सिरोही में आठ साल की मासूम बच्ची से रेप के बाद हत्या करने के मामले में दरिंदे को फांसी की सजा सुनाई गई। बच्ची के साथ इस कदर दरिंदगी की गई थी, जिसके बारे में अनुमान मात्र ही रूह दहलाने वाला है। बच्ची की लाश मिलने पर क्रुरता के निशान उसके पूरे शरीर पर बया कर रहे थे। दो भाइयों के साथ घर लौट रही बच्ची के हैवानियत करने वाला पड़ोसी इतना शातिर था कि वह वारदात को अंजाम देकर फरार हो गया था।
आरोपी को सजां दिलाने के लिए सबसे ज्यादा भूमिका उसके 9 और 10 साल के भाइयों की रही। जिन्होंने पुलिस को आरोपी के बाारे में बताया। इधर, आरोपी घटना के बाद फरार होकर जंगल में छिप गया। आरोपी की तलाशी के लिए करीब 7 दिनों तक सर्च ऑपरेशन चला, जिसके बाद मालदा के जंगलों से उसे गिरफ्तार किया। रेप व हत्या के आरोपी को फांसी की सजा होने के बाद पुलिस ने इस पूरे केस के बारे में बताया कि कैसे आरोपी को पकड़ा गया और किस तरह से उसे सजा दिलाकर मासूम को न्याय दिलाया गया।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 9-10 साल के भाई यदि र आरोपी पड़ोसी के बारे में नहीं बताते तो शायद पुलिस को रेप व हत्या करने वाले का भी पता नहीं चलता। बच्चों ने बताया था कि नहाने के बाद बहन के साथ वह वापस घर लौट रहे थे। तभी पड़ोसी नौकाराम उर्फ भरमाराम (24) ने उनकी 8 साल की बहन को पकड़ लिया और दोनों भाइयों को डरा-धमकाकर वहां से भाग दिया। लाश मिलने के बाद दोनों भाइयों ने इस बारे में पुलिस को जानकारी दी थी।
6 दिनों तक जंगल में छिपा रहा
डीएसपी नरेंद्र सिंह देवड़ा ने बताया कि शक के आधार पर उसकी तलाश शुरू की गई। उसके घर पर दबिश दी गई तो पता चला कि आरोपी मोबाइल का भी यूज नहीं करता है। उसके घर से उसकी एक फोटो मिली और उसके पहनावे व हुलिए के आधार पर तलाश शुरू की गई। मोबाइल नहीं रखने के कारण उसको ट्रेस नहीं किया जा सकता था। इस मामले में तत्कालीन थानाधिकारी अमित सिंह उनके साथ हैड कांस्टेबल गणेश राम, कांस्टेबल देवेंद्र सिंह, खेराज राम, लक्ष्मी नारायण और बन्ने सिंह को आरोपी की गिरफ्तारी के लिए नियुक्त किया गया था। छह दिनों तक आरोपी मालदा के जंगलों मे छिपा रहा। पुलिस सर्च करते हुए पहुंची तो 1 अक्टूबर की शाम जंगल में छिपे दरिंदे को गिरफ्तार किया।
कांस्टेबल की रही अहम भूमिका
जांच अधिकारी रेवदार डीएसपी नरेंद्र सिंह देवड़ा ने बताया कि उनके कार्यकाल में पोस्को एक्ट का यह पहला केस था। जिसमें उन्होंने पहली बार जांच की दूसरे अन्य केसों से अलग हटकर की, इसमें गवाहों की संख्या सिर्फ 24 थी। उसमें 6 गवाह इनके परिवार के थे, जो हमारे लिए ठोस गवाह अंत तक बने रहे। इसमें चश्मदीद गवाह के रूप में मृतका के दोनों भाई थे, उन्होंने जो बयान हमें दिए वहीं 164 में दर्ज करवाएं और अंत में वहीं बयान उन्होंने कोर्ट में दिए। इस मामले में अनादरा थाने के एल सी कांस्टेबल देवेंद्र सिंह ने अहम भूमिका निभाई, उन्होंने सभी गवाहों को समय पर न्यायालय में उपस्थित करवाया और किसी भी गवाह को पक्ष द्रोही होने से बचाया।।
लाश मिलते ही रह गए दंग
घटना के बाद बच्ची की लाश मिलने की सूचना पुलिस का मिली। सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस ने मौका-मुआयना किया तो बच्ची की गला घोंटकर हत्या करना सामने आया। बच्ची के शरीर पर घसीटने व मारपीट करने के जगह-जगह काफी निशान भी मिले। रेप की आशंका पर पुलिस ने एफएसएल टीम को बुलाया। जांच में बच्ची के साथ रेप करने के बाद दुष्कर्म की पुष्टि हुई। हैवानियत की हद को देखकर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई शुरू की। घर के सदस्यों से पूछताछ करने पर कोई सुराग नहीं लग सका। जिसके बाद नाबालिग भाइयों ने पुलिस को बताया कि आखिरबार पड़ोसी नौकाराम मिला था, जिसने उन्हें डरा-धमकाकर भाग दिया था और बहन को रोक लिया था। आखिरी बार नौकाराम के साथ होने का पता चलने पर पुलिस ने तलाशना शुरू किया तो आरोपी के फरार होने का पता चला।
ऐसे दिया वारदात को अंजाम
25 सितंबर 2020 को दिन के समय वारदात को अंजाम दिया गया। गांव की रहने वाली 8 साल की बच्ची अपने 9-10 वर्षीय दो भाइयों के साथ पास ही नाले में बह रहे पानी में नहाने गई थी। नहाने के बाद तीनों भाई-बहन घर लौट रहे थे। तभी रास्ते में पड़ोसी नौकाराम मिल गया। जिसने मासूम को पकड़ लिया। भाइयों के साथ घर जाने की जिद्द कर रही बच्ची को दंरिदे ने नहीं छोड़ा। भाइयों के बहन को घर ले जाने की कहने पर आरोपी ने दोनों को डरा-धमकाकर वहां से भगा दिया। जिसके बाद मासूम के साथ रेप किया। दरिंदे की हैवानियत से बच्ची से छुटने की कोशिश की, लेकिन उसे रहम नहीं आई। बच्ची के साथ रेप करने के बाद पकड़े जाने के भय के चलते उसने गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी। जिसके बाद शव को ठिकाने लगाकर फरार हो गया
रिपोर्ट - नीरज हरिव्यासी
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