,दिसंबर में केवल विवाह के पांच मुहूर्त ही हैं। 1, 6, 7, 11 व 13 दिसंबर तक सावे रहेंगे। इसके बाद 14 दिसंबर से मलमास शुरू हो जाएगा जो 14 जनवरी तक रहेगा। उसके बाद ही शादियां व अन्य शुभ मांगलिक कार्य शुरू हो सकेंगे।
ज्योतिर्विद पं. चंद्रशेखर इंदौरिया ने बताया कि सूर्य धनु राशि में प्रवेश करने के बाद एक माह तक इस राशि में रहेंगे। इसके बाद मकर राशि में प्रवेश करने पर मलमास का समापन होगा। ज्योतिष के अनुसार मलमास में पूजा-पाठ तो किए जा सकते हैं, लेकिन विवाह जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं।
इस दौरान शादी, सगाई, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्य नहीं होंगे। नया घर या वाहन आदि खरीदना भी शुभकारी नहीं माना गया है। धनु गुरु बृहस्पति की राशि है। मान्यता है कि सूर्यदेव जब भी देवगुरु बृहस्पति की राशि में भ्रमण करते हैं तो मनुष्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता। बृहस्पति को देवगुरु कहा गया है और उनके स्वभाव में उग्रता शुभ नहीं होती। इसलिए मलमास में मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी।
सूर्य के घोड़ों ने विश्राम किया, गधों ने रथ खींचा, कहलाया खरमास
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की इजाजत नहीं है, लेकिन रथ में जुड़े घोड़े लगातार चलने से थक जाते हैं। घोड़ों की ये हालत देखकर सूर्यदेव का मन द्रवित हो गया और वे घोड़ों को तालाब के किनारे ले गए, लेकिन तभी उन्हें अहसास हुआ कि अगर रथ रुका तो अनर्थ हो जाएगा। तालाब के पास दो खर मौजूद थे।
सूर्यदेव ने घोड़ों को पानी पीने और विश्राम के लिए वहां छोड़ दिया और खर यानी गधों को रथ में जोत लिया। गधों को सूर्यदेव का रथ खींचने में जद्दोजहद करने से रथ की गति हल्की हो जाती है औैर जैसे-तैसे सूर्यदेव इस एक मास का चक्र पूरा करते हैं। घोड़ों के विश्राम करने के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी गति में लौट आता है। इस तरह हर साल ये क्रम चलता रहता है। इसीलिए हर साल खरमास लगता है।
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