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दो साल पहले बना जिले का पहला फोरलेन हाईवे इंजीनियरिंग में बरती गई लापरवाही के कारण दुविधा का कारण बन गया है। मामूली सी बारिश में यह हाईवे करीब तीन से चार किमी के एरिया में पानी में डूब जाता है। इस हाई वे पर करीब 170 करोड़ रुपए की लागत आई थी, लेकिन इसकी डिजाइन में एफसीआई गोदाम से लेकर हवाई पट्टी सर्किल तक पानी की निकासी का कोई इंतजाम नहीं किया गया।
जबकि निर्माण के समय ही यहां नगर परिषद ने ड्रेनेज टैंक बनाने का प्रस्ताव दिया था। जिसे आरएसआरडीसी ने अनदेखा कर दिया। इस पर करीब 85 लाख रुपए का खर्च आता। हाईवे का यह निर्माण मुंबई व गुजरात की संयुक्त कंपनी जीएचवी अपेक्स लिमिटेड की ओर से कराया गया था। कंपनी ने एफसीआई से पंचायत समिति तक नाला बनाया है, लेकिन इसका लेवल सही निकाला।
170 करोड़ रुपए की लागत से 2 साल पहले ही बना था
यह पानी टैंक में भरकर रिसाइकल किया जा सकता था
हाई वे की डिजायन के समय ही यह समस्या सामने आई थी कि पानी की निकासी कैसे होगी। इसके लिए यहां टैंक बनाने के प्रस्ताव बनाए गए थे। इस टैंक पर 85 लाख रुपए लगने थे। यहां सेे पानी काे लिफ्ट कर दूसरी जगह पहुंचाने की याेजना बनाई थी। लेकिन इस प्रस्ताव काे नामंजूर कर दिया था। अगर उस समय टैंक बना दिया जाता ताे हाइवे पर यह बरसाती पानी नहीं भरता।
85 लाख रुपए ही खर्च होते पानी के टैंक बनाने में
पानी भराव की जगह सीसी रोड की सलाह भी नजरअंदाज
शहर में पानी के बहाव वाले इलाकाें में डामर की बजाय सीमेंट की सड़क बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया था। गुढ़ा माेड़ से बीड़ चैक पाेस्ट तक ताे सीमेंट की सड़क बना दी गई, लेकिन हवाई पट्टी से पीरुसिंह सर्किल तक अधिकारियाें ने डामर की सड़क बनवा दी। जबकि यहां भी सीमेंटेड सड़क बनाई जानी चाहिए थी। जिसे नजर अंदाज किया गया।
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