग करने के बाद ही डिस्कॉम की बिजली चालू हाेती है।
वन विभाग के बाद अब नगर परिषद में भी लगे पैनल : शहर में सबसे पहले सरकारी कार्यालयों में वन विभाग में पैनल लगे हाल ही में नगर परिषद ने भी यहां साेलर पैनल लगाया है, जो जल्द काम करेगा।
इंडस्ट्रीज का 7 रुपए प्रति यूनिट और घरेलू उपभाेक्ताओं का औसत 6 रुपए प्रति यूनिट की दर से बनता है बिल
अधिकारियों ने बताया कि उद्योग में करीब 7 रुपए प्रति यूनिट का खर्च हाेता है। वहीं घरेलू उपभाेक्ताओं का औसत खर्च 6 रुपए है। अब अगर घरेलू उपभोक्ता प्रतिमाह 400 यूनिट बिजली खपत करता है और 200 यूनिट साेलर से मिलती है ताे उपभोक्ता के 200 यूनिट का खर्च सिर्फ 1200 रुपए ही आएगा, जबकि साेलर पैनल नहीं लगा हाेने से 400 यूनिट का खर्च 2400 आएगा। ऐसे ही फैक्ट्रियों में संचालकों काे साेलर पैनल का पूरा फायदा मिल रहा है।
साेलर से बिजली बिल में बचत
बिल में जितनी बिजली साेलर से खर्च हाे रही और जितनी डिस्कॉम से खर्च हाे रही उसका हिसाब रहता है। पहले 15 हजार का बिल आता था, अब 10 हजार रह गया।
- संजय चाैधरी, उपभोक्ता पाली
साेलर प्लांट लगाने से फायदा
साेलर प्लांट लगाने से पहले प्रतिमाह करीब 2 से 2.5 लाख रुपए का बिल आता था। 110 किलाेवाट का साेलर प्लांट लगाने करीब 30 से 40% की बचत हाे रही।
- राणमल भंसाली, ग्रेनाइट उद्यमी पाली
शहर में 353 जगहों पर पैनल लगे
शहर में 353 साेलर पैनल लगे हैं। यह काम निजी कंपनी कर रही। डिस्कॉम सिर्फ नेट मीटरिंग करती है। बिल भी अलग बनते हैं। पैनल से उपभाेक्ताओ काे फायदा है।
- मनीष माथुर, एक्सईएन डिस्कॉम पाली
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