जिले में कोरोना का कहर जारी है। जिसमें कई ऐसे परिवार है जिन्हें कोरोना जिंदगी भर का गम दे गया। ऐसा ही हुआ सीकर के फतेहपुर में रहने वाले एक परिवार के साथ। जहां एक सप्ताह के बीच दो सगे भाइयों की मौत हो गई। परिवार पर तो मानो पहाड़ से भी बड़ा गम फूट पड़ा। कमाने के लिए मां-बाप विदेश में रहते हैं, लेकिन लॉकडाउन से पहले लौट आए थे। अब उनकी भी हालत खराब हो रही है।
फतेहपुर में रेल्वे स्टेशन के पास रहने वाले 30 वर्षीय मनोज सैनी धानुका राजकीय अस्पताल के सामने ईमित्र का काम करता था। उसकी तबीयत खराब हुई तो इलाज के लिए जोधपुर के एम्स में ले गए। यहां छोटे भाई की पत्नी नर्स है। उसकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। इस दौरान 15 मई को मनोज की मौत हो गई। मनोज के एक पांच साल का बेटा है। उसकी पत्नी फतेहपुर में ही रहती है।
छोटे भाई की भी हुई मौत
अभी परिवार मनोज की मौत से उबरा भी नहीं था कि कोरोना ने छोटे भाई अशोक को भी चपेट में ले लिया। अशोक की पत्नी ही जोधपुर एम्स में नर्स होने के कारण उसे भी वहीं भर्ती करवाया गया। इलाज के दौरान 22 मई को अशोक की भी मौत हो गई। उसके शव को फतेहपुर लाकर अंतिम संस्कार किया गया। अशोक ने नर्सिंग का कोर्स किया हुआ था। वह खोटिया गांव में कंपाउंडर का काम करता था। अशोक के ढ़ाई साल का बेटा है। वहीं, नर्स पत्नी गर्भवती है।
दोनों के पिता बंशीधर सैनी विदेश में नौकरी करते हैं। वे पत्नी के साथ अशोक के बेटे को भी विदेश ले गए थे। बेटा और बहू दोनों नौकरी करते हैं। देखभाल करने के लिए यहां पर कोई नहीं था। बंशीधर लॉकडाउन से पहले ही पत्नी और अशोक के बेटे के साथ फतेहपुर लौटे थे। दोनों के एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है। दोनों बेटो को सात दिन के अंतराल में खो देने पर उनके पिता बंशीधर और मां की हालात बेहद खराब है।
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