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IG हवासिंह घुमरिया ने सीकर में पुलिसिंग में लगे थानाधिकारियों से बात करने के दौरान एक बड़ा खुलासा किया। IG ने SHO से परिचय के दौरान उनका बैच पूछा। बाद में बताया कि क्यों वे 2014 बैच लोगों के बारे में जानकारी ले रहे थे। IG ने बताया कि 2014 में जो पुलिस सब इंस्पेक्टर का बैच निकला, उसमें ब्लूटूथ से नकल कर पास होने वाले अधिक थे। उस समय ब्लूटूथ केस मामले के जांच में सामने आया था कि अधिकतर लोगों ने नकल करके परीक्षा पास की थी। इस मामले को पुलिस में शामिल होने वाले भी जानते हैं कि वे कैसे पास हुए हैं। दरअसल IG बनने के बाद IPS हवासिंह घ्रुमरिया शुक्रवार को सीकर दौरे पर थे। थानाधिकारियों से बात कर IG ने अपने काम करने के तरीके से वाकिफ कराया।
आंकड़ों का नंबर नहीं, जनता के नंबर मिलने चाहिए
आईजी ने एसपी कुंवर राष्ट्रदीप, जिले के सभी थानाधिकारी और अधिकारियों से लंबित मामलों समेत कई मसलों पर बात की। जब थानाधिकारी परिचय करवा रहे थे तो उन्होंने किसी बिंदु पर प्रदेश में नंबर वन होने की जानकारी भी दी। इस पर आईजी घुमरिया ने बताया कि आंकड़ों के आधार पर नंबर वन कैसे आते हैं, मुझे इसकी जानकारी है। इसलिए इससे मुझे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। जमीनी स्तर पर लोगों को लगना चाहिए कि पुलिस हमारे लिए है और वे अपना काम ठीक तरीके से कर रही है, ऐसा चाहिए। अधिक से अधिक लोगों को पुलिसिंग का फायदा मिलना चाहिए।
गलतफहमी निकाल देना, एसीबी में खूब वक्त निकाला है
आईजी घुमरिया ने कहा कि अपने काम को बखूबी करने के लिए किसी के निर्देशों का इंतजार न करें। भ्रष्टाचार को लेकर भी कोई गलतफहमी हो तो निकाल देना। मेरा अधिकतर वक्त एसीबी में निकला है इसलिए मैं और एसपी एसीबी के पहुंचने से पहले ही आपको पकड़ लेंगे।
बदमाशों से मिलीभगत हो या लापरवाही, बर्दाश्त नहीं होगी
आईजी ने साफ संदेश दिया कि बदमाशी करने वालों पर कार्रवाई करने में देरी को लेकर कोई बहाना नहीं चलेगा। यदि ये बात पता चली कि मिलीभगत के कारण थाने की ओर से कार्रवाई नहीं हुई या फिर लापरवाही नजर आई तो दोनों ही सूरत में आप मुश्किल में पड़ जाएंगे। ऐसा कोई कर रहा है तो आज से ही बंद कर देना। वांछित और वारंटी को पकड़कर अंदर करो, जिससे उनको पता चले कि सीकर का कप्तान बदल चुका है।
आईपीसी की धारा 151 को बनाओ हथियार
आईजी ने कहा कि जिले में शांति व्यवस्था बनाने के लिए आईपीसी की धारा 151 सबसे बड़ा हथियार है। कोई भी हरकत करता दिखे, उसे पकड़कर अंदर कर दो, कुछ घंटे अंदर रहेगा तो उसे समझ में आ जाएगा। इससे पीडि़त को भी राहत मिल जाती है कि उसे पकड़ लिया। मैंने ऐसे ही बूंदी में 100 से 150 लोगों को 151 में बंद कर एक महीने तक बाहर नहीं आने दिया था।
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