देश के परमवीर चक्र विजेता का परिवार बेबस नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक यह परिवार न्याय के लिए गुहार लगा चुका है। मगर कहीं से कोई सहारा नहीं मिल पाया है। थक हार कर परमवीर पीरू सिंह की यूनिट में सम्पर्क किया गया है। यूनिट के सदस्य कलेक्टर से मिलकर परिवार की मदद को आगे आए हैं।
परमवीर पीरू सिंह के पैतृक गांव झुंझुनूं के बेरी गांव में शहीद स्मारक बना हुआ है। स्मारक की भूमि पर अतिक्रमण हो गया है। देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शेखावाटी के परमवीर चक्र विजेता पीरू सिंह का परिवार शहीद स्मारक के लिए आवंटित जमीन को अतिक्रमण मुक्त करवाने के लिए 30 साल से चक्कर लगा रहा है।
जिसने देश पर कब्जा नहीं होने दिया, उसके स्मारक की जमीन पर कब्जा
मेजर हवलदार पीरू सिंह 1948 में कश्मीर में कबाइली हमले के वक्त बहादुरी से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हो गए थे। इस अदम्य साहस के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र प्रदान किया गया था। बाद में जून 1980 में राज्य सरकार की ओर से पीरू सिंह का स्मारक बनाने के लिए बेरी गांव में पांच बीघा जमीन आवंटित की गई थी। कुछ समय तक तो यह जमीन खाली पड़ी रही, फिर धीरे धीरे लोगों ने इस पर कब्जा कर लिया। अब इस जमीन पर 10 से ज्यादा मकान बन गए हैं। इस जमीन से कब्जा हटाने के लिए शहीद का परिवार 30 साल से दर दर की ठोकरें खा रहा है। परिवार ने जिला कलेक्टर, संपर्क पोर्टल और प्रधानमंत्री तक इसकी शिकायत की, लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई।
शहीद की यूनिट ही मदद को आगे आई
इसके बाद परिवार ने पीरू सिंह की यूनिट 6वीं बटालियन राज राइफल्स से संपर्क किया। इसका मुख्यालय गुजरात के भुज में है। इस पर यूनिट के कमान अधिकारी कर्नल कुशाग्र सिंह ने इस बारे में कलेक्टर को पत्र लिखकर लिखकर शहीद स्मारक स्थल के लिए आवंटित जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए लिखा।
जमीन आवंटन के 13 साल बाद होने लगा कब्जा
1980 में आवंटित हुई जमीन पर 1993 में लोगों ने अतिक्रमण करना शुरू कर दिया था। कई बार अधिकारियों ने शिकायत पर मौका मुआयना किया, जमीन पर अतिक्रमण को माना भी, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। अब परमवीर पीरू सिंह की यूनिट प्रभावित परिवार की मदद के लिए आगे आई है। कलेक्टर को पत्र लिखा गया है। यूनिट से आए जवानों ने झुंझुनूं कलेक्टर से मुलाकात भी की और मामले से अवगत करवाया है।
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