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भवसागर से पार होने के लिए आवश्यक है कि हम भक्तिमय हों। भगवान की याद में आंसू भी आ जाए तो भगवान कहते हैं यही सच्चा भक्त है। धर्म कर्म का परिणाम देखिए कि राजा अजामिल की बुद्धि बिगड़ी और घर में वेश्या को ले आए।
उससे उत्पन्न हुई संतान का नाम नारायण रख दिया। मानव की यह प्रवृत्ति है कि या तो वह सबसे बड़ी संतान का नाम लेता है या सबसे छोटी संतान का। अंत समय राजा अजामिल ने नारायण-नारायण पुकारते हुए प्राण त्याग दिए। उसी नारायण नाम की वजह से राजा अजामिल मोक्ष के अधिकारी बने।
यह बात सिंघाना के स्कूल परिसर में चल रही कथा के तीसरे दिन मंगलवार काे कथावाचिका माेनिका पारीख ने कही। भक्त ध्रुव द्वारा तपस्या कर श्रीहरि को प्रसन्न करने की कथा सुनाते हुए बताया कि भक्ति के लिए कोई उम्र बाधा नहीं है। भक्ति को बचपन में ही करने की प्रेरणा देनी चाहिए। क्योंकि बचपन कच्चे मिट्टी की तरह होता है।
पॉजिटिव- आप अपने व्यक्तिगत रिश्तों को मजबूत करने को ज्यादा महत्व देंगे। साथ ही, अपने व्यक्तित्व और व्यवहार में कुछ परिवर्तन लाने के लिए समाजसेवी संस्थाओं से जुड़ना और सेवा कार्य करना बहुत ही उचित निर्ण...
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