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कोरोना गाइडलाइन के बीच खाटू का लक्खी मेला कराना प्रशासन और श्याम मंदिर कमेटी के बीच बड़ी चुनौती होगा। मेले में 30 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है। खाटू कस्बे की आबादी करीब 20 हजार है। अहम सवाल यह है कि इन्हें कोरोना वायरस से बचाते हुए बाबा श्याम के दर्शन कैसे कराए जाएंगे। प्रशासन का तर्क है कि कुंभ मेले की गाइडलाइन का अध्ययन करते हुए लक्खी मेले की गाइडलाइन बनाई जाएगी।
इसके लिए अगले हफ्ते प्रशासन की मीटिंग होना प्रस्तावित है। कोरोना वायरस के बीच होने वाले लक्खी मेले के ब्लू प्रिंट के समझने के लिए दैनिक भास्कर ने कुंभ मेले की गाइडलाइन के साथ-साथ खाटू कस्बे की बड़ी चुनौतियों का विश्लेषण किया है। इसका मकसद यह है कि प्रशासन इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाएं बनाए ताकि श्रद्धालुओं और खाटू कस्बे के 20 हजार लोगों को संक्रमण से बचाया जा सके।
सबसे बड़ा सवाल : 2 किमी में फैले खाटूश्यामजी में लाखों श्रद्धालु आए तो सोशल डिस्टेंसिंग कैसे रख पाएंगे
1. मंदिर के पास पांव रखने की जगह नहीं होती, डिस्टेंसिंग कैसे होगी ?
कुंभ में सोशल डिस्टेंस के निर्देश दिए गए हैं। कुंभ नदी किनारे होता है और जगह इतनी ज्यादा है कि खाटू जैसे तीन कस्बे बसाए जा सकते हैं। जबकि खाटू कस्बा 2 किमी में ही फैला हुआ है। अतिक्रमण की वजह से जगह बेहद कम है। मंदिर के आसपास तो पांव रखने की जगह ही नहीं मिल पाती। इसलिए सबसे बड़ी चुनौती सोशल डिस्टेंस की होगी।
2. वेबसाइट पर रोज 1 लाख लोग आए ताे क्रैश होने से कैसे रोकेंगे?
फिलहाल ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन से हर दिन 7500 श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं। मेले में लाखों श्रद्धालु बड़ी चुनौती है। अगर वेबसाइट की कैपेसिटी 10 गुणा बढ़ाई जाती है तो 75000 लोग ही हर दिन दर्शन कर सकेंगे। लेकिन, इसमें टेक्नीकल दिक्कत यह है कि 1 लाख श्रद्धालु अगर एक साथ ऑनलाइन होते हैं तो वेबसाइट क्रैश कर जाएगी।
3. कोरोना रिपोर्ट सही है या फर्जी, मेले के दौरान इसकी जांच कैसे होगी?
मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को 72 घंटे पहले की कोरोना वायरस की रिपोर्ट लानी होगी। पॉजिटिव रिपोर्ट पर एंट्री नहीं दी जाएगी। अब सवाल यह है कि उस रिपोर्ट की जांच कैसे होगी कि रिपोर्ट सही है या कम्प्यूटर से फर्जी तरीके से तैयार तो नहीं की गई।
4. 300 से ज्यादा धर्मशाला, अगर संक्रमित आया तो कैसे रोकेंगे?
खाटूश्यामजी में 300 से ज्यादा धर्मशालाएं है। इनमें दूसरे राज्यों से करीब 1 लाख श्रद्धालु आते हैं। सवाल यह है कि इन धर्मशालाओं में अगर कोई संक्रमित श्रद्धालु आ गया तो इस व्यवस्था को कैसे संभालेंगे। क्योंकि-डब्ल्यूएचओ को मानना है कि एक संक्रमित व्यक्ति कम से कम 3 लोगों को संक्रमित करता है।
5. भंडारों पर रोक, लेकिन पदयात्रा व निशानों पर फैसला क्यों नहीं?
खाटू मेले में भंडारों पर पूरी तरह रोक रहेगी। प्रसाद भी श्रद्धालु नहीं चढ़ा सकेंगे, लेकिन पदयात्रा व निशानों पर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है। विशेषज्ञ मानते हैं कि पदयात्राओं में श्रद्धालु नाचते-गाते आते हैं। डीजे बजाते हैं। एक-दूसरे के गुलाल-रंग लगाते हैं। इस स्थिति में संक्रमण फैलने की पूरी संभावना होती है।
6. सबसे बड़ी चुनौती-कानून व्यवस्थाएं कैसे संभालेंगे?
कोरोना रिपोर्ट, मास्क और छोटे बच्चों-बुजुर्गों को एंट्री होने की पाबंदियों के बीच कानून व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए हर साल के मुकाबले ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात करने होंगे। हर साल करीब तीन हजार पुलिसकर्मियों को लगाया जाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार 4 हजार पुलिसकर्मियों की जरूरत होगी।
संक्रमण से बचाने व कानून व्यवस्था के लिए ये 6 सुझाव दिए एक्सपर्ट्स ने
कोविड रिपोर्ट : खाटू में एंट्री वाली जगह ही पॉइंट बनाए जाएं, वहीं काेरोना टेस्ट की रिपोर्ट की जांच हो भीड़ को कंट्रोल करने के लिए सबसे अच्छा तरीका है-खाटू में एंट्री वाले पॉइंट पर ही कोरोना रिपोर्ट देखी जाए। उदाहरण के लिए-रींगस-मंडा रोड पर ही एंट्री पॉइंट पर व्यवस्थाएं की जाएं। रिपोर्ट के साथ श्रद्धालु का परिचय पत्र-जैसे आधार कार्ड भी देखा जाए। उस रिपोर्ट पर वैलिड या इनवैलिड की शील लगा दी जाए, ताकि एक ही व्यक्ति बार-बार नहीं आए। दर्शन : बाबा श्याम के दर्शन करने वाले श्रद्धालु की अंगुली पर चुनाव की तरह चिह्न लगा दिया जाए चुनाव की तरह मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालु के हाथ पर स्याही लगाई जा सकती है ताकि एक व्यक्ति बार-बार दर्शनों के लिए नहीं घुसे। क्योंकि-अगर ऐसा होता है तो भीड़ बढ़ेगी। वेबसाइट : हर दिन सिर्फ 40 हजार श्रद्धालु को ही दर्शन कराएं जाएं, ताकि ऑनलाइन सिस्टम ठप न हो ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की वेबसाइट क्रैश नहीं हो, इसके लिए बड़ी कंपनी या सरकारी एनआईसी को जिम्मेदारी दी जा सकती है। हर दिन 40 हजार श्रद्धालुओं को ही दर्शनों की व्यवस्थाएं होनी चाहिए। सोशल डिस्टेंस : बेरिकेड्स से एक बार में 500 की जगह सिर्फ 150 श्रद्धालुओं को ही आगे भेजा जाए मेले में हर बार 400-500 श्रद्धालुओं को बैरिकेट से आगे बढ़ाया जाता है। इस संख्या को कम करके 100-150 कर देना चाहिए ताकि सोशल डिस्टेंस मेंटेन हो सके। संक्रमण : मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को बीकानेर यूनिवर्सिटी की तरह स्प्रे वाली टनल से गुजारना चाहिए बीकानेर यूनिवर्सिटी में कोरोना से बचाने के लिए स्टूडेंट्स को एक टनल से गुजरना होता है। इसमें से जब छात्र गुजरता है तो स्प्रे होता है। इसी तरह की टनल मंदिर में एंट्री पॉइंट पर लगानी चाहिए ताकि श्रद्धालु सेनेटाइज हो सके। कानून व्यवस्था : खाटू कस्बे की मुख्य जगहों पर 3000 कैमरे अलग-अलग पॉइंट पर लगाने चाहिए बाबा श्याम के लक्खी मेले के दौरान कानून व्यवस्था बनाने के लिए खाटू की मुख्य जगहों पर करीब 3 हजार सीसीटीवी कैमरे लगाने चाहिए ताकि कानून व्यवस्था बनाने में मदद मिल सके। हर 40-50 कैमरे पर नजर रखने के लिए 2-2 पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई जा सकती है।
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