जीवन में सब कुछ अच्छा चल रहा था। एक दिन बुखार आया। बॉडी में कमजोरी महसूस होने लगी। दवाईयां लेकिन लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। जांच करवाने पर HIV होने का पता चला। तब ट्रेन के आगे कूदकर सुसाइड करने की सोचने लगा। ऐसे में परिवार का सपोर्ट मिला। अब पिछले 24 साल से दवाईयां ले रहा हूं। ये कहानी है, पाली के HIV पीड़ित की।
विश्व एड्स दिवस पर भास्कर से बातचीत करते हुए बलवान (बदला हुआ नाम) ने बताया कि HIV पीड़ितों का दर्द समझते हुए 2006 में पाली-मारवाड़ नेटवर्क फोर पीपल लिविंग विद HIV संस्थान कुछ लोगों के साथ मिलकर शुरू किया था। HIV रोग से पीड़ित लोगों की मदद का जिम्मा उठाया था।
अभी तक 350 गर्भवती महिलाओं की हॉस्पिटल में डिलीवरी करवाई। 347 महिलाओं के बच्चों को HIV दवाइयों के जरिए निगेटिव करवाया। साथ ही 10 HIV पीड़ितों की शादी करवाई। 2 हजार से ज्यादा लोगों के रोडवेज में पास बनवाए। उनको किराए में 75 प्रतिशत रियायत मिलनी शुरू हुई। इसके साथ ही ढाई हजार HIV पीड़ितों को पालनहार जैसी योजना से जोड़ा है।
घर वापस आने की हिम्मत नहीं हुई
बलवान ने अपनी लाइफ के बारे में बताया कि बात 1998 की है। वे मैसूर में हलवाई का काम करते थे। सब कुछ अच्छा चल रहा था। एक दिन बुखार आया और बॉडी में कमजोरी महसूस होने लगी। दवाईयां ली लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। हॉस्पिटल जाकर जांच करवाने पर HIV होने का पता चला। डॉक्टर ने बताया तो यकीन नहीं हुआ। मन में पहला सवाल उठा कि इस कलंक के साथ अब राजस्थान में अपने घर कैसे जाएंगे। लोगों को जवाब देने और उनकी तिरस्कार भरी निगाहों से बचने से अच्छा है, ट्रेन से कूदकर अपनी जान दे देंगे। लेकिन उनके साथ काम करने वाले दो युवकों को उनके साथ भेजा गया। जिससे कि उनको सकुशल घर तक पहुंचा सकें।
परिजनों ने दिया साथ
बलवान ने बताया कि घर पहुंचा तो माता-पिता ने गले लगाया और बोले कि तेरा इलाज करवाएंगे, चिंता मत कर। उनके इन शब्दों में बलवान में मानो जान भर दी। चार-पांच लाख रुपए परिजनों जयपुर, जोधपुर में इलाज करवाने में खर्च किए और सपोर्ट किया। इसके चलते बलवान आज HIV पीड़ित होने के 24 साल बाद भी दवाइयों के सहारे जिंदा है।
पहचान छुपाकर जीने की मजबूरी
एक HIV पीड़ित ने बताया कि समय के साथ लोग जागरूक हुए है लेकिन उन्हें आज भी अपनी पहचान छुपाकर रहना पड़ता है। किसी को पता चल जाए कि HIV पीड़ित है तो आज भी काम नहीं देते। ऐसे में उन्हें अपना घर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
पाली जिले में 5388 HIV मरीज
एआरटी सेंटर के रेकर्ड के अनुसार पाली जिले में HIV के 5388 मरीज है। इनमें से 2753 मरीज वर्तमान में नियमित दवाइंया ले रहे है। बांगड़ हॉस्पिटल के ART सेंटर की डॉ कुनिका वैष्णव ने बताया कि सरकार की और से HIV मरीज के लिए निशुल्क दवाइयां उपलब्ध करवा जा रही है। जिनका नियमित सेवन कर कुछ सावधानियां रखकर सामान्य इंसान जैसा जीवन HIV पीड़ित जी सकता है।
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