माउंट आबू में ब्रह्माकुमारी संगठन के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय पांडव भवन में ग्लोबल अस्पताल की मुख्य परिचारिका बीके रूपा उपाध्याय का अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। बीके रूपा उपाध्याय को पिछले दिनों जयपुर में एनआईएमएस यूनिवर्सिटी में एशिया के 7 देशों के लिए चिकित्सा क्षेत्रों में नए अनुसंधानों को लेकर हुई इंटरनेशनल वर्कशॉप में सम्मानित किया गया था।
अभिनंदन समारोह में फिलिपीन्स से आई विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाहकार राधा सैनी ने कहा कि अव्यवस्थित जीवनशैली से मानव विविध प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में नित नए अनुसंधान किए जा रहे हैं, लेकिन बीमारियां भी नए-नए रूप में आ रही है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कार्यशालाओं का आयोजन कर बीमारियों के निदान के रास्ते निकाले जा रहे हैं। जयपुर में हुई इंटरनेशनल वर्कशॉप में किए गए मंथन से कई पहलू उभरकर सामने आए हैं।
उन्होंने कहा कि कर्म से मानव की पहचान होती है। दूसरों के मन के भावों के अनुरूप सेवा देने से मरीजों को मन की पीड़ा से भी राहत मिलती है। निस्वार्थ रूप से की गई सेवा ही मानव को महान बनाती है। विश्व में शांति स्थापन के लिए संगठित रूप से ठोस प्रयासों की जरूरत है। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां जीवन में कठिनाइयां नहीं आती हो। विशेषकर आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने को लेकर ग्लोबल अस्पताल के सराहनीय प्रयास हैं।
चिकित्सा के क्षेत्र में नारी शक्ति का अहम योगदान
निम्स यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर डॉ. शोभा तोमर ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में नारी शक्ति का भी अहम योगदान है। जिसके चलते शांति लखारा, सुशील कौर, डॉ. दर्शना सोही, प्रो. डॉ. मधु पराशर, रूपा उपाध्याय को अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला में चिकित्सा को लेकर अपने गहरे अनुभवों के साथ की गई सेवाओं के परिणामस्वरूप सम्मानित किया गया।
मन की शांति के लिए राजयोग का अभ्यास जरूरी
ब्रह्माकुमारी संगठन की संयुक्त मुख्य प्रशासिका बीके शशिप्रभा ने कहा कि समाज के प्रति संवेदनशील होकर अपने कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने से मानसिक शांति बनी रहती है। मन की स्थाई शांति के लिए नियमित रूप से राजयोग का अभ्यास कारगर माध्यम है। जिससे अनावश्यक घबराहट, निराशा, बीती बातों को मन से हटाने में सहायता मिलती है।
चिकित्सा सेवाओं के अनुभव किए साझा
ग्लोबल अस्पताल परिचारिका रूपा उपाध्याय ने अपने चिकित्सा क्षेत्र के अनुभव साझा करते हुए विश्व भर में फैल रही नई बीमारियों पर अंकुश लगाने को लेकर चिकित्सा जगत में हो रहे नए अनुसंधानों की जानकारी देते बताया कि निम्स यूनिवर्सिटी चेयरमैन डॉ. बलवीर सिंह तोमर, दिल्ली एम्स के प्रो. डॉ. रविन्द्र मोहन पांडे समेत एशिया के 7 देशों से आए करीब 150 चिकित्सक प्रतिनिधियों व भारत के विभिन्न राज्यों से आए करीब 1500 मेडिकल छात्रों के सामने विस्तारपूर्वक हुई चर्चा से अवगत कराया।
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