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कोरोनावायरस ने मनुष्यों के साथ-साथ भगवान राम और कृष्ण की 330 साल पुरानी दिनचर्या भी बदल दी है। अब भगवान का शयन 45 मिनट पहले कर दिया जाता है, जबकि सुबह वे एक घंटे देरी से जाग रहे हैं।
330 साल पुराने व प्रदेश के बड़े मंदिराें में शामिल रघुनाथ मंदिर के महंत अजय शर्मा कहते हैं- पहले मंगला आरती सुबह 5:30 बजे होती थी, अब इसे छह बजे कर दिया है। ...क्योंकि नाइट कर्फ्यू सुबह 6 बजे तक है। इसी तरह शयन आरती पहले रात 9:15 बजे होती थी। अब नाइट कर्फ्यू के कारण रात 8 बजे ही भगवान को शयन करवा दिया जाता है।
सालासर बालाजी : रात 10 बजे होती थी शयन आरती, अब 8 बजे
देश के बड़े मंदिरों में शुमार सालासर बालाजी में पहले रात 10 बजे तक दर्शन होते थे, अब रात 8 बजे मंदिर के पट बंद हो जाते हैं। पुजारी यशोनंदन बोले- शयन आरती में अब सिर्फ पुजारी परिवार शामिल होता है।
गोपीनाथ मंदिर : 245 साल पुराने मंदिर में पहली बार बदली परंपरा
245 साल पुराने गोपीनाथ मंदिर में भी रात 8 बजे ही श्रद्धालुओं के लिए पट बंद कर दिए जाते हैं। शयन व मंगला आरती में सिर्फ महंत सुरेंद्र गोस्वामी के लोग ही शामिल होते हैं। आरती में श्रद्धालुओं को अनुमति नहीं दी जाती।
जीणमाता मंदिर : लक्खी मेला कोरोना के कारण दूसरी बार रद्द
कोरोना के कारण दूसरी बार है, जब नवरात्र में यहां मेला नहीं भरेगा। व्यवस्थापक पुजारी भगवती प्रसाद पाराशर ने बताया कि मंदिर दसवीं शताब्दी का है। नवरात्र में भक्तों के लिए मंदिर बंद रहेगा। ऑनलाइन दर्शन होंगे।
खाटू श्याम : लक्खी मेले के बाद से ही बंद है। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष शंभुसिंह चौहान ने बताया कि 27 मार्च से बंद मंदिर अभी नहीं खोला जाएगा।
कल्याण मंदिर: 100 साल पुराना, एक वक्त में सिर्फ 10 ही दर्शन कर सकेंगे। महंत विष्णु प्रसाद शर्मा कहते हैं पहली बार ऐसे बदलाव दिखे हैं।
शांकभरी माता : नवरात्र में यह मंदिर भी बंद रहेगा। शयन पीठ के दयानाथ महाराज ने बताया कि नवरात्र में केवल सेवादार ही शामिल होंगे।
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