भास्कर एक्सक्लूसिवबिना जुर्म ऐसी सजा, पानी में खड़ाकर देते थे करंट:पैरों में डंडा फंसा कर टॉर्चर, पानी मांगने पर लात-घूंसे और गालियां

सिरोही7 महीने पहलेलेखक: नीरज हरिव्यासी
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24 मई 2018..जिला सिरोही…थाना बरलूट…गांव झाड़ोली वीर। रात में एक बुजुर्ग महिला की हत्या हो जाती है। पहले लूट की गई और उसके बाद मर्डर। सुबह खून से सनी हुई बॉडी मिली।

आरोप आया गांव के एक 22 साल के लड़के पर। वृद्ध के बेटे का कहना था कि लखमाराम मर्डर से एक दिन पहले शाम के वक्त मेरे घर आया था।

पुलिस ने बेटे की शिकायत पर रिपोर्ट दर्ज की और 25 मई को लखमाराम को थाने बुलाया गया। यहीं से शुरू होती है लखमाराम देवासी के दर्द की कहानी...।

15 दिन बरलूट थाने में रखा। आरोप साबित करने के लिए उस पर ऐसा टॉर्चर किया गया, जिसे सुन रूह भी कांप जाएगी। लखमाराम बताते हैं कि इन 15 दिन में से कितने दिन मैं होश में रहा, मुझे भी नहीं पता। जो भी आता मुझ पर हाथ आजमाता।

इधर, जब विधायक को यह क्लू मिला कि लखमाराम निर्दोष है तो लड़ाई शुरू हुई लखमाराम को न्याय दिलाने की। 4 साल चली न्याय की इस लड़ाई के बाद लखमाराम निर्दोष साबित हुआ, वह जेल से बाहर आ चुका है। ...लेकिन थाने के उन 15 दिनों को याद कर वह आज भी कांप जाता है।

भास्कर टीम जब लखमाराम के घर पहुंची तो मां-बाप की आंखों में आंसू थे। लखमाराम ने बताया कि 15 दिन थाने में उसे किस तरह टॉर्चर किया गया।

पढ़िए- उस निर्दोष की कहानी, जिसे 4 साल सजा काटी…

24 मई 2018 की बात है… मेरा भाई गुजरात के वापी में रहता है। शाम को मैं गांव से वापी के लिए निकल रहा था।

रास्ते में किसी अंजान व्यक्ति ने लाडु देवी (बुजुर्ग महिला, जिसका मर्डर हुआ) के घर के बारे में पूछा। अंजान व्यक्ति बोला- ‘लाडु देवी अकेली रहती है और उसके घर काम चल रहा है। मैं मार्बल का काम करता हूं इसलिए मुझे ठेका लेना है। मैं उनका घर नहीं जानता हूं।’

मैं उस व्यक्ति को लाडु देवी का घर बताने साथ चला गया। उस दिन देर हो गई थी तो मैं गांव में ही रुक गया। मुझे पता नहीं था कि रात में लाडु देवी का मर्डर हो गया।

सुबह 7 बजे वापी के लिए निकल गया। जालोर पहुंचा ही था कि मेरे पास कॉल आया कि लाडु देवी का मर्डर हो गया है। गांव में बुलाया है। मैं जालोर से सीधा गांव पहुंचा। यहां पुलिस पहले से मौजूद थी। मुझे बरलूट थाने ले जाया गया। लाडु देवी के बेटे नाथाराम ने मुझ पर मर्डर का आरोप लगाया।

मुझे 15 दिन थाने रखा गया। ये 15 दिन मेरे जीवन के सबसे दर्दनाक थे। मर्डर का आरोप साबित करने के लिए मुझे टॉर्चर किया गया। दिन-रात मारपीट की गई। लाठी और डंडों से बुरी तरह पीटा गया। पैरों और हाथों के बीच डंडा फंसा कर जब मन चाहे पीटा करते थे।

पिटाई के दौरान पुलिस वाले न दिन देखते, न रात। जब जिसका मन आता पिटाई कर देता। डंडा, लोहे का पाइप और पट्‌टे से मारते रहते थे। बोलते थे कि तूने ही मर्डर किया है। मैं यही कहता था कि मैंने मर्डर नहीं किया है।

थाने में एक टाइम खाना देते थे। एक-दो रोटी खिलाकर रखते थे। पानी तक नहीं पिलाते थे। पानी मांगता तो गाली-गलौज करते और लात-घूंसे मारते थे। मुझे करंट तक दिए। पानी से भरी कुंडी में खड़ा कर देते और करंट वाला तार हाथ में पकड़वा देते। स्विच ऑन कर मुझे टॉर्चर किया जाता था।

इन 15 दिनों में कहां कितने घाव हुए मुझे खुद को नहीं पता। होश ही नहीं रहता था कि मेरे साथ हो क्या रहा है। इसके बाद मुझे जेसी किया गया और जेल की सजा सुनाई गई।

लाडु देवी के बेटे ने लखमाराम पर लगाया था हत्या का आरोप

लाडु देवी के बेटे नाथाराम ने बरलूट थाने में रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट में बताया था कि मैं और भगाराम दोनों भाई हरियाणा गाय चराने गए थे। जबकि दो भाई दौलाराम और वगताराम आंध्र प्रदेश में बिजनेस करते हैं।

24 मई 2018 की रात करीब 8 बजे मेरी मां लाडु देवी ने फोन पर बताया था कि शाम 7:30 बजे लखमाराम और एक व्यक्ति आया था, जिसने बताया कि नाथाराम ने घर पर मार्बल लगाने के लिए भेजा है।

इस पर मैंने उन्हें बताया कि मार्बल के लिए किसी को नहीं भेजा। अगले दिन 25 मई को जब मैंने सुबह कॉल किया तो कैलाश नगर के पिंटू ने फोन उठाया। मैंने बताया कि यह मेरी मां का फोन है तो कहा गया कि मुझे यहां मिला था और लेना है तो कैलाश नगर आ जाओ।

मैंने रिश्तेदार लालाराम को कॉल कर मेरे घर जाने को कहा। जब वो घर गया तो मेरी मां की लाश पड़ी थी। उसी ने बताया कि तुम्हारी मां का मर्डर हो गया है।

...और इसलिए लखमाराम पर गया शक

रिपोर्ट में नाथाराम ने बताया कि मर्डर से एक दिन पहले लखमाराम उसके घर पर गया था। उसके साथ एक अन्य व्यक्ति भी था। आरोप लगा कि लखमाराम ने अपने साथी के साथ मिलकर मां का मर्डर कर दिया। इसके साथ घर में रखे ढाई लाख रुपए समेत सोने-चांदी के जेवरात लेकर फरार हो गया।

मां-बाप बोले: खाना भी नहीं खाते थे, रिश्तेदार के यहां रहे

इन चार सालों में मां-बाप ने भी दर्द सहा। आज भी जब उनके बेटे को लेकर बात की जाती है तो मां-बाप हाथ जोड़कर रोने लगते हैं। इस हादसे के बाद से तो मां कुछ बोल भी नहीं पा रही है। पिता ने बताया कि इन चार साल में पानी का एक घूंट भी गले से उतरना मुश्किल था। हम घर में बैठे रोते थे।

घटना के बाद तो कई लाेगों ने हमारा मुंह देखना भी बंद कर दिया। एक रिश्तेदार को जब हम दोनों की हालत के बारे में पता चला तो वह हमें अपने खेत पर ले गया। हम दोनों को हमारे पास रखा। खबर और भी है, लेकिन आगे बढ़ने से पहले आप नीचे दिए पोल में हिस्सा लेकर अपनी राय जाहिर कर सकते हैं।

परिवार बर्बाद हो गया, सगाई छूट गई

लखमाराम अब जेल से बाहर है। मां-बाप के साथ अपनी जिंदगी गुजार रहा है। लेकिन, इस एक हादसे ने पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया।परिवार के लोग बताते हैं कि मई महीने में ही लखमाराम के सगाई की बात चल रही थी। लेकिन, जैसे ही मर्डर से उसका नाम जुड़ा, सब कुछ टूट गया। पूरा परिवार बर्बाद हो गया।

इधर, CM के सलाहकार लोढ़ा ने इन दो पॉइंट पर बताया लखमाराम बेगुनाह

पहला: यदि वह हत्या में शामिल होता तो उस रात गांव में नहीं रुकता और फरार हो जाता, जबकि वह उस रात गांव में ही था

दूसरा: अगले दिन उसे रामसीन थाना जाने को कहा, यदि उसने मर्डर किया होता तो वह थाने नहीं जाता, जबकि एक कॉल पर वह थाने पहुंच गया था

विधायक बोले: लखमाराम के साथ गमनाराम को भी ऐसे ही फंसाया

जिस दिन यह घटना हुई सबसे पहले सूचना मुझे मिली थी। मैं एसपी से पहले मौके पर पहुंचा। जब लखमाराम के हत्या में शामिल नहीं होने का एंगल सामने आया तो हमने इसकी लड़ाई शुरू की। बरलूट थाने का घेराव भी किया था। जब मैं विधायक बना तो मैंने सीएम से इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग रखी। इसी बीच पाली में एक गैंग का खुलासा हुआ। जिसमें पता चला कि झाड़ोलीवीर में लाडु देवी के घर लूट और मर्डर उसी गैंग ने किया है। साफ हो गया था कि लखमाराम निर्दोष है और उसे फंसाया गया है।

इसी गैंग में एक गमनाराम नाम के युवक का नाम सामने आया, जो घटना के दिन पाली जिले की बाली जेल में बंद था। पाली पुलिस ने उसमें रिकवरी भी बता दी। इस बात का खुलासा तब हुआ जब मैं जेल मंत्री के साथ जेल के दौरे पर गया। यहां गमनाराम ने बताया कि मैं भी लखमाराम की तरह निर्दोष हूं। बाली जेलर से लिखित में रिपोर्ट मांगी तो पता चला घटना वाले दिन गमनाराम जेल में बंद था।

हमने हाईकोर्ट में एप्लीकेशन दायर की, जिसके बाद लखमाराम को रिहा कर दिया गया। विधानसभा में मुद्दा उठाने के बाद दोनों को 5-5 लाख रुपए की सहायता दी गई। अब हम मांग कर रहे हैं कि ऐसे पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कुछ दिन पहले ही विजिलेंस एसपी से बात कर कार्रवाई करने की मांग की थी। क्योंकि ऐसे अधिकारी अब भी वर्दी पहने बैठे हुए हैं।

सीएम के सलाहकार बोले: डिप्टी ने माना गलती हुई

विधायक लोढ़ा ने बताया कि मामला सामने आने के बाद 2018 में हमने बरलूट थाने का घेराव किया था। देवासी समाज के साथ मैं भी प्रदर्शन में शामिल था। उस दौरान डिप्टी ने मुझे बताया भी था कि अब हमसे गलती तो हो गई है। लेकिन, उसे कई समय तक नहीं सुधारा गया।

इधर, डिप्टी का दावा: मैंने ऐसा कुछ बोला ही नहीं

तत्कालीन डीएसपी भवानी सिंह का कहना है कि लखमाराम की गिरफ्तारी के समय वे नहीं थे। और, न ही मैंने ऐसा स्वीकारा कि पुलिस की कोई गलती हुई है। अभी अखबार से ही मुझे यह पता चला कि संयम जी ने उन लोगों को कुछ पैसे भी दिलवाए हैं।

हमने कोई टॉर्चर नहीं किया: बाबूलाल, तत्कालीन थाना अधिकारी, बरलूट

परिजनों की ओर से जो रिपोर्ट दी गई थी उसमें लखमाराम का नाम था। जैसा वो बता रहा है वैसा न तो थाने में और न मैंने टॉर्चर किया है। FIR में सारे गवाह थे।

मुझे कोई जानकारी नहींं है: ममता गुप्ता, एसपी, सिरोही

इस मामले में मैं कुछ नहीं कह सकती। मेरे आने से काफी पहले का यह मामला है और इसकी जांच जयपुर से की गई थी। इस बारे में वही लोग कुछ कह सकेंगे। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।