रणथम्भौर में पिछले दो साल से एंटी पोंचिग टीम का गठन प्रस्तावित है। साल 2020 में कोरोना के समय PCCF ( प्राइम चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट) ने इसके लिए आर्डर जारी किए थे। इसके तहत राजस्थान के सभी टाइगर रिजर्व और सेंचुरिज में वन्यजीवों की मॉनिटरिंग बढ़ाने और एक-एक एंटी पोचिंग टीम का गठन करने को कहा था, लेकिन रणथम्भौर में दो साल बीतने के बाद भी अब तक एंटी पोचिंग टीम का गठन नहीं हो सका है।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रणथम्भौर में पिछले आठ सालों में 88 वन्यजीवों के शिकार के मामले सामने आ चुके हैं। इन मामलों में मोर, तीतर, जंगली सुअर, हिरण, चीतल सहित बाघ के शिकार शामिल है। रणथम्भौर में अप्रेल 2018 में फलौदी रेंज के आवण्ड वन क्षेत्र में दो बाघों के शिकार का मामला सामने आया था। इसके बाद जनवरी 2020 में फलौदी रेंज के भैरूपुरा में दो मादा चीतलों का शिकार भी हुआ था।
एंटी पोंचिग टीम का गठन लंबित
रणथम्भौर में 88 मामले सामने आने के बाद भी एंटी पोंचिग टीम का गठन लंबित है। हांलाकि रणतम्भौर टाइगर रिजर्व में एक फ्लाइंग टीम भी कार्यरत है। जिसका काम रणतम्भौर अवैध कटाई, शिकार सहित वन्यजीव अपराधों को रोकना है, लेकिन इसके बाद भी शिकार के मामले सामने आने के चलते पीसीसीएफ ने आदेश जारी किए थे।
टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर जारी
मामले को लेकर रणथम्भौर प्रथम के DFO संग्राम सिंह का कहना है कि हाल ही में मिनिस्ट्री ऑफ इनवायरमेंट एडंक्लाइमेंट चेंज की ओर से देश भर के वन विभाग को टोल फ्री हेल्पलाइन नम्बर 1800119334 जारी किए है। इस पर कोई भी चौबीस घंटे वन्यजीवों के शिकार के बारे में सूचना दे सकता है। एंटी पोचिंग टीम का गठन का आदेश उनके रणथम्भौर के कार्यकाल से पहले का है। आदेश देखने के बाद कुछ कह सकता हूं।
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