कुएं में गिरे लेपर्ड को वन विभाग ने शनिवार को रेस्क्यू किया। विभाग ने देसी जुगाड़ से लेपर्ड को निकाला। चार रस्सियां बांधकर चारपाई को उल्टा कर कुएं में लटकाया गया। लेपर्ड चारपाई पर बैठ गया। चारपाई बाहर आती इससे पहले ही लेपर्ड ने छलांग लगा दी और जंगल की ओर सरपट दौड़ गया। मामला राजसमन्द जिले की देवगढ़ पंचायत समिति के स्वादडी गांव का है।
गांव में गोल्डा काबरा इलाके में सेसु सिंह रावत के कुएं में गांव वालों ने शनिवार सुबह 8 बजे लेपर्ड गिरा देख ग्रामीणों ने देवगढ वन विभाग को सूचना दी। सुबह 9 बजे विभाग के रेंजर कमलेश रावत स्टाफ के साथ मौके पर पहुंचे। कुएं में लेपर्ड एक चट्टान पर बैठा था। स्थानीय लोगों की मदद से देसी जुगाड़ से लेपर्ड को निकालने के लिए एक चारपाई को चार रस्सियों से बांधकर कुएं में उतारा गया।
इस तरह बनाया देसी जुगाड़
लेपर्ड को ट्रैंक्युलाइज नहीं किया जा सकता था। कुएं में उतरकर उसे बिना बेहोश किए निकालना भी खतरे से खाली नहीं था। ऐसे में विभाग के कर्मचारियों ने ग्रामीणों का सहारा लिया। एक खाट और कुछ रस्सियां मंगवाई। खाट को उल्टा लिटाकर चारों पायों पर चार रस्सियां बांधकर चारपाई को कुएं में उतारा गया। लेपर्ड के पास चारपाई पहुंची तो वह उस पर लेट गया। वनविभाग की टीम ने चारपाई को धीरे धीरे ऊपर खींचा। लेपर्ड हडबडाहट में दोबारा कुएं में न गिर जाए, इसके लिए चारों रस्सियों को एक साथ खींचा गया। इसके पहले कि चारपाई पूरी बाहर आती 7-8 फिट पहले ही लेपर्ड ने कुएं में से छलांग लगा दी और जंगल की ओर भाग गया। रेस्क्यू की इस प्रोसेस में 2 घंटे लग गए। सुबह 11 बजे लेपर्ड 8 घंटे के कूप-कारावास से मुक्त हुआ।
डेढ़ साल का लेपर्ड पूरी तरह फिट
वन विभाग के मुताबिक लेपर्ड की उम्र करीब डेढ़ साल थी। लेपर्ड पूरी तरह स्वस्थ दिखा। लेपर्ड देर रात 3-4 बजे के आसपास कुएं में गिरा होगा। शनिवार सुबह 8 बजे लेपर्ड को कुएं में देख लिया गया था। रेस्क्यू के दौरान आसपास के करीब 200 लोग जमा हो गए। विभाग की टीम ने उन्हें सुरक्षित स्थान पर रहने को कहा।
इसलिए नहीं किया ट्रैंक्युलाइज
वन विभाग टीम ने बताया कि पानी वाले कुएं में लेपर्ड को ट्रैंकुलाइज नहीं किया जाता। उसके पानी में गिरकर मरने की आशंका रहती है। ऐसे में देसी जुगाड़ बनाकर लेपर्ड को बाहर निकाला गया। कुएं से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर आबादी एरिया है। आसपास में माइनिंग एरिया भी है। खदानों में बनाए गए चटटानों के डम्पिंग यार्ड लेपर्ड के रहने के लिए सुरक्षित स्थान हैं।
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