रणथम्भौर में वन विभाग विभाग पर्यटक वाहनों की हर साल फिटनेस करवाता है, लेकिन वन विभाग के खुद वाहनों पर यह नियम, कानून कायदे लागू नहीं होते है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जहां रणथम्भौर के वनाधिकारियों के रसूख के आगे सवाई माधोपुर जिला परिवहन कार्यालय बौना दिखाई देता है। रणथम्भौर के सीसीएफ की एक जिप्सी का बीमा खत्म हुए एक अरसा बीत चुका है, लेकिन वन विभाग ने सरकारी जिप्सी का बीमा करवाना लाजमी नहीं समझा। सरकारी जिप्सी के बीमा को खत्म हुए पांच साल बीतने को है, लेकिन जिप्सी का बीमा नहीं करवाया गया।
रणथम्भौर टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर के नाम से एक जिप्सी आर जे 25 यूए 2329 रजिस्टर्ड है। यह जिप्सी सवाई माधोपुर जिला परिवहन कार्यालय में 27 अप्रैल 2016 को रजिस्टर्ड हुई थी। जिप्सी का बीमा 10 मार्च 2017 को खत्म हो गया था। जिसके बाद अब तक जिप्सी का बीमा दुबारा नहीं करवाया गया। यूं तो आम आदमी के लिए सरकार के बहुत सारे नियम है, लेकिन इस केस में ऐसा लगता है कि सरकार के नियम सरकारी अधिकारियों के लागू नहीं होते है।
फिलहाल यह जिप्सी रणथम्भौर में आने वाले वीआईपीज को टाइगर सफारी कराने के लिए काम में आ रही है। ऐसे में यह सवाल खड़ा होता है कि अगर जंगल में जिप्सी का एक्सीडेंट हो जाए और वीआईपीज के साथ कोई अनहोनी हो जाए तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा।
रणथम्भौर के सरकारी वाहन नहीं हुए ऑनलाइन
वनाधिकारियों की उदासीनता के चलते वन विभाग के कई वाहन तो सालो बाद भी ऑनलाइन नहीं करवाए गए है। जिसमें वन विभाग की जिप्सी नम्बर आर जे 25 यू ए 0420 शामिल है। जिसको साल 2013 से अब तक ऑनलाइन ही नहीं करवाया गया है। परिवहन सूत्रों के अनुसार ऐसी स्थिति में इस जिप्सी का फिटनेस और बीमा दोनों खत्म हो चुके है। हालांकि वन विभाग की एक जिप्सी आर जे 25 यू ए 0723 का 26 फरवरी 2022 को बीमा करवाया गया था। जो फरवरी 2023 तक वैध है।
रणथम्भौर में पहले भी हो चुके है जिप्सी केंटर के एक्सीडेंट
रणथम्भौर नेशनल पार्क में टाइगर सफारी के दौरान पहले भी कई बार हादसे हो हो चुके है। इन हादसों में जिप्सी ड्राइवर, गाइडों के साथ पर्यटक भी घायल हो चुके है। यह सभी जिप्सी केंटर प्राइवेट थे। हालांकि अब तक किसी सरकारी जिप्सी का एक्सीडेंट नहीं हुआ है, लेकिन अगर ऐसी स्थिति पैदा होती हौ तो उसके लिए जिम्मेदार मौन है। मामले को लेकर रणथम्भौर के सीसीएफ सेडूराम यादव का कहना है कि उन्हें की जानकारी नहीं है। दिखवाने के बाद ही कुछ कह पाउंगा।
बाघ फाउंडेशन के रुपए से ली गई जिप्सी
रणथम्भौर बाघ संरक्षण फाउंडेशन की स्थापना वन कर्मियों के सोशल वेलफेयर के लिए की गई थी। जिसमें हर साल करोड़ो रुपए की आवक होती है। रणथम्भौर में आने वाला प्रत्येक पर्यटक से रणथम्भौर के विकास के लिए कुछ राशि टिकट के साथ ली जाती है। इसी फंड से साल 2016 में जिप्सी आर जे 25 यूए 2329 खरीदी थी। जिप्सी को खरीदते समय ही बीमा हुआ था। जिसके बाद अब तक जिप्सी का बीमा नहीं हुआ है।
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