सतलुज में एकत्र हुए गंदे पानी को पीने के योग्य नहीं मानते हुए गंगनहर में बंदी लेकर इसे पाकिस्तान की तरफ रिलीज करने के राज्य सरकार के फैसले का किसान विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि भले ही नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने इस पानी को पीने योग्य तो नहीं माना है लेकिन इससे सिंचाई तो हो ही सकती है। ऐसे में इसे इलाके में सिंचाई के लिए दिया जाना चाहिए। अगर इलाके में बंदी ली गई तो इससे यहां की फसलों को नुकसान होगा। उनका कहना था कि गंगनहर में पहले भी दस दिन बंदी ली जा चुकी है। ऐसे में अगर अब नहरबंदी ली गई तो यह ग्वार, नरमा और मूंग की फसल के लिए नुकसानदायक होगी। अभी इन फसलों की बिजाई के लिए सिंचाई पानी की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं होगा तो किसानों को परेशानी होगी।
करेंगे गंगासिंह चौक पर पड़ाव
माकपा नेता और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य श्योपतराम ने बताया कि उनकी मांग है कि गंगनहर में अब और बंदी नहीं लेकर इस पानी को सिंचाई के लिए जारी कर दिया जाए। इससे किसानों की फसलों को नुकसान नहीं होगा। अभी बिजाई के लिए पानी की जरूरत है। यह पानी पीने के लिए ठीक नहीं है तो कोई बात नहीं इससे सिंचाई तो हो सकती है। उनका कहना था कि ऐसा नहीं होने पर गंगासिंह चौक पर पड़ाव डाला जाएगा।
किसानों को मिलना चाहिए पानी
किसान नेता गुरबलपालसिंह संधू का कहना था कि यह पानी किसानों को मिलना ही चाहिए। अगर पानी पीने के लायक नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि इसे सिंचाई में काम नहीं लिया जा सकता। इस पानी को किसानों को दिया जाना चाहिए। नहरबंदी लेने से तो फसलों को नुकसान होगा। दस मई को हो रहे विरोध प्रदर्शन का हम समर्थन कर रहे हैं।
हम करेंगे नौ को विरोध प्रदर्शन
वहीं किसान नेता संतवीर सिंह मोहनपुरा का कहना है कि सरकार का नहरबंदी का फैसला गलत है। इसके विरोध में हम नौ मई का ही हनुमानगढ़ में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
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