जिले के खेतड़ी का माेड़ी इलाखर बांध एक बार फिर चर्चा में है। आठ साल से बांध क्षेत्र में चल रहे खनन को रुकवाने काे लेकर दो बार प्रशासन की ओर से जांच में लीपापोती को लेकर क्षेत्र के लोगों में आक्रोश है। इसके खिलाफ क्षेत्र में जल्दी ही अभियान चलाए जाने का फैसला किया गया है। लोगों की मांग पर इस बार सांसद नरेंद्र कुमार ने मुख्यमंत्री अशाेक गहलाेत काे पत्र भेजा है।
इस पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने बांध में खनन से प्राकृतिक दीवार नष्ट हाेने के मामले की जांच करने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने जल संसाधन विभाग के प्रमुख शासन सचिव काे मामले की नए सिरे से जांच करने के निर्देश दिए हैं। खेतड़ी के माेड़ी व इलाखर गांव की सरहद पर स्थित बांध काे गौरीर पहाड़ी में हाे रहे खनन से खतरा हाेने काे लेकर ग्रामीणाें ने एनजीटी काे शिकायत भेजी थी।
इससे पहले हाइकाेर्ट के निर्देश के बाद 2013-14 में तत्कालीन कलेक्टर ने पांच विभागाें खान विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बाेर्ड, जलदाय विभाग, सिंचाई की टीम बना कर जांच के लिए भेजा था। उसकी रिपाेर्ट के बाद इस पहाड़ी में खनन कार्य रुकवा दिया गया था। इसकी पालना रिपाेर्ट हाइकाेर्ट में भिजवा दी गई। इसके बाद भी इस पहाड़ी में अवैध रूप से खनन कार्य हाेने पर एनजीटी में शिकायत कर दी।
एनजीटी से मिले निर्देश पर वर्तमान कलेक्टर ने पिछले साल एडीएम से मामले की जांच कराई। इस टीम ने मौके पर किसी तरह का खनन नहीं होने की रिपाेर्ट एनजीटी काे भेज दी गई, क्योंकि उस दौरान खनन करने वालों ने वहां खनन एक बार बंद कर दिया और टीम के जाने के बाद वहां फिर से खनन शुरू हो गया। इसकाे लेकर ग्रामीणाें ने विराेध किया और सांसद से मिल कर उन्हें गलत रिपाेर्ट की शिकायत की।
पहले कालाभुजा बांध टूटा था, अब मोड़ी इलाखर का डर
सामाजिक कार्यकर्ता रणवीर मान बताते हैं कि मोड़ी इलाखर बांध 1995 में बना और अगले ही साल जोरदार बारिश में भर गया। इससे पहले अवैध खनन केे कारण अंग्रेजों के समय में बना कालाभुजा बांध 2010 में पानी के दबाव से टूट चुका छा। उस बांध का पानी मोड़ी इलाखर बांध में आया और ओवर फ्लो हाेने से इलाके में नुकसान नहीं हुआ। इस बांध से क्षेत्र का भूमिगत जल स्तर बढ़ गया। लेकिन लगातार खनन हाेने से इस बांध की प्राकृतिक दीवार नष्ट हाेने का खतरा पैदा हो गया है। इस आशंका के कारण खनन बंद करवाने की मांग कर रहे हैं।
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