सीकर के नीमकाथाना इलाके के खेत में मंगलवार सुबह तेंदुआ आ गया। तेंदुए के शरीर पर चोट के निशान थे। खेत मालिक पहुंचा तो तेंदुआ इधर-उधर घूमता नजर आया। लड़खड़ा कर पत्थरों पर चढ़ा। जयपुर वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज किया। टीम इलाज के लिए लेकर जा रही थी। रास्ते में ही दर्द से तड़पते हुए तेंदुए ने दम तोड़ दिया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सोमवार रात पहाड़ियों में दो तेंदुओं को लड़ते हुए देखा गया था। वन विभाग की टीम ने अंतिम संस्कार करवाया।
जयपुर ले जाते हुए तोड़ा दम
नीमकाथाना वन विभाग रेंज के श्रवण बाजिया ने बताया कि जयपुर वन विभाग की टीम ने नर पैंथर को ट्रेंकुलाइज किया। ट्रेंकुलाइज करने के एक घंटे बाद इलाज के लिए जयपुर लेकर गए। रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। बाजिया ने बताया कि तेंदुए के शरीर के पिछले हिस्से में काफी चोट आई थी। नीमकाथाना वन विभाग रेंज में तेंदुए का अंतिम संस्कार किया गया।
खेत में मिट्टी में बैठा था
पाटन थाना क्षेत्र के बालेश्वर गांव में एक खेत में करीब 8:30 तेंदुआ नजर आया। खेत मालिक रामस्वरूप सैनी ने बताया कि सुबह अपने खेत में गया था। काम करते हुए किनारे पर एक तेंदुआ नजर आया। पैंथर मिट्टी में सोया हुआ था। कुछ देर बाद उठकर इधर-उधर घूमा। खेत के किनारे के पास धीरे-धीरे चल रहा था। पहाड़ी इलाका होने के कारण आबादी क्षेत्र में आए दिन तेंदुए देखें जाते है।
दो तेंदुए की लड़ाई
बालेश्वर गांव में रहने वाले किशोर ने बताया कि रात में दो तेंदुओं को पहाड़ियों के रास्ते पर लड़ते हुए देखा था। एक तेंदुआ गांव से टोडा की तरफ जाने वाली सड़क पर रुक-रुककर चल रहा था।
12 दिन पहले कॉलेज में आया था तेंदुआ
पाटन इलाका पहाड़ी क्षेत्र है। जिले में तेंदुआ या जंगली जानवर मिलने पाटन की पहाड़ियों में ही छोड़ा जाता है। इस कारण कई बाद तेंदुआ आबादी क्षेत्र में आ जाता है। 12 दिन पहले भी सीकर के अजीतगढ़ क्षेत्र में एक निजी कॉलेज में चार साल का तेंदुआ घुस गया था। जयपुर वन विभाग टीम ने 5 घंटे बाद रेस्क्यू किया था।
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