टोंक जिले में इस साल शराब के तलबगार से लेकर शराब का कारोबार करने वालों की कमी आई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि नया सत्र शुरू हुए डेढ़ महीना खत्म हो गया है लेकिन अभी भी 15 दुकानों के टेंडर नहीं छूट पाए हैं। जबकि इनकी नीलामी के लिए चार बार टेंडर प्रक्रिया अपनाई जा चुकी है। इसके चलते राजस्व प्राप्ति के पिछले साल के टारगेट शत प्रतिशत पूरे नहीं हो पाए है।
गौरतलब है कि जिले में 173 शराब की दुकानें है। इनमें से 68 दुकानें ही रिन्यु हुई है। बाकी दुकानों को भी रिन्यु करने के लिए एवरेज 10 प्रतिशत राशि बढ़ाई गई। लेकिन इस सिस्टम से 68 दुकानें ही रिन्यु हो पाई। शेष रही 105 दुकानों के आवंटन के लिए पिछले महीने तीन चरणों में नीलामी रखी गई थी। इसमें से 8 अप्रैल को 36 दुकानें, 11 अप्रैल को 35 और 12 अप्रैल को 34 कम्पोजिट दुकानों की नीलामी किए जाने का फैसला किया गया था। इसके तहत पहले चरण में 36 दुकानों में से 22 दुकानों के लिए ही 29 आवेदन आए। इसी तरह दूसरे चरण में 35 शराब की दुकानों में से महज 15 दुकानों के लिए 20 लोगों ने ही आवेदन किया। तीसरे चरण में 34 दुकानों में से 8 दुकानों के लिए महज 10 आवेदन आए। ऐसे में 61 दुकानों की नीलामी नहीं हुई है।
आबकारी विभाग ने पिछले दिनों फिर से टेंडर प्रक्रिया अपनाई। इसके बाद भी 15 दुकानें नीलाम होने से रह गई। अब इन्हे नीलाम करने किए लिए आबकारी विभाग एक बार फिर 17 मई को टेंडर निकालेगा। जिला आबकारी अधिकारी भौरी लाल ने बताया कि इस साल शराब का राजस्व लक्ष्य 200 करोड़ रुपए है। यह राशि पिछले साल के मुकाबले 10 करोड़ रुपए ज्यादा है। पिछले का राजस्व लक्ष्य 190 करोड़ रुपए था। उसके मुकाबले विभाग करीब 90 फीसदी ही राजस्व जुटा पाया था।
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