चौथ का बरवाड़ा तहसील क्षेत्र के सारसोप के जंगलों में वन्यजीव नीलगाय का शिकार कर ले जा रहे गिरोह के 5 शिकारियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान 3 बिना सिर-पैर वाली मृत नील गायों के साथ शिकार में उपयोग ली गई गाड़ी एवं काटने के हथियार भी बरामद किए हैं। घटना में शामिल 2 लोग बंदूक एवं अन्य हथियार लेकर भागने में सफल रहे, लेकिन अन्य शिकारियों के मोबाइल के जरिए पुलिस जल्द उन तक पहुंचने का प्रयास कर रही है।
इस दौरान एक शिकारी ने बंदूक लहराकर पुलिस को रोकने का प्रयास किया, लेकिन जवानों ने उन्हें दबोच लिया। इन लोगों के खिलाफ छह दिन पूर्व बौंली थाने में भी वन विभाग के कर्मचारियों ने शिकार का मामला दर्ज करवाया था। अब तक मिले संकेतों के अनुसार यह गिरोह लंबे समय से क्षेत्र में वन्यजीवों का शिकार कर रहा था। थाना प्रभारी टीनू सोगरवाल ने बताया कि लंबे समय से कुछ लोगों के क्षेत्र में आकर वन्यजीवों का शिकार करने की जानकारी मिल रही थी। सोमवार रात को मुखबिर के जरिए कुछ लोगों के सारसोप के जंगल में होने की बात पता चलते ही पुलिस ने योजना बनाई। इसमें कांस्टेबल मदन सिंह बंजारा, नरेंद्र, कृष्ण, दशरथ, आसाराम तथा भंवरलाल को शामिल किया गया। इसके तहत एक टीम सारसोप के जंगलों के पास रही तो दूसरी टीम को सारसोप की मुख्य सड़क पर तैनात किया गया। सुबह करीब 4 बजे सात आरोपी टोंक नंबर की एक जीप में आते हुए दिखाई दिए। पुलिस को देखकर उन्होंने अपना वाहन सारसोप की मुख्य सड़क पर ले लिया। जहां दूसरी टीम ट्रैक्टर ट्रॉली को रोड के बीच में लगाकर रास्ता बंद कर खड़ी हुई थी। कांस्टेबल मदनलाल ने बताया कि पुलिस को देखते ही गाड़ी के आगे बैठे एक आरोपी ने बंदूक निकाली तथा उसे हवा में लहराया, लेकिन आगे रास्ता बंद होने के कारण वाहन आगे नहीं जा पाया। इस दौरान वाहन रूकते ही उसमें सवार सात लोगों में से दो लोग बंदूक के साथ गाड़ी से कूदकर भाग गए। 4 लोगों को पुलिस टीम ने मौके पर ही दबोच लिया। बाद में 2 घंटे की मशक्कत के बाद एक और आरोपी जंगल से पकड़ा गया। जिस जीप में ये लोग सवार थे, उसमें तीन नीलगाय मृत अवस्था में पड़ी हुई थी, जिनके गर्दन से ऊपर का हिस्सा व पैर काटकर पहले ही फेंके जा चुके थे।
पिछले छह माह से भी अधिक समय से जिले के चौथ का बरवाड़ा से होते हुए बौंली से आगे तक लंबे हिस्से में दो-चार दिन के अंतराल से वन्यजीवों के कटे हुए सिर व पैर लोगों तथा वनकर्मियों को मिल रहे थे। साथ ही इस बात के भी संकेत मिल रहे थे कि जो भी कोई गिरोह इन वन्यजीवों का शिकार कर रहा था, वह जीप का उपयोग करता था। खास कर नीलगाय को मारने के बाद मौके पर ही उसकी गर्दन से सिर को अलग कर दिया जाता था। उसके चारों पैर काटकर वहीं फेंक दिए जाते थे, जो बार-बार लोगों को इस इलाके में मिल रहे थे। आधिकारिक रूप से अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हुई कि इन लोगों द्वारा किस-किस प्रकार व कितने वन्यजीवों का अब तक शिकार किया जा चुका है। कयास लगाए जा रहे है कि यह संख्या 100 से अधिक हो सकती है। पुलिस एवं वन विभाग के अनुसार इस घटना में बड़ा गिरोह शामिल है। इनके पास हथियार व अन्य संसाधन उपलब्ध है। पुलिस सूत्रों की माने तो करीब 6 माह पहले भी इन लोगों ने पुलिस पर फायरिंग की थी, लेकिन पुलिस ने आज तक इसका कहीं कोई जिक्र नहीं किया। दूसरी तरफ छह दिन पूर्व इसी नंबर की जीप में सवार लोगों के खिलाफ बौंली थाने पर वनकर्मियों ने वन्यजीवों का शिकार करने का मामला दर्ज करवाया था।
इन शिकारियों को पकड़ा
आरोपी मेघराज (21) पुत्र हरजी बावरिया, राजेश (21) पुत्र कैलाश बावरिया, आशम (32) पुत्र ईशा खान निवासीयान पीली तलाई जिला टोंक, कालू (20) पुत्र हरनाथ बावरिया निवासी चंदलाई जिला टोंक और धनराज (19) पुत्र शंभूलाल बावरिया निवासी करवाड जिला कोटा को पकड़ा है। इन्हें वन विभाग की टीम को सौंपकर वन्यजीव अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज करवाया गया है।
किसी बड़े गिरोह के भी शामिल होने की आशंका : वनपाल
^वन्यजीव अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। गिरफ्तार पांचों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। साथ ही हथियारों की तलाश में जंगल की भी छानबीन कर रहे है। मृत जानवरों का सवाई माधोपुर में पोस्टमार्टम करवाने के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया है। इसमें किसी बड़े गिरोह के भी शामिल होने की आशंका है। -शकुंतला सैनी, वनपाल
Copyright © 2022-23 DB Corp ltd., All Rights Reserved
This website follows the DNPA Code of Ethics.