प्रशासन शहरों के संग अभियान में नगर परिषद परिसर में आयोजित शिविर में नेमीचंद को 32 साल बाद पट्टा मिला। पट्टा मिलने की खुशी नेमीचंद के चेहरे पर साफ झलकती दिखाई दी। नेमीचंद ने बताया कि नगर परिषद ने चकचैनपुरा पर एक आवासीय कॉलोनी काटी थी, जिसमें उसने एक प्लाट खरीदा था। उस समय प्लाट की जमीन पर कृषि विभाग ने अपना स्वामित्व जता दिया था, जिसके चलते प्लाट की पूरी राशि जमा कराने के बाद भी प्लाट नहीं मिल सका। नगर परिषद ने नेमीचंद से उसी आवासीय योजना में दूसरा प्लाट देने के लिए कहा, लेकिन उस समय की डीएलसी रेट के अंतर को जमा कराने के लिए भी कहा गया।
इस पर नेमीचंद ने अपनी गलती नहीं होने के चलते डीएलसी रेट के अंतर को जमा कराने से इनकार कर दिया। इसके बाद इसकी शिकायत नेमीचंद की ओर से लोकायुक्त को गई। वहां करीब 12 साल की लम्बी लड़ाई के बाद यह मामला प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत आयुक्त नवीन भारद्वाज के पास आया। इस पर तुरंत संज्ञान लेकर आयुक्त की ओर से राज्य सरकार और डीएलबी को पत्र लिखा। इसके बाद नगर परिषद की ओर से अपनी गलती को स्वीकारते हुए नेमीचंद को अब प्लाट दिया है। नगर परिषद परिसर में आयोजित शिविर में नेमीचंद को नगर परिषद सभापति विमल चंद महावर, आयुक्त नवीन भारद्वाज और सचिव नवरतन शर्मा ने प्लाट का पट्टा सौंपा।
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