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गोकुलपुरा गांव में पत्नी से दूर रहने वाले युवक रमेश कुमार ने पंखे से फंदा लगाकर जान दे दी। इसके बाद बेटे की माैत के गम में पिता ने शराब के नशे में चाकू से अपना गला रेंत लिया। घटना के दाैरान माैके पर माैजूद लाेगाें ने बुजुर्ग भंवरलाल गहलोत काे अस्पताल में भर्ती करा दिया। भंवरलाल अस्पताल से 15 मिनट बाद भाग गया और बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल हाेने गांव पहुंच गया।
रमेश की पत्नी मनीषा छह माह के बेटे काे लेकर झुंझुनूं जिले में स्थित बढ़ाऊ अपने पीहर में रह रही है। मंगलवार रात रमेश कुमार गांव में पड़ोस में शादी में गया था। रात काे वह शादी से साढ़े आठ बजे घर लाैटा और नशे में था। उसने परिजनों को कहा कि वह टेंशन में है और सोना चाहता था। इसके बाद वह अपने कमरे में चला गया और साथ में बहन कविता की तीन महीने की बच्ची काे भी खिलाने के लिए साथ ले गया।
थाेड़ी देर बाद बच्ची के राेने की आवाज सुनी ताे कविता वहां पहुंची। कमरा अंदर से बंद था। आवाज देने के बाद भी रमेश ने जवाब नहीं दिया तो उसने खिड़की से झांक कर देखा। उसने कमरे की खिड़की से देखा ताे रमेश फंदे पर झूल रहा था। इसके बाद उसके पिता ने कुल्हाड़ी से गेट का कुंदा ताेड़ा। शव को परिजनों की मदद से नीचे उतारा। अस्पताल लाने पर डाॅक्टर ने रमेश को मृत घाेषित कर दिया और शव काे माेर्चरी में रखवा दिया गया। बुधवार सुबह गमी की बैठक में रमेश का पिता भंवरलाल भी चद्दर ओढ़ कर बैठा था।
अचानक चद्दर के अंदर से चाकू निकाला और गला रेंत लिया। परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां भंवरलाल काे भर्ती कराने के बाद वे लाेग रमेश के पाेस्टमार्टम में जुट गए। पता लगा कि भंवरलाल अस्पताल से फरार हाे गया है। रमेश का शव लेकर माेक्षधाम पहुंचे ताे भंवरलाल भी यहीं आ गया था। घटना के बाद मृतक रमेश के चाचा ओमप्रकाश ने रिपाेर्ट दर्ज कराई है। उद्योग नगर थाने के एसआई धन सिंह ने बताया कि रमेश शराब पीता था और घर वाली पीहर में हाेने के कारण वह डिप्रेशन में था।
शनिवार काे जाने वाला था उड़ीसा
मृतक रमेश चार भाई-बहनाें में दूसरे नंबर का था। चचेरे भाई मनीष के अनुसार रमेश का बड़ा भाई कमलेश उड़ीसा में रहता है और रमेश भी शनिवार काे उड़ीसा जाने वाला था। रमेश खुद सेटरिंग और आरसीसी डालने का काम करता था। उसका पिता भंवरलाल भी चेजा-पत्थर करता है।
पिता के गले पर दाे सेंटीमीटर का जख्म, नहीं कटी सांस की नली
नर्सिंग स्टाफ के अनुसार भंवरलाल के गले में करीब दाे सेंटीमीटर का गहरा जख्म था और उसकी सांस की नली कटने से बाल-बाल बच गई थी। पट्टी करने के बाद भंवरलाल काे ईएनटी वार्ड में भर्ती कर लिया था। इधर, ईएनटी नर्सिंग स्टाफ का कहना था कि डाॅक्टर के राउंड के दाैरान भंवरलाल बेड पर नहीं था और किसी काे बिना बताए ही यहां से भाग गया था।
प्रत्यक्षदर्शी रणजीत ने बताया कि गमी की बैठक में आठ से 10 लाेग बैठे थे। भंवरलाल भी वहां बैठा अपने बेटे की माैत पर आंसू बहा रहा था। चद्दर में उसने शराब का पव्वा और सब्जी काटने वाला चाकू छिपा रखा था। शराब पीते-पीते वह कह रहा था कि उसका बेटा हीं नहीं रहा ताे वह जीकर क्या करेगा। अचानक उसने चाकू निकाला और सबके सामने अपना गला काट लिया।
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