बरलूट के पूर्व थानाधिकारी बाबूलाल राणा के खिलाफ बरलूट थाने में मामला दर्ज हुआ है। तत्कालीन थानाधिकारी पर झाड़ोली वीर कस्बे में 24 मई 2018 को हुई बुजुर्ग महिला की हत्या के आरोप में निर्दोष व्यक्ति के खिलाफ नामजद मामला दर्ज किया था। उसे प्रताड़ित कर उसके साथ 3 दिन तक लगातार मारपीट कर थाने में बिठाया और जबरन अपराध कबूल करवाया। पीड़ित की रिपोर्ट पर बरलूट पुलिस ने मामला दर्ज कर इस मामले की जांच सब इंस्पेक्टर शंकरलाल को सौंपी है।
झाडोली वीर निवासी लखमा राम पुत्र हमीरा राम रेबारी बरलूट थाने में रिपोर्ट दी कि करीब 5 साल पहले झाडोली वीर गांव में नाथा राम पुत्र गणेशा रेबारी की मां लाडू देवी की किसी ने हत्या कर दी थी। जिस पर नाथा राम ने उसके खिलाफ झूठा मामला दर्ज करवाया था। तत्कालीन थानाधिकारी बाबूलाल राणा उसे पकड़ कर थाने ले आए और उसके साथ 3 दिन तक लगातार मारपीट कर थाने में बिठाया। उससे जबरदस्ती लाडूदेवी की हत्या करने की बात कबूल करवाई और झूठे मुकदमे में उसे गिरफ्तार कर रिमांड पर लेकर करीब 15 दिन तक थाने में रखा। बाद में उसे जेल भेज दिया। इस दौरान सिरोही के जिला कारागार में वह करीब पौने 4 साल तक रहा। जेल में रहने के दौरान उसे गेमाराम गरासिया निवासी भीमाना जिला पाली मिला। उसने बताया कि उसे भी इस हत्या के मामले में पुलिस ने गलत फंसाया है। यह घटना जब हुई थी, उस समय वह बाली के जेल में बंद था। बरलूट के थानाप्रभारी बाबूलाल और अन्य पुलिस वालों ने जोर जबरदस्ती कर उनके साथ मारपीट की और निर्दोष होते हुए भी जेल में बंद किया। वे कई सालों तक झूठे केस में जेल में बंद रहे। जिससे उन्हें सामाजिक, आर्थिक, मानसिक और शारीरिक नुकसान हुआ। उसके साथ मारपीट करने से शारीरिक रूप से कमजोर होकर वह बीमार रहने लगा। रिपोर्ट में बताया कि उसे गिरफ्तार करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ नियमानुसार मामला दर्ज कर कार्रवाई की जाए।
बरलूट थाना क्षेत्र के झाडोली वीर कस्बे में 24 मई 2018 की रात एक बुजुर्ग की हत्या कर लूट की वारदात को अंजाम देकर हत्यारा फरार हो गया। इस मामले में पुलिस ने एक बेगुनाह को पकड़ा और उसके बार-बार इनकार करने के बाद भी पुलिस ने जबरन हत्या की वारदात कबूल करवाने के लिए पानी की तगारी में खड़ा कर करंट दिया और लोहे की रोड से पीटते रहे। समाज और ग्रामवासियों के धरना प्रदर्शन के दौरान इस घटना की सूचना क्षेत्रीय विधायक संयम लोढ़ा को मिली, जिसके बाद विधायक ने कोर्ट और राज्य सरकार की मदद से लखमा राम देवासी और गेमला राम गरासिया को बेगुनाह साबित करवाया। बाद में पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने गलती मानते हुए उसे 5 लाख रुपए मुआवजा दिया।
लखमा राम देवासी ने बताया कि गांव में जिस दिन मर्डर हुआ उसके अगले दिन गांव से भाई से मिलने वापी गुजरात जा रहा था। उसका कहना है कि गांव में कोई अनजान व्यक्ति आया था और उसने बुजुर्ग महिला के मकान के बारे पूछा। जिसके बाद वह बुजुर्ग के घर का पता बताने चला गया। गांव में बड़े पिताजी के यहां रात में रुका। सुबह 7 बजे झाड़ोली से वापी के लिए निकला था। जालोर गया तो झाड़ोली से फोन आया था और मर्डर की बात कही। जिसके बाद वह झाड़ोली चला गया। झाड़ोली पहुंचते ही उसे पकड़कर बरलूट थाने ले गए और वहां से 15 दिन बाद जेल भेज दिया था।
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