तीन दिवसीय कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दूसरे दिन भी परीक्षा से पहले 46 डिग्री सैल्सियस तापमान के बीच परीक्षार्थियों को बड़ी परीक्षा से गुजरना पड़ा। नकल नहीं हो इसकी रोकथाम को लेकर केंद्र के बाहर ही चप्पल-जूते उतरवा लिए गए जिस कारण तपती जमीन पर नंगे पैर चलकर परीक्षार्थियों को कक्ष तक पहुंचना पड़ा। इतना ही नहीं अभ्यर्थियों के साथ आए परिजनों को केन्द्र के पास पेड़ों की छांव तले समय बिताना पड़ा। सुबह की पारी में तो परीक्षार्थियों को प्रवेश के दौरान परेशानी नहीं हुई, लेकिन निकासी के दौरान कमरों से मुख्य गेट तक नंगे पैर ही लौटना पड़ा।
केंद्रों के बाहर छाया के लिए भी टेंट आदि का अभाव दिखाई दिया। परीक्षार्थियों और उनके अभिभावक आसपास पेड़ की छाया या दीवार की ओट में गर्मी से बचते नजर आए। हाइवे स्थित एक परीक्षा केन्द्र के बाहर अभिभावक पेड की छांव तले समय बिताते नजर आए। इससे पहले परीक्षा केन्द्र पर जांच के बाद प्रवेश दिया गया। रोडवेज में लम्बी दूरी की बसें निरस्त किए जाने से यात्रियों को परेशानी हुई। देर से आए अभ्यर्थियों को परीक्षा केन्द्र में प्रवेश नहीं दिया गया।
बस लगाने से पहले ही लगी लंबी कतारें
रोडवेज में सवार होने के लिए भी पुलिसकर्मियों ने अभ्यर्थियों को टोंक बस स्टैंड पर कतार बनाकर ही प्रवेश दिया गया। बस लगाने से पहले ही अभ्यर्थियों की कतारे लगवाई गई। इसमें महिला व पुरुष अभ्यर्थी शामिल रहे। इससे अभ्यर्थियों को पसीने से तरबतर होना पड़ा।
रोडवेज की ओर से अभ्यर्थियों की आवाजाही को लेकर शनिवार सुबह 4 से 12 बजे तक जयपुर मार्ग पर 10 बसें, कोटा, मालपुरा टोडा, सवाईमाधोपुर संचालन यथावत जारी रहा। इसी प्रकार निवाई के लिए 8 बसें संचालित की गई। प्रबन्धक संचालन नंदकिशोर मीणा, प्रभारी सत्यनारायण जाट आदि बसों के संचालन में जुटे रहे।
एएसपी सुभाष मिश्रा ने बताया कि परीक्षा के दूसरे दिन पहली पारी में 2928 में से 1589 अभ्यर्थी उपस्थित रहे। जबकि 1339 अनुपस्थित रहे। इसी प्रकार दूसरी पारी में 2922 में से 1673 उपस्थित रहे। 1249 अनुपस्थित रहे। आज रविवार को अंतिम दिन 6 केन्द्रों पर परीक्षा होगी।
जयपुर से आई मीनाक्षी शर्मा ने बताया कि उसने पहली बार कांस्टेबल भर्ती परीक्षा दी है। इस बार पेपर अच्छा हुआ है, उम्मीद है रिजल्ट अच्छा आएगा। केंद्रों पर व्यवस्थाएं अच्छी हैं लेकिन गर्मी में तेजी व नियमों की जटिलता से परेशानी हुई। इसी प्रकार बांसवाड़ा से आए परमेश कटारा ने बताया कि रोडवेज की बसों की कमी के चलते 600 किलोमीटर बस में खड़े रहकर आना पड़ा। उन्होंने स्थानीय स्तर पर ही परीक्षा केन्द्र रखे जाने पर बल दिया। महेन्द्र कुमार बैरवा ने परीक्षा देकर लौटा तो चप्पल नहीं मिली। गर्मी में नंगे पैर ही पैदल ही बस स्टैंड तक जाना पड़ेगा।
अजमेर से आई समीना एक माह के मासूम के साथ परीक्षा देने टोंक आई। साथ में उसकी बहन चांदा भी आई। निजी वाहन किराया कर परीक्षा देने आई समीना के एक माह के मासूम को मौसी चांदा झुला झुलाती दिखी। परिजनों का कहना था कि परीक्षा में शामिल होने की उत्सुकता के चलते वह एक दिन पहले शुक्रवार को नागौर पहुंचकर परीक्षा में शामिल हो चुकी है।
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