आज जितनी दवाईयां और साधन तेजी से बढ़ रहे है उतनी ही तरह तरह की बीमारियां भी बढ़ रही है। देखने में आ रहा है कि तन कीअधिकतर बीमारियों का कारण मन है। मन यदि ठीक नहीं है तो बहुत कुछ बदल जाता है। मानव शरीर में। इसलिए तन के साथ मन को ठीक रखने के लिए मेडिसीन के साथ मेडिटेशन को भी जीवन का अंग बनायें। उक्त उदगार ब्रह्माकुमारीज संस्थान की मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने व्यक्त किए।
दिनचर्या और खान पान को शुद्ध रखने का प्रयास
ब्रह्माकुमारीज संस्थान के ग्लोबल ऑडिटोरियम में मेडिकल प्रभाग द्वारा माइंड बाडी मेडिसीन पर आयोजित चिकित्सकों के सम्मेलन को सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि लोग फिर से प्राचीन संस्कृति की ओर लौट रहे हैं। यदि बीमारियों का स्थायी इलाज चाहिए तो उसके लिए दिनचर्या, खान पान और आहार विहार शुद्ध रखने का प्रयास करना चाहिए।
राजयोग एक अच्छी प्रक्रिया
इसके लिए राजयोग ध्यान एक अच्छी प्रक्रिया है जो मनुष्य के मन को स्वस्थ रखती है। ब्रह्माकुमारीज संस्थान के अतिरिक्त महासचिव बीके बृजमोहन ने कहा कि हमारे मन में बहुत बड़ी शक्ति है। यदि हम उसकी शक्ति को पहचान लें तो कुछ भी असम्भव नहीं होगा हमारे लिए। इसलिए अपनी आदतों को बदलें और खुद को निरोगी बनाएं।
'जो मन में चलता है उसका असर पूरे शरीर पर रहता है'
कार्यक्रम में जीबी पन्त हास्पिटल के कार्डियोलोजी विभाग के प्रमुख डॉ मोहित गुप्ता ने कहा कि जो हमारे मन में चलता है उसका असर पूरे शरीर पर पड़ता है। केवल पड़ता ही नहीं बल्कि प्रभावित भी करता है। केवल हमारी सोच में एक ऐसा जादू है कि पल भर में पूरा माहौल बदल देता है।
आत्मबल अच्छा तो जल्द ठीक हो जाते हैं मरीज
यही एक बड़ा शस्त्र है कि हम अपने आपको सही नहीं रख पाते क्योंकि हम इस पर अटेंशन नहीं देते हैं। ब्रह्माकुमारीज संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयेागिनी डॉ. निर्मला ने और ग्लोबल अस्पताल के निदेशक डॉ. प्रताप मिडढा ने कहा कि हमारे पास जितने मरीज आते है उसमें यदि किसी का आत्मबल अच्छा है तो वह जल्दी ठीक हो जाता है। इस दौरान डॉ. मोनिका गुप्ता, डॉ. एमडी गुप्ता, बीके लीला समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।
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