जिले में इन दिनों पेयजल संकट का दौर है। कहने को तो प्रशासन ने शहर के कई कुओं का अधिग्रहण किया है लेकिन हकीकत यह है कि शहर में आज भी कई कुएं ऐसे हैं जहां रात के अंधेरे में खुलेआम पानी का परिवहन होता है। यहां से पानी के ट्रैक्टर लोगों के घर तक जा रहे हैं या औद्योगिक इकाइयों में इसकी निगरानी करने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में धड़ल्ले से शहर में पानी की कालाबाजारी रात के अंधेरे में हो रही है और जनता पेयजल के लिए तरस रही है।
भास्कर टीम ने शहर में कई निजी कुओं की पड़ताल की जहां रात के अंधेरे में पानी के ट्रैक्टर से लेकर टैंकर तक भरवाए जा रहे हैं। बड़े-बड़े टैंकर फैक्ट्रियों में खाली होते नजर आए जो साफ दर्शाता है कि रात के अंधेरे में हो रही पानी की कालाबाजारी पर प्रशासन-जलदाय विभाग ध्यान नहीं दे रहे हैं। जरुरतमंद लोगों से तय दर से ज्यादा रुपए भी वसूले जा रहे हैं। इसको लेकर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा।
किसी ने मांगे 600 रुपए तो कही टैंकर भरता आया नजर
भास्कर टीम रात के अंधेरे में शहर में हो रही पानी की कालाबाजारी की पड़ताल करने पहुंची तो नहर पुलिया मरुधर होटल के सामने एक कुएं से ट्रैक्टर पानी भरता नजर आया। ड्राइवर से पानी के ट्रैक्टर के बारे में पूछा तो बोला कहां ले जाना है? इन्द्रा कॉलोनी में चौराहे के पास ले जाने के लिए कहा तो उसने 600 रुपए मांगे जबकि जलदाय विभाग ने 350 रुपए तय कर रखे हैं। इससे कुछ आगे गए तो बांगड़ कॉलेज के गेट के सामने एक घर से पानी के ट्रैक्टर-ट्रॉली भरवाए जा रहे थे। कुछ ऐसी ही स्थिति पानी दरवाजा से रणजी मंदिर की तरफ जाने वाले रास्ते पर देखने को मिली यहां भी अंधेरे में पानी के ट्रैक्टर भरवाए जा रहे थे।
रात के अंधेरे में फैक्ट्रियों में सप्लाई हो रहा पानी
पेयजल संकट के इस दौर में भी फैक्ट्रियों में पानी धड़ल्ले से पहुंच रहा है। भास्कर टीम ने जब मंडिया रोड, पुनायता औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति खंगाली तो यहां भी रात के अंधेरे में पानी के टैंकर व ट्रैक्टर खाली होते नजर आए। ऐसे में सवाल उड़ता है कि फिर यहां से पानी कहां से आ रहा है जबकि पानी के टैंकर परिवहन करने की इजाजत नहीं है।
52 कुओं का किया अधिग्रहण
जलदाय विभाग के एसई मनीष माथुर का कहना है कि करीब 52 कुएं अधिग्रहण किए गए हैं जहां पेयजल के लिए पानी के टैंकर भरे जा सकते हैं। पांच किलोमीटर के दायरे में पानी का ट्रैक्टर-ट्रॉली सप्लाई करने के लिए 350 व उससे ज्यादा दूरी होने पर 450 रुपए तय कर रखे हैं। हकीकत यह है कि लोगों को 600 से 1000 रुपए तक पानी के टैंकर के चुकाने पड़ रहे हैं। लोगों से मुंह मांगे दाम वसूले जा रहे हैं, लेकिन प्रशासन व जलदाय विभाग इन पर लगाम लगाने को कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहे।
प्रभावशाली लोगों के कुएं नहीं किए अधिग्रहण
शहर में चर्चा है कि कई प्रभावशाली लोगों के कुएं जिनमें मीठा पानी है उनका प्रशासन ने अधिग्रहण नहीं किया। वहां से आज भी खुलेआम पानी फिल्टर कर केम्परों में मुंह मांगे दामों पर बेचा जा रहा है। इन कुंओं का जनहित में अधिग्रहण करने को लेकर प्रशासन भी कोई कदम नहीं उठा रहा है। ऐसे में पेयजल संकट के इस दौर में भी प्रभावशाली लोग अपने निजी कुओं का पानी आराम से बेच रहे हैं।
जलदाय विभाग के SE मनीष माथुर से सवाल-जवाब
भास्कर – शहर में कितने कुएं अधिग्रहण किए हैं?
एसई - करीब 52 कुएं अधिग्रहण किए।
भास्कर – रात में कहां से पानी कहां परिवहन हो रहा है इसकी निगरानी की क्या व्यवस्था है?
एसई - परिवहन विभाग कार्रवाई करता है। हमारी ओर से कुएं पर कर्मचारी नहीं बिठाए गए हैं।
भास्कर – दर तय होने के बाद भी मुंहमांगे दाम पानी के ट्रैक्टरों के लिए जा रहे हैं?
एसई - इसको लेकर परिवहन विभाग कार्रवाई कर रहा है।
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