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अब तक तृतीय श्रेणी शिक्षक बनने के लिए देश में सीटेट व राजस्थान में पात्रता परीक्षा यानि रीट का आयोजन होता रहा हैं। जिसमें उत्तीर्ण होना आवश्यक है। लेकिन राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत वरिष्ठ अध्यापक द्वितीय श्रेणी व स्कूल प्राध्यापक बनने के लिए अब पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा यानि टेट उत्तीर्ण करनी होगी।
इसको लेकर लागू करने की दिशा में भारत सरकार की सांविधिक निकाय राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने सर्कुलर जारी किया है। केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को अमलीजामा पहनाने व देशभर में शिक्षक पात्रता परीक्षाओं में एकरूपता लाने की दिशा में एनसीटीई ने कवायद शुरू कर दी हैं। जिसके तहत एनसीटीई ने 31 मार्च 2021 तक टेट की गाइडलाइन, ढांचा व परीक्षा के हर पहलुओं का अध्ययन करने के लिए कमेटी गठित की है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करते समय यह ऐलान किया था। इसके बाद अब अध्यापक शिक्षा परिषद ने सभी राज्य एनसीटीई ने चेयरमैन सीबीएसई, मुख्य सचिव व शिक्षा सचिव राज्य सरकार व केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में पत्र लिखकर एक निश्चित प्रारूप में जानकारी मांगी है।
जिसमें वर्तमान में राज्य में कितने शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण है, कितनी बार पात्रता परीक्षा आयोजित हो चुकी है, परीक्षा का पैटर्न क्या है। सभी राज्यों से ऐसी जानकारी आने के बाद शिक्षक पात्रता परीक्षाओं के पैटर्न को एकरूप किया जाएगा। शिक्षकों के चयन से पहले बेहतर तरीके से गुणवत्ता जांच के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा के मापदंड तय किए हैं।
भर्ती प्रक्रिया में होंगे बदलाव, शिक्षक बनने की राह कठिन
अब तक देशभर में वरिष्ठ अध्यापक द्वितीय श्रेणी व प्रथम श्रेणी स्कूली व्याख्याताओं का सीधे प्रतियोगी परीक्षा के अंकों के आधार पर चयन हो रहा है। खासकर राजस्थान में आरपीएससी अजमेर द्वारा भर्ती परीक्षाएं आयोजित होती आ रही है। लेकिन अब इन योग्यताधारियों को भी पहले शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी और उसके बाद प्रतियोगी परीक्षा आयोजित होगी यानि कि शिक्षक बनने की राह कठिन हो गई है।
पहले की तुलना में मेहनत व तैयारी अधिक करनी होगी। हाल ही में आरपीएससी 2018 में भूगोल विषय की सीधी भर्ती प्राध्यापक परीक्षा में माइनस अंक प्राप्त कर चयन होने का मामला सामने आया है। जो कि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
वहीं पूर्व में आरपीएससी 2016 में गणित विषय में भी माइनस अंक वालों का चयन किया जा चुका है। आखिर कैसे शिक्षा में सुधार होगा ये सवाल खड़े हो रहे हैं। लेकिन शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) होने से अब अंकुश लग सकेगा एवं योग्यता का सही आंकलन हो पाएगा।
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