खुशियों एवं रोशनी के पर्व दीपावली पर झुंझुनूं जिले में हर साल की तरह इस बार भी गंगा जमुनी तहजीब का नजारा देखने को मिला। झुंझुनूं जिले में दीपावली के मौके पर कौमी एकता की प्रतीक हजरत कमरुद्दीन शाह दरगाह में हर साल की तरह इस बार भी खुशी के दीये जलाए गए। हिंदू धर्म के सबसे बड़े त्योहार दीपावली पर्व पर दरगाह गद्दीनशीन एजाज नबी समेत दोनों ही धर्मों के लोग शामिल हुए ।
250 साल पुरानी परंपरा
गद्दीनशीन एजाज नबी ने बताया कि हजरत कमरुद्दीन शाह की दरगाह पर दीपावली के त्यौहार पर सांप्रदायिक सद्भाव के लिए दीये जलाने की परंपरा 250 बरसों से है। गंगा - जमुनी तहजीब की मिसाल हजरत कमरुद्दीन शाह की दरगाह पर हर साल देखने को मिलती है जहां दोनों धर्मों के लोग दरगाह पर दीपावली के त्यौहार की खुशी में गले मिलते दिखाई देते हैं।
सभी धर्मों के लोग दरगाह में दिये जलाकर मनाते हैं दीपावली का त्यौहार
गद्दीनशीन एजाज नबी ने बताया कि कमरुद्दीन शाह की संत बाबा चंचल नाथ महाराज से मित्रता थी । दोनों ही संत सिद्ध पुरुष थे और दोनों संतों में गहरी मित्रता थी। दोनों संत अलग - अलग धर्मों से जुड़े होने के बावजूद गहरे दोस्त थे।दोनों के चमत्कार की कथाएं पूरे जिले में आज भी प्रचलित हैं। दोनों संतों की मित्रता की परंपरा सालों साल से निभाते हुए दरगाह में आज भी दिये जलाये जाते हैं। इस मौके पर पटाखे चलाए जाते हैं और मिठाई बांटने का क्रम आज भी कायम है। दीपावली की पूर्व संध्या पर पहाड़ी पर स्थित दरगाह में जलाए गए दीये दूर से ही शहर में दिखाई देते हैं। इस मौके पर दरगाह में सभी धर्मों के लोग आते हैं और दिये जलाते हैं।। दरगाह गद्दीनशीन एजाज नबी बताते हैं कि हजरत कमरुद्दीन शाह और चंचलनाथजी ने हमेशा इंसानियत का पैगाम दिया। एक दूसरे की खुशी में दोनों शरीक होते थे। इसी परंपरा को कायम रखने के लिए बरसों से दरगाह में छोटी दीपावली के दिन खुशियों के दीये जलाए जाते हैं।
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